शबनम का अपराध भी बौना है इन तीन महिला अपराधियों के आगे, जिन्हें होनी है फांसी
ऐसा नहीं है कि निर्ममता की सारी हदें शबनम ने ही पार की है. उसके अलावा तीन महिला अपराधी और भी हैं, जो फांसी (Capital Punishment) की बाट जोह रही हैं.
highlights
- हरियाणा की सोनिया ने संपत्ति के लालच विधायक पिता समेत 8 को मारा
- पुणों की गावित बहनों ने 42 बच्चों की पीट-पीट कर निर्ममता से की हत्या
- निठारी कांड के सुरेंद्र कोली समेत 31 पुरुष कैदी भी कर रहे फंदे का इंतजार
नई दिल्ली:
अमरोहा में अपने ही परिवार के सात सदस्यों को प्रेम में अंधी होकर कुल्हाड़ी से काट निर्ममता से मौत के घाट उतारने वाली शबनम (Shabnam) को फांसी दी जानी है. हालांकि अभी फांसी की तारीख तय नहीं है यानी डेथ वारंट अभी जारी नहीं हुआ है. शबनम को फांसी होते ही देश में पहली महिला को दी जाने वाली फांसी (Hanging) का अध्याय भी इतिहास के पन्नों में जुड़ जाएगा. देश में अपने किस्म का पहला मामला होने के कारण इसकी चहुंओर चर्चा भी हो रही है. हालांकि खुद शबनम और उसका बेटा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल समेत राष्ट्रपति के समक्ष फिर से दया याचिका दायर कर चुके हैं. ऐसा नहीं है कि निर्ममता की सारी हदें शबनम ने ही पार की है. उसके अलावा तीन महिला अपराधी और भी हैं, जो फांसी (Capital Punishment) की बाट जोह रही हैं. इनमें से एक तो विधायक की बेटी है. इन सभी महिलाओं के अपराध इतने संगीन और भयावह थे कि इनकी दया याचिकाओं को राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं. इन तीन महिलाओं में हरियाणा की सोनिया और महाराष्ट्र की रेणुका और सीमा हैं.
सोनिया ने विधायक पिता समेत 8 लोगों को मारा
हरियाणा की सोनिया ने पिता समेत आठ लोगों की थी निर्मम हत्या की थी. सोनिया के पिता हिसार के विधायक रेलूराम थे. संपत्ति के लालच में 23 अगस्त 2001 को सोनिया और उसके पति संजीव ने मिलकर रेलूराम व उसके परिवार के आठ लोगों की हत्या कर दी. जाहिर है यह मामला पारिवारिक संपत्ति से जुड़ा रंजिश का था. 2004 में सेशन कोर्ट ने इन्हें फांसी की सजा सुनाई, जिसे 2005 को हाई कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया. बाद में 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने वापस सेशन कोर्ट की सजा बरकरार रखने का फैसला किया. समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद सोनिया व संजीव ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खारिज कर दिया. सोनिया ने जेल से कई बार भागने की असफल कोशिश भी की.
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दो बहनों ने 42 बच्चों की हत्या की
पुणे की रेणुका और सीमा दो बहनें हैं. वह 24 सालों से पुणे के यरवदा जेल में बंद हैं. यह वही जेल है, जहां कसाब को फांसी दी गई थी. दोनों सगी बहनें हैं. बड़ी रेणुका और छोटी का नाम है सीमा. है. दोनों ने 42 बच्चों की हत्या की. इन हत्याओं में इन दोनों की मां अंजना गावित भी दोषी थी. हालांकि उसकी मौत जेल में ही एक बीमारी से हो चुकी है. इन दोनों की मां अंजना गावित नासिक की रहने वाली थी. वहीं एक ट्रक ड्राइवर से प्यार में भागकर पुणे आ गई. दोनों की एक बेटी हुई रेणुका. इसके बाद प्रेमी ट्रक ड्राइवर पति ने अंजना को छोड़ दिया. इसके एक साल बाद गावित ने एक रिटायर्ड सैनिक मोहन से शादी कर ली. इससे दूसरी बेटी सीमा हुई. ये शादी भी नहीं चली. अब सड़क पर आने के बाद गावित बच्चियों के साथ चोरियां करने लगी. बड़े होने पर बच्चियां भी मदद करने लगीं. फिर वे बच्चे चुराने लगीं. यह काम तब तक जारी रहा जब तक इस गिरोह का पर्दाफाश नहीं हुआ. अगर बच्चा काम का नहीं रहता, तो दोनों बहनें मार देती थीं. ज्यादातर बच्चों की पटक-पटक कर हत्या की गई. बच्चों को मारने के उन्होंने ऐसे तरीके अपनाएं कि उसे सुनकर ही दिल दहल जाए. दोष सिद्धि के मुताबिक 1990 से लेकर 1996 तक छह साल में उन्होंने 42 बच्चों की हत्या कर दी. यह सीरियल किलिंग का मामला भारत ही नहीं, दुनिया के सबसे खतरनाक और दर्दनाक मामलों में से एक था. हालांकि सीआईडी को ज्यादा सबूत नहीं मिले. लेकिन 13 किडनैपिंग और 6 हत्याओं के मामलों में इन तीनों का संलिप्तता साबित हो गई. 2001 में एक सेशन कोर्ट ने दोनों बहनों को मौत की सजा सुनाई. हाईकोर्ट में इस केस की अपील में साल 2004 को हाईकोर्ट ने भी ‘मौत की सजा' को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि ऐसी औरतों के लिए ‘मौत की सजा' से कम कुछ भी नहीं है.
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निठारी कांड के सुरेंद्र कोली समेत 31 पुरुष कैदी भी कर रहे फंदे का इंतजार
जाहिर है कि निर्भया गैंगरेप केस के चारों दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद एक बार फिर से देश में फांसी देने की तैयारी शुरू हो गई है. शबनम के अलावा फांसी का इंतजार कर रही 3 महिलाओं और 31 पुरुषों की फेहरिस्त में एक नाम निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली का भी है. 2014 में कोली की दया याचिका को राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं. कोली को मेरठ की जेल में फांसी देने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गईं थीं, लेकिन ऐन वक्त पर कोली की फांसी पर रोक लग गई और वो फांसी के फंदे से बच गया. अगर पिछली हुई तीन फांसी की बात करें तो उनमें आतंकवादी अजमल कसाब, अफजल गुरु और याकूब मेमन के नाम शामिल हैं. इन तीनों को वर्ष 2012, 2013 और 2015 में फांसी दी गईं थी. अफजल और कसाब संसद हमले से जुड़े थे तो मेमन मुंबई ब्लास्ट में शामिल था. इसके बाद निर्भया कांड के दोषियों को सूली पर चढ़ाया गया था.
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