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पीएम की सुरक्षा में गंभीर चूक, ब्लू बुक का पंजाब पुलिस ने किया सिरे से उल्लंघन

पीएम की सुरक्षा में लगे एसपीजी के जवानों को अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के मानकों के अनुरूप प्रशिक्षण दिया जाता है.

Updated on: 06 Jan 2022, 09:07 AM

highlights

  • आंदोलन से लगे जाम के इंटेलिजेंस इनपुट को एसपीजी से नहीं किया पंजाब पुलिस ने साझा
  • पीएम की सुरक्षा का दारोमदार एसपीजी पर, स्थानीय पुलिस पर रास्ते की सुरक्षा का जिम्मा
  • पीएम का काफिला जहां फंसा, वहां से पाकिस्तान सीमा है बमुश्किल 28-30 किलोमीटर

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान बठिंडा में उनका काफिला आंदोलनरत किसानों के कारण लगे जाम की वजह से एक फ्लाईओवर पर लगभग 20 मिनट तक फंसा रहा. पीएम की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह तो सक्रिय हो ही गए, पंजाब पुलिस भी ब्लू बुक के उल्लंघन के गंभीर आरोप से घिर गई. इसके बाद एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर पीएम के काफिले में सुरक्षा की इतनी बड़ी चूक की जिम्मेदारी किसकी है. हालांकि पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन मसले पर राजनीतिक घमासान के बीच पीएम की सुरक्षा पर नए सिरे से बहस शुरू हो गई है. 

अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के मानकों पर प्रशिक्षित होते हैं एसपीजी कमांडो
जानकारों के मुताबिक पीएम की सुरक्षा की प्रमुख जिम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के पास है. विगत सालों एसपीजी एक्ट में संशोधन के बाद एसपीजी के पास सिर्फ प्रधानमंत्री की सुरक्षा का ही जिम्मा है. पीएम की सुरक्षा में लगे एसपीजी के जवानों को अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के मानकों के अनुरूप प्रशिक्षण दिया जाता है. पीएम के हर दौरे के रास्तों के आसपास एसपीजी के शार्प शूटर तैनात रहते हैं. ये शार्प शूटर एमएनएफ-2000 असॉल्ट राइफल, ऑटोमेटिक गन और 17 एम रिवॉल्वर जैसे आधुनिक हथियार रखते हैं. इनकी मदद से ये एक सेकंड में किसी भी अवांछित शख्स को ढेर करने में सक्षम हैं. 

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मुख्य दारोमदार एसपीजी पर, अन्य सुरक्षा एजेंसियों का भी सहयोग
भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा बहुत कड़ी और कई घेरों में होती है. इसका प्रमुख दारोमदार एसपीजी पर है. हालांकि अन्य सुरक्षा एजेंसियों का सहयोग एसपीजी को मिलता है. इनमें एनएसजी कमांडो, स्थानीय पुलिस, अर्धसैन्य बल की टुकड़ी और केंद्र व राज्य की खुफिया एजेंसियां भी शामिल हैं. एएसएल या उन्नत सुरक्षा संपर्क भी एसपीजी द्वारा किया जाता है. यानी पीएम की यात्रा के हर मिनट का दस्तावेजीकरण और निगरानी केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी करते हैं. पीएम अगर किसी राज्य के दौरे पर हैं, तो स्थानीय पुलिस इस मिनट-टू-मिनट कार्यक्रम का संचालन करती है. हालांकि इसकी निगरानी भी एसपीजी अधिकारी करते हैं. 

पंजाब पुलिस ने किया ब्लू बुक का उल्लंघन
ऐसे में पंजाब पुलिस अगर पीएम के काफिले की सुरक्षा में चूक को लेकर कठघरे में है, तो कतई गलत नहीं है. किसी राज्य के दौरे पर पीएम जिस मार्ग पर जाने वाले हैं, उसकी चाक-चौबंद सुरक्षा को राज्य पुलिस अंतिम रूप देकर वह जानकारी एसपीजी से साझा करती है. ऐसे में प्रदर्शनकारियों के सड़क जाम करने की सूचना क्यों नहीं साझा की गई, यह एक बड़ा सवाल है. ब्लू बुक नियमों के अनुसार डीजीपी या एक नामित अधिकारी को पीएम के काफिले में यात्रा करनी चाहिए. पीएम के काफिले में यात्रा करने के लिए डीजीपी के लिए भी एक खास वाहन रहता है. यही नहीं, यदि प्रधानमंत्री किसी कार्यक्रम स्थल तक पहुंचने के लिए हेलिकॉप्टर से जाने वाले हैं, तो भी कम से कम एक वैकल्पिक सड़क मार्ग तैयार रखा जाता है.

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20 मिनट तक काफिला रुकना सुरक्षा में गंभीर चूक
पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक के मामले के बाद गृह मंत्रालय से जानकारी मिली है कि पंजाब पुलिस को पहले से प्रदर्शनकारियों के बारे में खुफिया जानकारी मिल गई थी. इसके बावजूद उन्होंने ब्लू बुक के नियमों का पालन नहीं किया और न ही दूसरे रूट की तैयारी की. गौरतलब है कि एसपीजी की ब्लू बुक में प्रधानमंत्री की सुरक्षा संबंधी व्यापक दिशा-निर्देश होते हैं. बताते हैं कि इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी लगातार पंजाब पुलिस के संपर्क में थे. यही नहीं, उन्हें प्रदर्शनकारियों के बारे में जानकारी भी दी थी और पंजाब पुलिस ने उन्हें पूरी सुरक्षा देने का आश्वसान दिया था. इसके बावजूद पीएम मोदी का काफिला जब फ्लाईओवर पर पहुंचा तो कुछ प्रदर्शनकारियों ने वह रास्ता रोक रखा था. ऐसे में पीएम मोदी का काफिला फ्लाईओवर पर करीब 20 मिनट तक फंसा रहा, जो सुरक्षा के लिहाज से एक बेहद गंभीर चूक है.

पीएम के काफिले की सुरक्षा का ब्योरा
प्रधानमंत्री के काफिले में 2 बख्तरबंद बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज सेडान, 6 बीएमडब्ल्यू एक्स 5 और एक मर्सिडीज बेंज एंबुलेंस के साथ एक दर्जन से अधिक वाहन होते हैं. इनके साथ ही एक टाटा सफारी जैमर भी काफिले में होता है. जैमर वाहन पर कई एंटीना होते हैं, जो सड़क के दोनों ओर रखे गए बमों को 100 मीटर की दूरी पर डिफ्यूज करने में सक्षम होते हैं. इसके अलावा पीएम के काफिले के ठीक आगे और पीछे पुलिस की गाड़ियां होती हैं. बाईं और दाईं ओर दो और वाहन होते हैं और बीच में प्रधानमंत्री का बुलेटप्रूफ वाहन होता है. यही नहीं, आतंकियों या किसी अन्य हमलावर को गुमराह करने के लिए काफिले में दो डमी कारें शामिल होती हैं.