भविष्य का राजनीति का केंद्र बनने जा रहा राजस्थान, बीजेपी-कांग्रेस के लिए अहम
कांग्रेस मुक्त भारत के सपने को साकार करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भाजपा कांग्रेस शासित दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर खास ध्यान दे रही है.
highlights
- कांग्रेस चिंतन शिविर तो बीजेपी राष्ट्रीय पदाधिकारियों की करेगी बैठक
- 9 विधानसभा चुनावों समेत लोकसभा चुनाव के लिए तैयार होगी रणनीति
नई दिल्ली:
राजस्थान (Rajasthan) मई के महीने में देश की राजनीति का केंद्र बिंदु बनने जा रहा है. देश की दो सबसे बड़ी पार्टियां भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (Congress) इस महीने राजस्थान में अपने-अपने दल की बड़ी बैठक करने जा रहे हैं. कांग्रेस अपनी पार्टी की दशा-दिशा सुधारने के लिए राजस्थान के उदयपुर में 13 से 15 मई के बीच तीन दिवसीय चिंतन शिविर बैठक करने जा रही है, तो इसके अगले सप्ताह 20-21 मई को भाजपा आगामी विधान सभा चुनाव (Assembly Elections) की तैयारियों और संगठन को मजबूत बनाने की रणनीति पर विचार-विमर्श करने के लिए राजस्थान के ही जयपुर में राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक करने जा रही है,
9 विधानसभा और लोकसभा चुनाव पर नजर
एक मायने में देखा जाए तो दोनों ही राजनीतिक दल राजस्थान में बैठक कर 2022 और 2023 में होने वाले नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार करेंगे, लेकिन कांग्रेस मुक्त भारत के सपने को साकार करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भाजपा कांग्रेस शासित दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर खास ध्यान दे रही है. भाजपा आलाकमान की इसी मंशा को समझते हुए राजस्थान भाजपा की कद्दावर नेता मानी जाने वाली वसुंधरा राजे ने भाजपा आलाकमान के साथ मेल-मिलाप का सिलसिला शुरू कर दिया है. राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी और वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर कार्य कर रही वसुंधरा राजे और आलाकमान के रिश्ते जगजाहिर रहे हैं, लेकिन पिछले डेढ़ महीनों के दौरान इसे सुधारने के लिए वसुंधरा राजे ने अपनी तरफ से पहल की है.
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वसुंधरा राजे ने बीजेपी हाईकमान से रिश्ते किए सुधारने
मुलाकातों के सिलसिले की बात करें तो पिछले डेढ़ महीनों के दौरान वसुंधरा राजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत पार्टी के कई आला नेताओं से मुलाकत कर अपनी बात रखी है. 24 मार्च को वसुंधरा राजे ने नई दिल्ली में संसद भवन में प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमन और राजस्थान भाजपा के प्रभारी अरुण सिंह के साथ मुलाकात की थी. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में देहरादून गई वसुंधरा राजे और गृह मंत्री अमित शाह के बीच उसी दिन एयरपोर्ट पर महत्वपूर्ण मुलाकात हुई. वसुंधरा ने 29 मार्च को नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. जाहिर तौर पर इन मुलाकातों के दौरान राजस्थान के राजनीतिक हालात को लेकर चर्चा हुई और दोनों ने एक दूसरे को समझने की कोशिश भी की.
राजस्थान में सामूहिक नेतृत्व के नाम पर लड़ेगी बीजेपी
ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर राजस्थान को लेकर वसुंधरा राजे सिंधिया की कोशिशों का क्या परिणाम निकला? भाजपा आलाकमान राजस्थान को लेकर आखिर क्या सोच रहा है? क्या भाजपा मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के नाम के साथ अशोक गहलोत के खिलाफ विधान सभा चुनाव में उतरेगी या सामूहिक नेतृत्व के आधार पर चुनाव लडे्गी? इन सवालों का जवाब देते हुए भाजपा के एक बड़े नेता ने बताया कि फिलहाल भाजपा आलाकमान की सबसे बड़ी कोशिश राज्य संगठन में घर कर चुकी गुटबाजी को पूरी तरह से खत्म करना है. इसीलिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्वयं पहल करते हुए 19 अप्रैल को अपने आवास पर राजस्थान भाजपा के सभी नेताओं को बुलाकर गुटबाजी को खत्म कर मिलकर गहलोत सरकार के खिलाफ लड़ने की नसीहत दी.
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नड्डा का दो दिवसीय दौरा 10 मई से
उस दिन नड्डा के आवास पर लगभग पौने पांच घंटे तक चली बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अलावा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, राजस्थान से लोक सभा सांसद एवं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, प्रदेश संगठन महासचिव चंद्रशेखर और राजस्थान विधानसभा में नेता विपक्ष गुलाबचंद कटारिया सहित राज्य के कई अन्य दिग्गज नेता भी शामिल हुए थे. राजस्थान भाजपा के लिए कितना अहम बन गया है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 20-21 मई को जयपुर में होने वाली राष्ट्रीय पदाधिकारी बैठक से पहले जेपी नड्डा 10 मई को राज्य के दो दिवसीय दौरे पर जा रहे हैं. अमित शाह भी इसी महीने राज्य के आदिवासी इलाकों के दौरे पर रहेंगे तो वहीं राजस्थान भाजपा प्रभारी अरुण सिंह एक सप्ताह के लिए राज्य के दौरे पर जा रहे हैं.
फिलहाल जोर गुटबाजी दूर कर एक होने का
भाजपा के एक बड़े नेता ने पार्टी की रणनीति के बारे में कहा कि वसुंधरा राजे राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और इसमें कोई दो राय नहीं है कि वो भाजपा की कद्दावर नेता है और इसलिए पार्टी ने उन्हे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का दायित्व भी दे रखा है, लेकिन जहां तक विधानसभा चुनाव में चेहरे का सवाल है, यह राज्य विशेष की राजनीतिक परिस्थिति पर निर्भर करता है. भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके पास मजबूत संगठन और नरेंद्र मोदी जैसा लोकप्रिय नेता है. दरअसल, यह बताया जा रहा है कि भाजपा में ज्यादातर लोगों की राय राजस्थान में सामूहिक नेतृत्व के आधार पर ही चुनाव लड़ने की है. यानि राजस्थान के सभी नेता गुटबाजी दूर कर और मिलकर केंद्र सरकार के जनकल्याणकारी योजनाओं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रिय चेहरे और गहलोत सरकार की नाकामियों को सामने रखकर चुनावी मैदान में उतरें और मुख्यमंत्री का चयन चुनाव जीतने के बाद किया जाए. हालांकि, चेहरे को लेकर भाजपा के अंतिम फैसले और आखिरी घोषणा के लिए चुनाव के समय तक का इंतजार करना पड़ेगा.
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