India vs England 1st Test: इंग्लैंड ने लीड्स में खेले गए पहले टेस्ट मैच में भारत को 5 विकेट से हरा दिया है. इस जीत के साथ इंग्लैंड ने 5 टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली है. भारत के लिए इस मैच में दोनों पारी में कुल 5 शतक लगे, लेकिन इसके बावजूद शुभमन गिल की कप्तानी में टीम इंडिया को लीड्स टेस्ट में हार का सामना करना पड़ा. चलिए बताते हैं कि वो 3 सबसे बड़े कारण रहे, जिसकी वजह से भारत को हार झेलनी पड़ी.
1. भारत ने 72 रनों के भीतर गंवाए 13 विकेट
इंग्लैंड के खिलाफ लीड्स टेस्ट में भारत की हार की सबसे बड़ी वजह लोवर ऑर्डर बल्लेबाजी फ्लॉप होना रहा. पहली पारी में भारतीय ने एक समय सिर्फ 3 विकेट पर ही 430 रन बना लिए थे. इसके बाद अगले 41 रन के अंदर टीम इंडिया ने 7 विकेट गंवा दिए. इस तरह पहली पारी में भारत 500 के आंकड़ा को नहीं छू सका. इसके बाद दूसरी पारी में भी टीम इंडिया की लोवर ऑर्डर बुरी तरह फ्लॉप रहा. भारत ने दूसरी पारी में 5 विकेट पर 333 रन बना बना लिए, लेकिन अगले 31 रनों के अंदर टीम इंडिया ने 5 विकेट गंवा दिए. इस भारतीय टीम इंग्लैंड के सामने एक बड़ा टारगेट रखने में नाकाम रही.
2. भारत ने छोड़े अनगिनत कैच
भारतीय टीम की खराब फील्डिंग भी लीड्स टेस्ट में हार की वजह रही. भारत ने कई कैच छोड़े. अकेले यशस्वी जायसवाल ने ही इस मैच में कुल 4 कैच छोड़ दिए थे, जिसके बाद वो सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल भी हुई. पहली पारी में हैरी ब्रूक का जीरो पर कैच छूटा था, जिसका नतीजा हुआ कि ब्रूक ने 99 रन बना दिए. वहीं दूसरी पारी में भी यशस्वी जायसवाल ने 97 के स्कोर पर डकेट का कैच छोड़ा था. अगर डकेट का कैच नहीं छूटता तो वो 149 रनों की पारी नहीं खेल पाते और मैच का रिजल्ट कुछ और हो सकता था.
3. चौथी पारी में खराब गेंदबाजी
लीड्स टेस्ट की चौथी पारी में भी भारत की गेंदबाजी खराब रही. टीम इंडिया ने शुरुआत में कोई विकेट नहीं लिया. यही वजह रही कि पहले विकेट के लिए बेन डकेट और जैक क्रॉली के बीच 188 रनों की साझेदारी हुई. क्रॉली 65 रन बनाए. बेन डकेट 170 गेंद पर 149 रनों की पारी खेली. इसके अलावा जो रूट 53 रन और जेमी स्मिथ 44 रन नाबाद बनाए. वहीं कप्तान बेन स्टोक्स ने 33 रनों का योगदान दिया. शार्दुल ठाकुर और प्रसिद्ध कृष्णा ने 2-2 विकेट चटकाए. रवींद्र जडेजा को एक सफलता मिली है. पहली पारी में 5 विकेट लेने वाले जसप्रीत बुमराह दूसरी पारी में एक भी विकेट नहीं ले सके. वहीं मोहम्मद सिराज को भी एक भी सफलता नहीं मिली.
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