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Sri Lanka Crisis: आखिर क्यों धधक रहा है समंदर का मोती?

अब जनता आर-पार के मूड आ गई है. सोमवार को महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) के समर्थकों ने जनता पर ही हमला कर दिया, तो पलटवार में जनता ने 12 सांसदों, मंत्रियों, मेयरों के घर फूंक दिए,दफ्तरों को आग के हवाले कर दिया. गाड़ियों को नेस्तनाबूद कर दिया.

Updated on: 10 May 2022, 09:01 AM

highlights

  • सड़कों पर आखिरी मोर्चा संभालने उतरी जनता
  • अब राजपक्षे परिवार की होगी फाइनल विदाई
  • चीनी कर्ज के मकड़जाल में फंस बर्बाद हुआ श्री लंका

नई दिल्ली:

कभी रेडियो पर राज करता था रेडियो सिलोन. तमाम बॉलीवुडिया गानों को घर-घर में लोकप्रियता के चरम तक पहुंचाने वाला रेडियो सिलोन (Radio Ceylon) श्री लंका से चलता था. ये एशिया में सबसे ज्यादा सुना जाने वाला रेडियो स्टेशन था. फिर सिलोन का नाम श्री लंका (Sri Lanka) हो गया, जो उसका पौराणिक नाम भी है. वो श्री लंका भारत से सिर्फ एक साल बाद ही 1948 में आजाद हो गया था. बीच में इस देश ने भाषाई आधार पर बहुत हिंसा देखी. हालात अब भी तनावपूर्ण ही रहते हैं. अब तो मजहबी रंग भी फिज़ा में घुल गए हैं. चर्च से लेकर मस्जिदों तक में धमाके हो चुके हैं. खैर, इतना सब कुछ बताने के पीछे का मकसद ये है कि श्री लंका इस समय मुसीबत में है. जनता तक सामान्य जरूरत की चीजों की आपूर्ति तक नहीं हो पा रही है. जनता सड़कों पर है. 26 सालों के गृहयुद्ध (Civil War) से उबर रहे श्री लंका की कमान लंबे समय से महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार के हाथों में थी, अब भी है. भले ही कैबिनेट को जनता के सामने इस्तीफा देना पड़ा हो. लेकिन अब जनता आर-पार के मूड आ गई है. सोमवार को महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) के समर्थकों ने जनता पर ही हमला कर दिया, तो पलटवार में जनता ने 12 सांसदों, मंत्रियों, मेयरों के घर फूंक दिए,दफ्तरों को आग के हवाले कर दिया. गाड़ियों को नेस्तनाबूद कर दिया. अब महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) को भी इस्तीफा देना पड़ा है, लेकिन सत्ता पर पकड़ उनकी अब भी उतनी ही मजबूत है, जितनी पहले थी. हो भी क्यों न? संवैधानिक तौर पर उनके भाई गोटाबाया राजपक्षे ही देश के राष्ट्रपति हैं, जिनके हाथों में अधिकतर कार्यकारी शक्तियां हैं. 

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श्री लंका (Sri Lanka Crisis) में सरकार समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई झड़प में राजपक्षे बंधुओं की सत्तारूढ़ पार्टी के एक सांसद और 5 लोगों की मौत हो गई और लगभग 200 घायल हो गए. प्रदर्शनकारियों ने महिंदा राजपक्षे और मंत्रियों का घर फूंक दिया है. इस बीच पुलिस ने बताया कि पोलोन्नारुआ जिले से श्री लंका पोदुजना पेरामुना के सांसद अमरकीर्ति अतुकोराला (57) को सरकार विरोधी समूह ने पश्चिमी शहर नित्तम्बुआ में घेर लिया था. वहीं, लोगों का दावा है कि सांसद की कार से गोली चली थी और जब आक्रोशित भीड़ ने उन्हें कार से उतारा तो उन्होंने भागकर एक इमारत में शरण ली. बाद में उन्होंने खुद को गोली मार कर जान दे दी. इसके अलावा आक्रोशित भीड़ ने पूर्व मंत्री जॉनसन फर्नांडो के कुरुनेगाला और कोलंबों स्थित कार्यालयों पर हमला किया है. पूर्व मंत्री नीमल लांजा, महापौर समन लाल फर्नांडो, मजदूर नेता महिंदा कहानदागमागे के घरों पर भी हमले हुए हैं.

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चीनी कर्ज के मकड़जाल में उलझा श्री लंका

श्री लंका (Sri Lanka) की आज जो हालत है, उसके पीछे राजपक्षे परिवार पूरी तरह से जिम्मेदार है. आपको याद न हो, तो याद दिला देते हैं. जनवरी महीने में श्री लंका सरकार की तरफ से एक बयान आया था. ये बयान था-'कोलंबो और बीजिंग के बीच किसी तीसरी शक्ति की जरूरत नहीं है'. और अब हालात यहां तक बिगड़ चुके हैं कि सड़कों पर जनता है. जनता का पेट खाली है. हालांकि भारत कई बार श्री लंका की मदद कर चुका है, लेकिन भारत कब तक मदद करता रहेगा? श्री लंका के लिए भारत जरूरत का सामान भी भेज रहा है, लेकिन देश की इतनी बड़ी आबादी की जरूरत पूरी कर पाना किसी भी दूसरे देश के लिए बड़ी चुनौती है. 

बेसहारा हो गई है जनता

आज श्री लंका (Sri Lanka) कर्ज के जाल में जकड़ा हुआ है. अब स्थिति पूरी तरह बिगड़ चुकी है. वहां गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं. वो विदेशी कर्ज चुकाने की हालत में नहीं है. अप्रूवल रेटिंग काफी गिर चुकी है. वर्ल्ड बैंक भी नया कर्ज नहीं दे रहा है. इसके अलावा श्री लंका (Sri Lanka) की आय का सबसे बड़ा स्रोत है पर्यटन, जिसपर कोरोना वायरस की मार बुरी तरह से पड़ी है. जनता त्राहिमाम कर रही है. लेकिन इन सब के पीछे जो लोग हैं, वो ताकत अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहते. भले ही कुछ भी हो जाए.