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मिलिए स्नेहा दुबे से, जिसने UNGA में इमरान खान को धो डाला

दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से निकलकर स्नेहा दुबे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं और दुश्मन मुल्क की सच्चाई भी दुनिया के सामने रख रही हैं.

Updated on: 25 Sep 2021, 12:47 PM

highlights

  • 12 साल की उम्र से ही विदेश सेवा में जाने की ठान ली थी स्नेहा ने
  • बतौर आईएफएस विदेश में पहली नियुक्ति 2014 में मैड्रिड में हुई
  • अब स्नेहा यूएनजीए में दिखा रही हैं दुश्मन देशों को आईना 

नई दिल्ली:

लगभग हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) समेत भारतीय मुसलमानों की कथित दुर्दशा पर झूठा आडंबर रचने वाले पाकिस्तान (Pakistan) को हर बार भारत ने खरी-खरी सुनाकर आईना दिखाया है. फिर भी पाकिस्तान और उसके हुक्मरान प्रोपेगंडा फैलाने से बाज नहीं आते हैं. इस कड़ी में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में शनिवार तड़के पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान (Imran Khan) ने फिर अपनी तोतरंटत दोहरा रोना रोया. यह अलग बात है कि राइट टू रिप्लाई के तहत उन्हें आईना दिखाया यूएनजीए में भारत की फर्स्ट सेक्रेटरी स्नेहा दुबे ने. ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden) से शुरू कर स्नेहा दुबे ने पाकिस्तान को उसके एक-एक पाप गिनाए. स्नेहा यहां तक कह गईं कि भारत के अभिन्न अंग कश्मीर को रोना छोड़ पाकिस्तान कब्जाए गए पीओके (POK) से भी तुरंत ही पीछे हट जाए. आईए मिलते हैं भारत की इस बेटी से, जिसने फिर देश का नाम रोशन किया है. 

2012 बैच की भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी हैं स्नेहा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्नेहा दुबे 2012 बैच की भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी हैं. अपनी प्रारंभिक पढ़ाई गोवा से करने के बाद स्नेहा ने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की. अंत में दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से एमफिल किया. बताते हैं कि 12 वर्ष की उम्र से ही स्नेहा भारतीय विदेश सेवा में शामिल होना चाहती थीं. इसी लगन का परिणाम है कि स्नेहा ने 2011 में अपने पहले प्रयास में ही सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली. घूमने-फिरने की शौकीन स्नेहा मानती हैं कि आईएफएस ऑफिसर बनने से उन्हें देश का प्रतिनिधित्व करने का शानदार मौका मिला है. स्नेहा अपने परिवार में सरकारी सेवाओं में शामिल होने वाली पहली शख्स हैं. स्नेहा के पिता मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं, तो मां एक स्कूल टीचर हैं. स्नेहा का एक भाई है, जो बिजनेस करते हैं.

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पहली नियुक्ति विदेश मंत्रालय फिर मैड्रिड में
बतौर आईएफएस अगर स्नेहा के करियर की बात करें तो विदेश सेवा के लिए चुने जाने के बाद उनकी पहली नियुक्ति विदेश मंत्रालय में हुई. फिर अगस्त 2014 में उन्हें मैड्रिड स्थित भारतीय दूतावास भेज दिया गया. स्नेहा वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र में भारत की पहली सचिव हैं. इस तरह गोवा और दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से निकलकर स्नेहा दुबे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं और दुश्मन मुल्क की सच्चाई भी दुनिया के सामने रख रही हैं. गौरतलब है कि स्नेहा के तीखे बाणों के बाद आज पीएम नरेंद्र मोदी भी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे. तय माना जा रहा है कि उनके निशाने पर भी पाकिस्तान और उसकी आतंकवाद की नीति ही केंद्र में रहेगी.