तालिबान का असल चेहरा आया सामने, अब पढ़ाई भी शरिया के अनुसार
तालिबान एक कदम आगे तो दो कदम पीछे वाली रणनीति पर काम कर रहा है. लड़कियों की शिक्षा और उस पर शरिया का साया इसका उदाहरण है.
highlights
- शरिया के खिलाफ जाने वाले सब्जेक्ट हटेंगे शैक्षिक पाठ्यक्रम से
- लड़के-लड़कियां एक साथ एक क्लास में नहीं कर सकेंगे पढ़ाई
- शिक्षा पर तालिबान की एक कदम आगे दो कदम पीछे की नीति
काबुल:
अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान की अंतरिम सरकार का भले ही शपथ ग्रहण अभी नहीं हुआ है, लेकिन अंतरिम कैबिनेट ने काम करना शुरू कर दिया है. सबसे ज्यादा तेजी शिक्षा विभाग में देखी जा रही है, क्योंकि वैश्विक समुदाय की निगाहें अफगानी महिलाओं और बच्चों के मानवाधिकारों समेत शिक्षा के अधिकारों पर हैं. इस कड़ी में तालिबान (Taliban) सरकार के उच्च शिक्षा मंत्रालय ने दो-टूक कह दिया है कि इस्लामिक कानून यानी शरिया (Sharia) के अनुरूप जो विषय अनुकूल नहीं होंगे, उन्हें उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम से हटा दिया जाएगा. इसके पहले तालिबान ने कहा था कि अफगानिस्तान में लड़कियां भी शरिया के अनुरूप पढ़ाई कर सकेंगी. इस लिहाज से देखें तो तालिबान एक कदम आगे तो दो कदम पीछे वाली रणनीति पर काम कर रहा है. लड़कियों की शिक्षा और उस पर शरिया का साया इसका उदाहरण है.
विदेश में पढ़ने की इजाजत भी संभव
तालिबान सरकार के कार्यवाहक उच्च शिक्षा मंत्री शेख अब्दुल बकी हक्कानी ने साफतौर पर कहा कि लड़के-लड़कियां एक साथ एक ही क्लास में पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. शरिया के अनुसार यह स्वीकार्य नहीं है. इसके साथ ही बकी हक्कानी ने यह भी साफ कर दिया कि इस्लामिक कानून यानी शरिया के अनुसार कुछ विषयों को पाठ्यक्रम से हटाया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ किया है कि सरकारी तैयारियां पूरी होने के बाद स्कूल और सरकारी कॉलेजों समेत यूनिवर्सिटी के खुलने की तारीख बता दी जाएगी. एक अनुमान के मुताबिक हफ्ते भर की अंदर ही शिक्षा को लेकर नई गाइडलाइंस और तारीख घोषित कर दी जाएगी. उच्च शिक्षा मंत्री ने हालांकि इस संभावना से इंकार नहीं किया है कि निकट भविष्य में उच्च शिक्षा के लिए अफगानी विद्यार्थियों को विदेश पढ़ने की इजाजत भी दी जा सकती है. हालांकि इसके लिए एक कार्ययोजना बनाने के बाद ही कोई स्पष्ट निर्णय दिया जा सकेगा.
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अफगानी छात्र-छात्राएं शिक्षा को लेकर चिंतित
तालिबान राज में उच्च शिक्षा मंत्री के इस फरमान के बीच अफगानी छात्र-छात्राओं ने शिक्षा व्यवस्था को लेकर गहरी चिंता जताई है. इसकी एक वजह तो यही है कि तालिबान की वापसी के साथ ही शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति न के बराबर रह गई है. बहुत कम संख्या में ही छात्र यूनिवर्सिटीज में आ रहे हैं. हालांकि दहशत भरे माहौल में छात्रों में अध्ययन को लेकर कई रुचि भी नहीं बची है. हाल-फिलहाल तो पढ़ाई को लेकर छात्र-छात्राओं में कोई उम्मीद नहीं है. उनके जहन में अपने बड़ों से पहले काबिज तालिबान राज की क्रूरता ही दहशत बनकर तारी है.
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छात्राओं को इस्लामी पोशाक पहनना जरूरी
गौरतलब है कि महिला छात्रों को स्कूल-कॉलेज में इस्लामी पोशाक पहनना आवश्यक होगा. तालिबान की यह सख्ती ऐसे समय आई है, जब एक अफगान छात्रा ने इस साल एक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा में शीर्ष स्थान हासिल किया है. जानकारी के मुताबिक इस साल की शुरुआत में कोविड-19 लॉकडाउन से प्रभावित होने के कारण और अगस्त के मध्य में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा किए जाने के बाद अफगान विश्वविद्यालय बंद कर दिए गए थे. हालांकि अफगानिस्तान में तालीबान की कार्यवाहक सरकार की घोषणा के बाद पिछले सप्ताह कई निजी विश्वविद्यालय फिर से खोले गए.
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