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Uttarakhand: एनडी तिवारी छोड़ कोई नहीं पूरा कर सका कार्यकाल, 21 साल में 10वां CM

उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद पहली विधानसभा चुनाव में नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने थे. राज्य के राजनीतिक इतिहास में भी पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले वह एकमात्र सीएम हैं.

Updated on: 03 Jul 2021, 12:12 PM

highlights

  • उत्तराखंड अस्तित्व में आने के साथ ही राजनीतिक अस्थिरता का शिकार
  • कांग्रेस के एनडी तिवारी ही 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले सीएम
  • बीजेपी सूबे में 10 साल की सत्ता में इस बार देगी अपना 7वां मुख्यमंत्री

नई दिल्ली:

सन् 2000 में उत्तराखंड (Uttarakhand) के साथ ही झारखंड का भी गठन हुआ था. हालांकि राजनीतिक दृष्टि से देखें तो उत्तराखंड और झारखंड में एक अजीब सा साम्य है. मुख्यमंत्री (Chief Minister) देने के मामले में उत्तराखंड अब झारखंड के रिकॉर्ड के करीब पहुंच चुका है. बीते 21 सालों में झारखंड में 12 मुख्यमंत्री बने हैं, तो उत्तराखंड राज्य गठन के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) की दो साल की अंतरिम सरकार में जिस राजनीतिक अस्थिरता का जन्म हुआ था, वह 21 साल बाद भी बदस्तूर जारी है. हाल-फिलहाल तीरथ सिंह रावत की मुख्यमंत्री पद से विदाई होते ही तय हो गया है कि राज्य को 21 साल में दसवां मुख्यमंत्री मिलेगा. उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद पहली विधानसभा चुनाव में नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने थे. राज्य के राजनीतिक इतिहास में भी पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले वह एकमात्र सीएम हैं. 

अंतरिम सरकार में ही बदल गए सीएम
2000 में उत्तराखंड के अलग राज्य घोषित होने पर भारतीय जनता पार्टी ने नित्यानंद स्वामी के सिर मुख्यमंत्री ताज पहनाया था. उन्होंने कुछ समय के लिए अंतरिम सरकार को संभाला भी, लेकिन फिर एक साल पूरा होने से पहले ही उनकी जगह भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री बना दिया गया. बताया जाता है कि 2002 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने ये बड़ा फैसला लिया था. यह अलग बात है कि पार्टी का यह दांव उलटा पड़ा और विस चुनाव में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हो गई. दिल्ली आलाकमान के फरमान पर सीएम बदलने का खेल जो तब शुरू हुआ, वह आज भी जारी है. इस बार भी बीजेपी आलाकमान ने कई बैठकों के बाद सीएम को बदलना तय किया.

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सूबे का पहला चुनाव जीत एनडी तिवारी बने थे मुख्यमंत्री
गौरतलब है कि 2002 में संपन्न पहले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सरकार बनी थी. कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया था. उन्होंने ही 5 साल का कार्यकाल पूरा किया. यह अलग बात है कि उन्हें भी अपने कार्यकाल के दौरान काफी दिक्कतें उठानी पड़ीं. तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हरीश रावत ने कई दफा उनके खिलाफ मोर्चा खोला. यह बात अलग है कि उनकी कोशिशें परवान नहीं चढ़ पाईं. हरीश रावत ने तमाम मुद्दों पर कांग्रेस हाईकमान से लगातार संपर्क साध समीकरण गड़बड़ाने चाहे, लेकिन एनडी तिवारी सूझबूझ से अपनी सरकार बचाते रहे और पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद ही हटे.

2007 में आई बीजेपी ने भी बदले सीएम 
एनडी तिवारी के बाद 2007 में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की उत्तराखंड में वापसी हुई और उसे स्पष्ट जनादेश मिला. मुख्यमंत्री के रूप में मेजर जनरल बीसी खंडूरी को चुना गया. यह अलग बात है कि खंडूरी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. 834 दिनों तक सत्ता संभालने के बाद भाजपा में खंडूरी के खिलाफ बगावत हो गई. आखिरकार रमेश पोखरियाल निशंक को राज्य का 5वां सीएम बनाया गया. निशंक भी शेष बचे कार्यकाल को पूरा नहीं कर पाए और फिर राज्य की बागडोर बीसी खंडूरी को सौंप दी गई. 

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2012 में कांग्रेस की वापसी, दो सीएम
2012 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी से कांग्रेस ने सत्ता छीन ली. कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को सीएम, लेकिन उनका कार्यकाल भी राजनीतिक अस्थिरता की भेंट चढ़ गया. 2013 की केदारनाथ में आई भयानक बाढ़ सीएम विजय बहुगुणा को भी बहा ले गई. विपक्ष ने सवाल उठाते हुए सीएम की नीतियों और उनकी कार्यशैली को जमकर निशाने पर लिया. विजय बहुगुणा के खिलाफ नाराजगी को देख कांग्रेस ने हरीश रावत को उत्तराखंड की बागडोर सौंपी, लेकिन हरीश रावत के लिए सीएम की कुर्सी स्थाई नहीं रही. दो साल बाद पार्टी नेताओं ने उनके खिलाफ बगावत कर दी. उनसे नाराज चल रहा एक धड़ा सीधे बीजेपी से जा मिला और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जरूर हरीश रावत को उस मामले में राहत दी, लेकिन उन्हें उनकी किस्मत का ज्यादा साथ नहीं मिला.

2017 में फिर बीजेपी, 10 साल की सत्ता में देगी 7वां सीएम
2017 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को फिर भारी बहुमत मिला. 57 विधायकों के साथ बनी सरकार से स्थिरता की उम्मीद जगी थी, लेकिन त्रिवेंद्र रावत की विदाई के बाद तीरथ रावत के इस्तीफे से एक बार फिर उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता आ गई है. तीरथ सिंह रावत के नाम सबसे कम समय के लिए उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी बन गया है. तीरथ रावत सिर्फ 115 दिन के लिए ही सीएम रह पाए. भले ही तीरथ के इस्तीफे के पीछे संवैधानिक संकट का हवाला दिया जा रहा हो. बावजूद इसके उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता फिर पैदा हो गई है. अब फिर उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में राज्य को फिर नया सीएम मिलने जा रहा है. दूसरे शब्दों में कहें तो बीजेपी अपनी 10 साल की सत्ता में सातवीं बार किसी शख्स को सीएम बनाने जा रही है.