Sri Lanka Crisis: चावल-चीनी के दाम छू रहे आसमान, नागरिक छोड़ रहे देश; जानें-क्यों हुआ बुरा हाल
बीते कुछ दिनों में कई श्रीलंकाई नागरिक सीमा पार कर के भारत के तमिलनाडु में घुस आए हैं. अनुमान है कि 3-4 हजार तक श्रीलंका के नागरिक देश छोड़कर भारत आ सकते हैं. वो जान हथेली पर रख कर नाव के सहारे समंदर पार कर रहे हैं.
highlights
- श्रीलंका की अर्थव्यवस्था एक दम बर्बाद
- देश छोड़ कर भाग रहे हैं श्रीलंकाई नागरिक
- देश की अप्रूवल रेटिंग गिरी, विदेशी मुद्रा भंडार खाली
नई दिल्ली:
भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका की हालत खस्ता है. देश इस समय गहरे आर्थिक संकट में है. महंगाई आसमान छू रही है. खाने-पीने के सामान की भी किल्लत है. पर्यटन अभी तक शुरू नहीं हुआ है. श्रीलंका में लोग भूखे मरने को मजबूर हो रहे हैं. लोग जान बचाने के लिए देश छोड़ कर भाग रहे हैं. श्रीलंका के कई नागरिक भारतीय सीमा को अवैध तरीके से पार करते हुए पकड़े गए हैं. उन्होंने श्रीलंका के जो हालात बयां किए हैं, वो हैरान करने वाले हैं. श्रीलंका की हालत इतनी बुरी हो चुकी है कि एक किलो चावल के लिए 500 श्रीलंकाई रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं. यही नहीं, पाउडर वाले दूध का 400 ग्राम का डिब्बा करीब 800 रुपये का बिक रहा है. चीनी की कीमत करीब 300 रुपये प्रति किलो हो गई है.
श्रीलंका में हाहाकार, भारत में शरणार्थी बन पहुंच रहे लोग
बीते कुछ दिनों में कई श्रीलंकाई नागरिक सीमा पार कर के भारत के तमिलनाडु में घुस आए हैं. अनुमान है कि 3-4 हजार तक श्रीलंका के नागरिक देश छोड़कर भारत आ सकते हैं. वो जान हथेली पर रख कर नाव के सहारे समंदर पार कर रहे हैं. एक परिवार ने बताया था कि उनकी नाव का इंजन खराब हो जाने की वजह से पूरा परिवार करीब 35 घंटों तक समंदर में ही फंसा रहा था. इस परिवार को भारतीय तटरक्षक दल ने बचाया. ऐसे कई परिवार तमिलनाडु मरीन पुलिस की हिरासत में हैं, जो अवैध रूप से सीमा पार कर भारत पहुंच चुके हैं.
श्रीलंका में पेपर की कमी, परीक्षाएं हुईं रद्द
श्रीलंका (Sri Lanka) में कागज की भारी कमी हो गई है. श्रीलंका अपनी जरूरत का कागज बाहर से मंगाता है. लेकिन देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी होने के चलते जरूरत भर का कागज भी श्रीलंका नहीं मंगा पा रहा है. इसकी वजह से स्कूल-कॉलेज की परीक्षाएं रद्द हो गई हैं. अखबार छपने बंद हो चुके हैं और हाल फिलहाल इसमें सुधार होता भी नहीं दिख रहा है.
श्रीलंका की खस्ता हालत के पीछे कई वजहें
श्रीलंका सरकार की कई नीतियां इन हालात के पीछे जिम्मेदार हैं. श्रीलंका कर्ज के जाल में जकड़ा हुआ है. चीन का भारी कर्ज श्रीलंका चुकाने की हालत में नहीं है. भारत कई बार श्रीलंका की मदद कर चुका है, लेकिन भारत कब तक मदद करता रहेगा? श्रीलंका के लिए भारत जरूरत का सामान भी भेज रहा है, लेकिन देश की इतनी बड़ी आबादी की जरूरत पूरी कर पाना किसी भी दूसरे देश के लिए बड़ी चुनौती है. श्रीलंका की अप्रूवल रेटिंग काफी गिर चुकी है. वर्ल्ड बैंक भी नया कर्ज नहीं दे रहा है. इसके अलावा श्रीलंका की आय का सबसे बड़ा स्रोत है पर्यटन, जिसपर कोरोना वायरस की मार बुरी तरह से पड़ी है.
पर्यटन पर मार, आयात का भारी बिल
श्रीलंका की खराब आर्थिक हालत (Sri lankan Economy Crisis) के पीछे उसके मुख्य कारोबार का चौपट हो जाना है. कोरोना वायरस की वजह से बीते ढाई साल में न के बराबर पर्यटन रहा है. इसकी वजह से मिलने वाली विदेशी मुद्रा की आवक ठप हो गई है. रही सही कसर देश के आयात के लंबे-चौड़े बिल ने पूरी कर दी है. श्रीलंका अपनी जरूरत का अधिकतर सामान बाहर से मंगाता है. लेकिन उसके भुगतान के लिए श्रीलंका को डॉलर की जरूरत होती है. आज श्रीलंकन करेंसी बिल्कुल टूट चुकी है. डॉलर की तुलना में श्रीलंकाई रुपये की कीमत 202 के पार हो चुकी है. बिजली की भारी कमी है. तेल के लिए मारा मारी मची है. इसके अलावा श्रीलंका की सकल घरेलू आय बेहद कम है. पर्यटन ठप है. इंपोर्ट बिल बढ़ रहा है. एक-दो देशों को चाय भेजकर श्रीलंका ने मामले को संभालने की कोशिश की, लेकिन चाय भी पूरे देश का कब तक बोझ उठा सकता था?
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