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world parrot day( Photo Credit : social media )
विश्व तोता दिवस हर वर्ष 31 मई को मनाया जाता है. उनके संरक्षण और कल्याण को लेकर इस दिवस को मनाया जाता है. यह दिवस 2004 से मनाया जाता आ रहा है. इसे विश्व तोता ट्रस्ट (डब्ल्यूपीटी) द्वारा स्थापित किया गया था. आपको बता दें कि जैसे-जैसे जंगल काटे जा रहे हैं, वैसे-वैसे वन्य जीवों को नुकसान पहुंच रहा है. उनके रहने जगहों को नुकसान पहुंच रहा है. इन जीवों में तोता भी प्रमुख है. दुनिया भर में तोतों की 398 प्रजातियां मौजूद हैं. इसमें 123 प्रजातियां संकट से ग्रस्त हैं, वहीं 39 लुप्तप्राय में गिनी जाती हैं.
इन्हें पालने पर है पाबंदी
तोतों को पालना गैरकानूनी माना जाता है. ऐसा करने पर अधिकतम पांच वर्ष की सजा का प्रावधान है. बाजारों में तोतों को कैद कर उसे बेचा जाता है. यह गैरकानूनी हैं. अकसर कई लोगों को इस बात का पता नहीं होता है कि यह कानून गलत है. यहां तक बेचने वालों को भी इस बात का पता नहीं होता है. ऐसा करने पर उनके खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 49 व 51 के तहत कानूनी कार्रवाई संभव है. इसके तहत तीन से पांच की वर्ष की सजा हो सकती है. तोते के साथ कबूतर, बुलबुल, खरगोश, पहाड़ी चुहे को भी घर में कैद करके रखना कानून गलत माना गया है.
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तोतों के अवैध व्यापार में हो रही बढ़ोतरी
दरअसल तोते पालतू पक्षियों में काफी लोकप्रिय हैं. ऐसे में इनका अवैध व्यापार बढ़ रहा है. लोग तोतों के घोसले को नष्ट करते हैं. इस कारण उन पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है. इसके साथ ही शहरी क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई होने के कारण तोतों की संख्या में भारी कमी देखी जा रही है.
संरक्षण कार्यक्रम की जरूरत
इस समय दुनिया में तोतों की 356 प्रजातियां हैं. इसमें से 123 प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा है. इसका कारण है कि इनके हैबिटेट को नुकसान पहुंच रहा है. दुनिया भर में बड़े स्तर पर तोतों को खरीदा जाता है. इसका कारोबार काफी बड़ा है. इस कारण जगलों में इन प्रजातियों की आबादी कम होती जा रही है. देश की बात करें तो यहां पर तोतों की 11 प्रजातियां ही हैं. तोतों को बचाने को लेकर युद्ध स्तर पर संरक्षण का काम होना जरूरी है.
इस तरह से तोतों का कर सकते हैं बचाव
विशेषज्ञों के अनुसासर, तोतों को बचाने के लिए पुराने पेड़ों का संरक्षण किया जाना चाहिए. इसके साथ उन्हें पालने के लालच से बाहर निकलना होगा. अगर आपके सामने व्यापार आदि के लिए उन्हें पकड़ा जाता है तो इसकी सूचना वन विभाग को दी जानी चाहिए. फलों के ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने की आवश्यकता है.