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किसान आंदोलन की आड़ में चुनाव के लिए पंजाब में जमीन तलाश रही पार्टियां

कृषि बिल के खिलाफ किसान सड़क पर उतर प्रदर्शन कर रहे हैं. पंजाब के रास्ते किसान दिल्ली कच कर रहे हैं. इन्हें रोकने के लिए हरियाणा और दिल्ली सीमा पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है.

Updated on: 27 Nov 2020, 12:24 PM

नई दिल्ली:

कृषि बिल के खिलाफ किसान सड़क पर उतर प्रदर्शन कर रहे हैं. पंजाब के रास्ते किसान दिल्ली कच कर रहे हैं. इन्हें रोकने के लिए हरियाणा और दिल्ली सीमा पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. कई जगहों पर किसानों के साथ पुलिस की झड़प होने की भी खबरें हैं. इस आंदोलन को लेकर कांग्रेस नेताओं के लगातार सामने आ रहे बयान इस बात के साफ संकेत दे रहे हैं कि किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस अवसर तलाश रही है.  

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भूमि अधिग्रहण बिल जैसा माहौल बनाने की कोशिश
दरअसल किसान बिलों को लेकर जिस तरह से देश भर में एक नया किसान आंदोलन खड़ा होने की उम्मीद बन रही है, उसमें कांग्रेस अपने लिए भी बड़ा मौका देख रही है. किसानों के समर्थन में उतर कांग्रेस खुद को किसानों का सबसे बड़ा हितैषी दिखाकर जमीन पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है. कांग्रेस किसान बिल को लेकर कुछ उसी तरह का माहौल बना रही है जैसा उसने भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर बनाया था. तब कांग्रेस के प्रदर्शनों के बाद मोदी सरकार को लैंड बिल पर अपने पैर वापस खींचने पडे़ थे. लेकिन आज परिस्थितियां कुछ अलग हैं.

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बीजेपी शासित राज्यों में किसानों ने कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया है. सिर्फ चुनिंदा राज्यों और कांग्रेस शासित पंजाब में भी सबसे ज्यादा प्रदर्शन होने और राजस्थान में किसानों की शांति से कांग्रेस भी इस बात को समझती है कि किसान पर मोदी सरकार को झुकाना इतना आसान नहीं होगा. फिर भी कांग्रेस इस पर आक्रामक ढंग से आगे बढ़ रही है तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजह हाल में बिहार और कुछ राज्यों में हुए उपचुनाव में मिली हार के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना ही है.  

चुनाव में जमीन मजबूत करने की कोशिश 
पंजाब पूरी तरह कृषि आधारित राज्य है. यहां की बड़ी आबादी सिर्फ खेती पर ही आश्रित है. पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में कांग्रेस के हाथ बड़ा मुद्दा लगा है. कांग्रेस के सामने एक तरफ अपने किले को बचाने की चुनौती है तो वहीं किसान बिल को लेकर मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देकर अकाली दल ने भी अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है. किसान बिलों के विरोध में कांग्रेस के प्रमुख विपक्षी अकाली दल ने मोदी सरकार से इस्तीफा देकर खुद की शहादत सामने रखते हुए कांग्रेस के लिए चुनौती पेश की है.