राज्यसभा चुनाव: चौथा उम्मीदवार नहीं उतारेंगे अखिलेश यादव, अतीत से लिया सबक?
सपा ने कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल और सपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य जावेद अली और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) प्रमुख जयंत चौधरी को अपना राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किया है. इस बार बसपा, कांग्रेस, निर्दलीय और कुछ अन्य छोटे दल...
highlights
- राज्यसभा चुनाव में बीजेपी 8, सपा 3 सीटों पर लड़ रही चुनाव
- सभी प्रत्याशियों के निर्विरोध चुने जाने की उम्मीद
- अखिलेश यादव ने किया साफ, चौथा उम्मीदवार उतारने की मंशा नहीं
लखनऊ:
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने लखनऊ में बयान दिया है कि वो राज्यसभा चुनाव (Rajyasabha Election) के लिए अपनी पार्टी की तरफ से चौथा उम्मीदवार नहीं उतारेंगे. दरअसल, सपा के पास तीन सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए पूरी संख्या है, लेकिन इसके अलावा भी उनके पास ताकत है. ऐसे में वो चौथी सीट के लिए जोर लगाते हैं और जोड़-तोड़ करने की कोशिश करते हैं तो समाजवादी पार्टी को चौथी सीट पर जीत दर्ज करने की थोड़ी संभावना जरूर दिखती है, लेकिन पिछली बार के चुनाव को देखते हुए अखिलेश यादव ऐसा रिस्क नहीं लेना चाहते. इसीलिए उन्होंने साफ कर दिया है कि जितनी सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए उनके पास पूरी ताकत है, केवल उतनी ही सीटों पर उम्मीदवार उतारे जाएंगे.
यूपी में इस बार राज्यसभा चुनाव की टाइमलाइन
बता दें कि राज्यसभा में उत्तर प्रदेश के कुल 31 सदस्यों में से 11 सदस्यों का कार्यकाल आगामी 4 जुलाई को पूरा हो रहा है. इनमें भाजपा के जफर इस्लाम, शिव प्रताप शुक्ला, संजय सेठ, सुरेंद्र नागर और जयप्रकाश निषाद शामिल हैं. इसके अलावा सपा के सुखराम सिंह यादव, रेवती रमण सिंह और विशंभर प्रसाद निषाद का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है. इन 11 सीटों के लिए 31 मई तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे. पहली जून को नामांकन की जांच होगी. तीन जून तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे. 10 जून को मतदान होगा. उस दिन मतदान सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक होगा. उसी दिन शाम पांच बजे से मतगणना होगा और परिणाम की घोषणा की जाएगी. इन राज्यसभा सीटों पर मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल चार जुलाई को खत्म हो रहा है. इनमें पांच भाजपा, तीन सपा, दो बसपा और कांग्रेस के एक सदस्य शामिल हैं.
यूपी में एनडीए के पास 273 विधायक, विपक्ष के पास 125 विधायक
यूपी की 403 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 255 और उसके सहयोगी दलों को मिलाकर कुल 273 विधायक हैं. उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के एक प्रत्याशी को जीतने के लिए कम से कम 34 विधायकों के वोट की जरूरत होती है. ऐसे में बीजेपी राज्यसभा की 11 सीटों में से आठ पर अपने उम्मीदवारों को आसानी से जीत दिला सकती है. वहीं दूसरी ओर सपा और उसके सहयोगी दलों के सदस्यों की कुल संख्या 125 है और वह तीन उम्मीदवारों को जिता सकती है. लेकिन अगर चाहें तो दोनों ही पार्टियां एक-एक सीट के लिए लड़ाई में उतर सकती हैं.
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पिछली बार क्या हुआ था खेल?
यूपी में कुल विधानसभा सीटों की संख्या 403 है, इस बार राज्य की 11 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहा है. तो फॉर्मूला कुछ ऐसा होगा - 403/ [11+1] +1 = 34 ... यानी उम्मीदवार को जीत के लिए 34 पहली वरीयता वाले वोटों की जरूरत होगी. यूपी से बीजेपी के राज्यसभा उम्मीदवारों में जफर इस्लाम, शिव प्रताप शुक्ला, संजय सेठ, सुरेंद्र नागर और जयप्रकाश निषाद जैसे नेता शामिल हैं. पार्टी जल्द पूरी लिस्ट जारी कर सकती है. वहीं सपा ने कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल और सपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य जावेद अली और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) प्रमुख जयंत चौधरी को अपना राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किया है. इस बार बसपा, कांग्रेस, निर्दलीय और कुछ अन्य छोटे दल राज्यसभा चुनाव से दूर हैं. लेकिन अगर समाजवादी पार्टी उन्हें इकट्ठा कर लेती है, या बीजेपी की सहयोगी पार्टियों को क्रॉस वोटिंग के लिए राजी कर लेती है, तो वो एक और सीट जीतने की स्थिति में पहुंच सकती है. हालांकि ऐसा करना खतरे से खाली नहीं है.
दरअसल, पिछली बार जनसत्ता दल, बीएसपी के विधायकों ने सपा को जो झटका दिया था, वो झटका अब तक अखिलेश यादव को साल रहा है. इसके अलावा साल 2018 में ऐसा ही कुछ खेल बसपा-सपा के साथ हुआ था, जब साल 2018 में क्रॉस वोटिंग और विधायकों के पाला बदलने की वजह से बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर सीधे निर्वाचन के लिए जरूरी 37 वोट नहीं जुटा पाए. उन्हें पहली वरीयता के 33 वोट ही मिले. वहीं पहली वरीयता के 22 वोट हासिल करने वाले बीजेपी उम्मीदवार अनिल अग्रवाल दूसरी वरीयता के वोटों के आधार पर निर्वाचित घोषित किए गए थे. यही वजह है कि उन्होंने पहले ही अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है कि वो एक सीट के लालच में बहुत कुछ नहीं खोएंगे.
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