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हाईलैंड पार्क के अलावा अमेरिका में 2022 में हुई 308 मास शूटिंग

जब अमेरिका की फ्रीडम डे परेड देखने के लिए सैकड़ों लोग इकट्ठा थे, तभी एक हमलावर ने एक दुकान की छत से ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं. इस हमले में 6 लोगों की मौत हो गई .

Updated on: 05 Jul 2022, 05:12 PM

highlights

  • अमेरिका, ग्वाटेमाला और मैक्सिको में बंदूक रखना संवैधानिक अधिकार 
  • दुनिया के 85.7 करोड़ सिविलियन गन में अमेरिका में 39.3 करोड़ सिविलियन बंदूक  
  • जो बाइडेन ने खाई अमेरिका में बंदूक हिंसा को समाप्त करने के  कसम

 

नई दिल्ली:

अमेरिका में लगातार मास शूटिंग की घटनाएं हो रही हैं. 4 जुलाई, 2022 को अमेरिका के इलेनॉय राज्य के हाईलैंड पार्क में  सुबह 10 बजे (अमेरिकी समय) जब अमेरिका की फ्रीडम डे परेड देखने के लिए सैकड़ों लोग इकट्ठा थे, तभी एक हमलावर ने एक दुकान की छत से ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं. इस हमले में 6 लोगों की मौत हो गई और 31 लोग घायल हैं. अमेरिका में किसी सनकी या वहशी द्वारा भीड़ पर, बाजार में या स्कूल में सरेआम गोली चला देने की घटनाएं आम होती जा रही हैं. 

अमेरिका में गन कल्चर का चलन तब से है जब वह अंग्रेजों के अधीन था. अंग्रेजों के शासनकाल में उस समय वहां स्थायी सिक्योरिटी फोर्स नहीं थी, इसीलिए लोगों को अपनी और परिवार की सुरक्षा की चिंता होती थी. 1791 में संविधान के दूसरे संशोधन के तहत अमेरिकी नागरिकों को हथियार रखने और खरीदने का अधिकार दिया गया. अमेरिका का ये कानून आज भी जारी है. समय-समय पर इसके विरोध में आवाज उठती रहती है लेकिन गन लॉबी के दबाव में कोई सरकार इसे खत्म नहीं कर पा रही है.

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 1968 से 2017 के बीच गोलीबारी से लगभग 15 लाख लोगों की जान जा चुकी है. यूएस सेटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में अमेरिका में 45 हजार से ज्यादा लोग बंदूकों से मारे गए हैं, जिसमें आत्महत्याएं भी शामिल हैं.

अमेरिका की आबादी से ज्यादा गन

स्विट्जरलैंड के स्मॉल आर्म्स सर्वे यानी SAS की रिपोर्ट के मुताबिक, नागरिकों के बंदूक रखने के मामले में अमेरिका दुनिया में सबसे आगे है. दुनिया में मौजूद कुल 85.7 करोड़ सिविलियन गन में से अकेले अमेरिका में ही 39.3 करोड़ सिविलयन बंदूक मौजूद हैं. दुनिया की आबादी में अमेरिका का हिस्सा 5 प्रतिशत है, लेकिन दुनिया की कुल सिविलियन गन में से 46 प्रतिशत अकेले अमेरिका में हैं.दुनिया में केवल तीन ही देश ऐसे हैं, जहां बंदूक रखना संवैधानिक अधिकार है. अमेरिका, ग्वाटेमाला और मैक्सिको. 

शिकागो के एक उपनगर हाईलैंड पार्क में सोमवार को हुई सामूहिक शूटिंग से अमेरिकी सरकार सकते में है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाईलैंड पार्क में बड़े पैमाने पर हुई गोलीबारी के बाद अमेरिका में बंदूक हिंसा की "महामारी" को समाप्त करने के अपने प्रयासों को जारी रखने की कसम खाई है. 

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संयुक्त राज्य अमेरिका में नवीनतम हाई-प्रोफाइल शूटिंग 4 जुलाई को हुई, जब एक बंदूकधारी ने शिकागो उपनगर में परेड करने वालों पर गोलियां चला दीं. अमेरिका में 2022 की शुरुआत से 308 बड़े मास शूटिंग दर्ज की गयी है. यहां हाल के दिनों में बंदूक हिंसा के हाई प्रोफाइल सामूहिक घटनाओं की सूची दी गई है-

मास शूटिंग की हाल ही में हुई प्रमुख घटनाएं

1.वेस्टविया हिल्स, अलबामा : बर्मिंघम उपनगर के सेंट स्टीफंस एपिस्कोपल चर्च में 16 जून को हुई गोलीबारी में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और एक अन्य को अस्पताल में भर्ती कराया गया. पुलिस ने एक संदिग्ध को हिरासत में लिया है.

2.तुलसा, ओक्लाहोमा : एक बंदूकधारी ने 1 जून को एक चिकित्सालय में अपने सर्जन और तीन अन्य लोगों की हत्या कर दी. पुलिस के पहुंचने पर बंदूकधारी ने आत्महत्या कर ली.

3.टेक्सास :  एक 18 वर्षीय बंदूकधारी ने 24 मई को रॉब एलीमेंट्री स्कूल में लगभग एक दशक में सबसे घातक स्कूल शूटिंग में 19 बच्चों और दो वयस्कों की हत्या कर दी.  घटना में 15 से अधिक अन्य लोग भी घायल हो गए. सुरक्षा दस्तों ने हमलावर को मार गिराया.

4.शिकागो : मैग्निफिसेंट माइल शॉपिंग जिले से कुछ ही दूर पर 19 मई को एक गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए. मामले में दो लोगों को आरोपित किया गया है.

5.लगुना वुड्स, कैलिफ़ोर्निया : 15 मई को दक्षिणी कैलिफोर्निया में ताइवान के पैरिशियनों पर एक व्यक्ति द्वारा की गई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए. अधिकारियों ने कहा है कि बंदूकधारी ताइवान के लिए नफरत से प्रेरित था. उस पर हत्या और अन्य मामलों का आरोप लगाया गया है.

6. बफेलो, न्यूयार्क : एक श्वेत बंदूकधारी ने 14 मई को एक सुपर बाजार में मुख्य रूप से काले पड़ोस में गोलीबारी की, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई और अन्य घायल हो गए. उस पर संघीय घृणा अपराधों का आरोप लगाया गया है जिसे दोषी ठहराए जाने पर मौत की सजा हो सकती है.