UNSC का यू-टर्नः रूस-यूक्रेन 'युद्ध' को अपने बयान में बताया 'विवाद'
यूएनएससी का यह बयान ऐसे समय आया है जब रूस ने 'विक्ट्री डे' परेड से पहले यूक्रेन के कई शहरों पर हमले तेज कर दिए हैं. संभवतः इसी वजह से बयान पर अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है.
highlights
- रूस-यूक्रेन युद्ध के लगभग 10 हफ्तों बाद यूएनएससी का पहला बयान
- वक्तव्य में 'युद्ध', 'टकराव' या 'आक्रमण' जैसे शब्दों का नहीं हुआ प्रयोग
- इसके बजाय रूस-यूक्रेन के संदर्भ में 'विवाद' शब्द का इस्तेमाल किया गया
नई दिल्ली:
यूक्रेन (Ukraine) पर रूस के हमले के लगभग 10 हफ्तों बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने महासचिव की ओर से पहला वक्तव्य जारी किया है. इस वक्तव्य को रूस समेत अन्य सदस्यों की सर्वसम्मति से तैयार किया गया है. हालांकि रोचक बात यह है कि रूस-यूक्रेन के बीच सभी मसलों के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करते इस वक्तव्य में 'युद्ध', 'टकराव' या 'आक्रमण' जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है. इसके बजाय रूस-यूक्रेन के संदर्भ में 'विवाद' शब्द का इस्तेमाल किया गया है. माना जा रहा है कि दोनों देशों को बातचीत के लिए प्रोत्साहित करने के लिए यह कदम उठाया गया है. एक लिहाज से देखें तो यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस ने भी पहली बार नरमी दिखाते हुए संयुक्त राष्ट्र की शांति स्थापित करने के पहल का समर्थन किया है. भारत (India) ने भी प्रस्ताव का पुरजोर समर्थन करते हुए यूक्रेन में शांति स्थापित किए जाने की आवश्यकता जताई है.
'विवाद' शब्द पर विवाद
यूएनएससी का यह बयान ऐसे समय आया है जब रूस ने 'विक्ट्री डे' परेड से पहले यूक्रेन के कई शहरों पर हमले तेज कर दिए हैं. संभवतः इसी वजह से बयान पर अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है. रूस लगातार यूक्रेन पर अपने आक्रमण को ‘विशेष सैन्य अभियान’ कहता आ रहा है. अब आरोप लग रहे हैं कि रूस के दबाव में आकर ही यूनएससी ने अपने पहले बयान में 'युद्ध', 'संघर्ष' या 'आक्रमण' शब्द का प्रयोग न कर विवाद शब्द का प्रयोग किया है. गौरतलब है कि रूस यूएनएससी का स्थायी सदस्य है और इस अधिकार के तहत वह अब तक सभी बयानों को वीटो पावर से रोकता आ रहा था.
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भारत भी शांति का पक्षधर
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य भारत ने भी रूस-यूक्रेन के बीच हमेशा शांति की पक्षधरता की है. साथ ही कहा है कि इस युद्ध में किसी की भी जीत नहीं होने जा रही है. साथ ही भारत यह भी कहता आ रहा कि मानवीय सहायता पर खाद्य आयात प्रतिबंध लागू नहीं होने चाहिए. सूत्रों की मानें तो विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत खाने-पीने से जुड़ी मानवीय सहायता को करों से मुक्त रखा जाता है. यह अलग बात है कि भारत यूक्रेन को जो खाद्य सामग्री भेज रहा है उस पर कर लगाए जा रहे हैं. भारत का कहना है यूक्रेन को खाद्य सहायता को करों के दायरे से मुक्त रखा जाना चाहिए.
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वीटो पावर वाले देशों की सहमति जरूरी
गौरतलब है कि यूएनएससी को बयान जारी करने के लिए वीटो पावर वाले सभी सदस्य देशों की सहमति की जरूरत होती है. यूएनएससी ने जो बयान जारी किया है, उसमें युद्ध शब्द को हटाकर यूक्रेन की शांति और सुरक्षा के रख-रखाव के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की है. साथ ही याद दिलाया गया है कि सभी सदस्य देशों का संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत अपने अंतरराष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने का दायित्व है. रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के इस बयान पर अपनी सहमति जताई है. बयान में कहा गया है सुरक्षा परिषद एक शांतिपूर्ण समाधान की तलाश में महासचिव (गुटेरेस) के प्रयासों के लिए मजबूत समर्थन व्यक्त करती है और गुटेरेस से उचित समय में सदस्यों को यूक्रेन संकट पर जानकारी देने का अनुरोध करती है.
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