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1930 में टाटा ग्रुप से जुड़े थे साइरस मिस्त्री के दादा, दोनों परिवारों में हैं करीबी रिश्ते

टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री 54 की उम्र में रविवार को मर्सिडीज कार से अहमदाबाद से मुंबई लौटते वक्त महाराष्ट्र के पालघर में सड़क हादसे में मौत हो गई.

Updated on: 04 Sep 2022, 05:39 PM

नई दिल्ली:

टाटा समूह (Tata Group) के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री (cyrus mistry passes away) 54 की उम्र में रविवार को मर्सिडीज कार से अहमदाबाद से मुंबई (Ahmadabad to Mumbai) लौटते वक्त महाराष्ट्र के पालघर में सड़क हादसे में मौत हो गई. साइरस मिस्त्री टाटा संस के छठे अध्यक्ष थे और उन्होंने 2012 में रतन टाटा के बाद पदभार संभाला था.  मिस्त्री को 24 अक्टूबर 2016 को टाटा संस के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था और बाद में 6 फरवरी, 2017 को होल्डिंग कंपनी के बोर्ड में निदेशक के रूप में भी हटा दिया गया था. 

सिविल इंजीनियर थे मिस्त्री 
साइरस मिस्त्री, शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप के प्रमुख पल्लोनजी मिस्त्री के छोटे बेटे थे, जो एक विविध समूह था, जिसकी शुरुआत 19वीं शताब्दी में पल्लोनजी मिस्त्री के दादा द्वारा शुरू की गई एक निर्माण कंपनी से हुई थी. इंग्लैंड में अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने से पहले साइरस ने मुंबई के प्रतिष्ठित कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल में पढ़ाई की, जहां उन्होंने इंपीरियल कॉलेज, लंदन से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री और लंदन बिजनेस स्कूल से प्रबंधन में मास्टर डिग्री हासिल की. 1991 में उन्होंने पारिवारिक व्यवसाय में प्रवेश किया, इसकी प्रमुख निर्माण कंपनी, शापूरजी पल्लोनजी एंड कंपनी लिमिटेड के निदेशक बने. उनके भाई, शापूर ने समूह के रियल-एस्टेट व्यवसाय का निर्देशन किया और उनके पिता निदेशक मंडल के अध्यक्ष के रूप में बने रहे. शापूरजी पल्लोनजी एंड कंपनी के शीर्ष पर साइरस मिस्त्री के दो दशकों के दौरान कंपनी ने बिजली संयंत्रों और कारखानों के निर्माण सहित बड़ी इंजीनियरिंग परियोजनाओं के लिए पारंपरिक निर्माण से परे अपना विस्तार जारी रखा. कंपनी ने विदेशों में भी विकास करना जारी रखा. उन्होंने मध्य पूर्व और अफ्रीका में कई परियोजनाएं शुरू की.

2012 में बने थे टाटा ग्रुप के चेयरमैन
मिस्त्री को जब 2012 में टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया तो उन्होंने व्यापार के पारंपरिक तरीकों में कई बदलाव किए थे, जिसके कारण पूंजीगत व्यय में वृद्धि हुई और शेयरधारकों का रिटर्न कम हो गया. इसके साथ ही उन्होंने रतन टाटा के भरोसेमंद लोगों को भी बदल दिया था. इसके साथ ही ब्रिटेन में टाटा स्टील पोर्ट प्लांट की उनकी प्रस्तावित बिक्री को टाटा द्वारा विदेशों में अर्जित शाख को नुकसान पहुंचाने के रूप में देखा गया. इसके बाद डोकोमो समूह के साथ विवाद उनकी ताबूत में कीलों में से एक साबित हुआ. दरअसल, इस केस में टाटा को जापानी समूह को 1.2 बिलियन डॉलर का भुगतान करना पड़ा.  142 वर्षों के इतिहास में मिस्त्री टाटा परिवार के बाहर से टाटा समूह का नेतृत्व करने वाले दूसरे व्यक्ति थे. हालांकि, वह टाटा समूह में केवल चार वर्षों के लिए ही चेयरमैन के पद पर आसीन रह पाए. उनका कार्यकाल टाटा समूह के प्रमुख के रूप में सबसे कम कार्यकाल में से एक था.

1930 में ही टाटा समूह से जुड़ा था उनका परिवार
टाटा के साथ मिस्त्री परिवार का जुड़ाव 1930 में तब शुरू हुआ, जब शापूरजी पल्लोनजी मिस्त्री ने टाटा संस में एफई दिनशॉ एस्टेट से 12.5 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. मिस्त्री ने बाद में टाटा परिवार से अधिक हिस्सेदारी हासिल कर ली, जिससे एसपी समूह की हिस्सेदारी लगभग 16.5 प्रतिशत हो गई. मिस्त्री ने टाटा कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए 90 के दशक में टाटा संस के राइट्स इश्यू में 60 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया था. 1938 में टाटा समूह के अध्यक्ष बने जेआरडी टाटा को शुरू में मिस्त्री द्वारा टाटा संस में एक बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने का विचार पसंद नहीं आया. हालांकि, बाद में उन्होंने समझौता कर लिया और पिछले दो दशकों से एक अच्छा रिश्ता बनाए रखा. यह जुड़ाव तब और मजबूत हुआ, जब पल्लोनजी मिस्त्री की बेटी आलू ने रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा से शादी की.

साइरस मिस्त्री का पूरा नाम साइरस पल्लोनजी मिस्त्री था. उनका जन्म 4 जुलाई, 1968 को हुआ था. वह भारतीय व्यवसायी, मुंबई के एक धनी व्यावसायिक परिवार के वंशज थे. साइरस मिस्त्री ने 1992 में भारत के सबसे प्रमुख वकीलों में से एक इकबाल छागला की बेटी से शादी की थी. उनके बेटे मुंबई में ही शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. मिस्त्री मुंबई के पारसी समुदाय के सदस्य थे, जो पारसी धर्म के अनुयायी थे. उनका परिवार शुरुआती औपनिवेशिक काल से ही व्यापारियों और उद्योगपतियों के रूप में समृद्ध हुए थे.