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J&K में मोदी सरकार दिल की दूरी मिटाने ला सकती है अनुच्छेद-371 के प्रावधान

कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्य के कुछ इलाकों में अनुच्छेद-371 के प्रावधान लागू किए जा सकते हैं ताकि अनुच्छेद-370 की मांग कमजोर पड़े.

Updated on: 27 Jun 2021, 11:59 AM

highlights

  • मोदी सरकार अनुच्छेद-370 की मांग भोथरी करने उठा सकती है कदम
  • देश के कुछ राज्यों को अनुच्छेद-371 के तहत सीमित स्वायत्तता दी गई
  • 31 अगस्त तक परिसीमन के काम संग अनुच्छेद-371 पर बन सकती है राय

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) से दिल्ली और दिल की दूरी कम करने के लिए राज्य से अनुच्छेद-370 (Article 370) और पूर्ण राज्य का दर्जा हटने के एक साल 10 महीने बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने राज्य की 8 पार्टियों के 14 नेताओं से प्रधानमंत्री आवास पर बीते गुरुवार को मैराथन बैठक की. इस बैठक से राज्य में राजनीतिक हालात फिर सामान्य होने की उम्मीद बंधी है. बैठक के बाद महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला समेत कश्मीर के नेता पूर्ण राज्य का दर्जा लौटाने के साथ ही आर्टिकल-370 की बहाली पर अड़े दिखे. हालांकि ऐसे भी कयास है कि मोदी सरकार घाटी में विश्वास बहाली के लिए अब अनुच्छेद-371 को आधार बना सकते हैं. 

कुछ इलाकों में अनुच्छेद-371 के प्रावधान हो सकते हैं लागू
ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्य के कुछ इलाकों में अनुच्छेद-371 के प्रावधान लागू किए जा सकते हैं ताकि अनुच्छेद-370 की मांग कमजोर पड़े. चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से बताया कि 31 अगस्त तक परिसीमन का काम हो जाएगा. इस बीच अनुच्छेद-370 के विशेष प्रावधानों की मांग कर रहे नेताओं और दलों को अनुच्छेद-371 के विशेष प्रावधानों पर राजी किया जा सकता है. इस तरह गतिरोध के इस दोराहे में बीच का रास्ता भी तलाश लिया गया है. आर्टिकल-371 हिमाचल, गुजरात, उत्तराखंड समेत देश के 11 राज्यों में लागू है. 

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क्या है अनुच्छेद-371
भारतीय संविधान के अनुसार देश के कुछ राज्यों को अनुच्छेद-371 के तहत सीमित स्वायत्तता दी गई है. ऐसे राज्यों में नगालैंड समेत पूर्वोत्तर के कुछ राज्य शामिल हैं. अनुच्छेद-371 (ए-जे) नगालैंड, असम, मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश आदि राज्यों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. इन राज्यों को विशेष दर्जा उनकी जनजातीय संस्कृति को संरक्षण प्रदान करता है. अनुच्छेद-371 में गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और आंध्रप्रदेश के लिए भी कुछ मामलों में विशेष उपबन्ध किए गए हैं. हालांकि अनुच्छेद-371 के तहत कुछ राज्यों के लिए किए गए विशेष प्रावधान समय के साथ खत्म हो चुके हैं.

अनुच्छेद-371 के तहत विशेष अधिकार

  • यदि अनुच्छेद-371 से जुड़े विशेषाधिकार की बात करें तो हिमाचल प्रदेश में बाहरी व्यक्ति खेती के लिए जमीन नहीं खरीद सकता. इतना ही नहीं हिमाचल प्रदेश का निवासी यदि किसान नहीं है तो वह भी खेती की जमीन नहीं खरीद सकता
  • इसी तरह अनुच्छेद 371-A के तहत नगालैंड तीन विशेष अधिकार दिए गए हैं- 1. भारतीय संसद का कोई भी कानून नगालैंड के लोगों के सांस्कृतिक और धार्मिक मामलों में लागू नहीं होगा. 2. नगा लोगों के प्रथागत कानूनों और परंपराओं को लेकर संसद का कानून और सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश लागू नहीं होगा. और 3. नगालैंड में जमीन और संसाधन किसी गैर नगा को स्थानांतरित नहीं किया जा सकेगा. इसके साथ ही स्थानीय नागरिक ही नगालैंड की जमीन खरीद सकता है. दूसरे राज्य का व्यक्ति यहां जमीन नहीं खरीद सकता
  • अनुच्छेद 371 जी के तहत मिजोरम में भी जमीन का मालिकाना हक सिर्फ वहां बसने वाले आदिवासियों का है. कोई बाहरी व्यक्ति वहां जमीन नहीं खरीद सकता
  • आर्टिकल 371 सी मणिपुर को विशेष सुविधा प्रदान करता है. इसमें यहां की विधानसभा के लिए पहाड़ी इलाकों से कुछ सदस्य चुने जाते हैं. इसके बेहतर कार्यान्वयन की जिम्मेदारी राज्यपाल की होती है
  • आर्टिकल 371 डी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को विशेष सुविधा देता है. इस आर्टिकल के जरिए राज्य के सभी इलाकों में समान रूप से रोजगार और शिक्षा के अवसर मुहैया करवाने की सुविधा प्रदान की जाती है. इस बारे में राष्ट्रपति राज्य शासन को दिशा निर्देश दे सकते हैं.

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अनुच्छेद-370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले थे विशेष अधिकार 

    • संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था, लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन आवश्यक था
    • राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था
    • 1976 का शहरी भूमि कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था
    • भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं ख़रीद सकते
    • धारा 360 जिसके अंतर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था
    • जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता
    • जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग
    • जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता था
    • जम्मू कश्मीर में भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता था
    • भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अंदर मान्य नहीं होते थे
    • भारत की संसद को जम्मू-कश्मीर के संबंध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बनाने का अधिकार
    • जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाती थी. इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे (पुरुष) भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी.
    • कश्मीर में आरटीआई (RTI) और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते थे
    • कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू था
    • धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती थी