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आखिर क्यों नहीं हो पाया ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण? जानें-क्या है पूरा विवाद

काशी विश्‍वनाथ मंदिर और उससे लगी ज्ञानवापी मस्जिद के बनने को लेकर तरह-तरह की धारणाएं और कहानियां हैं. कहा जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद को श्रृंगार गौरी मंदिर को तोड़ कर बनाया गया है. इस मस्जिद का मुख्य आधार श्रृंगार गौरी मंदिर के ध्वंसावशेष हैं.

Updated on: 08 May 2022, 02:12 PM

highlights

  • ज्ञानवापी मस्जिद में नहीं हो पाया सर्वे का काम
  • मुस्लिम समाज के लोगों के विरोध के चलते नहीं हो पाया सर्वे
  • कोर्ट ने 10 मई तक का दिया है समय

नई दिल्ली:

महादेव की नगरी काशी इस समय अलग वजहों से चर्चा में है. चर्चा बाबा विश्वनाथ मंदिर परिसर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर है. इस मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए कोर्ट ने आदेश दिया है, जिसके लिए आयुक्त की अगुवाई में एक टीम बनाई गई है. लेकिन इस मस्जिद के सर्वेक्षण का काम दो दिनों में अब तक नहीं हो पाया है. मुस्लिम समाज के लोगों के तीखे विरोध की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाया. अब 9 मई को ही इस मामले की कोर्ट में अगली सुनवाई है. 

काशी विश्वनाथ मंदिर, श्रृंगार गौरी मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे की धारणा

काशी विश्‍वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) और उससे लगी ज्ञानवापी मस्जिद के बनने को लेकर तरह-तरह की धारणाएं और कहानियां हैं. कहा जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद को श्रृंगार गौरी मंदिर को तोड़ कर बनाया गया है. इस मस्जिद का मुख्य आधार श्रृंगार गौरी मंदिर के ध्वंसावशेष हैं. इसी मंदिर को तोड़कर औरंगजेब के समय में ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया गया. उसी समय बाबा विश्वनाथ के मंदिर को भी तोड़ा गया था. कहा ये भी जा रहा है कि बाबा विश्वनाथ मंदिर के अंदर का असली शिवलिंग ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में है, जो कुएं नुमा है. 

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कब से गहराया है विवाद

यह मामला 1991 का है, जब वाराणसी की अदालत में कई याचिकाएं आईं, जिसमें स्थानीय पुजारियों ने ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र में पूजा करने की अनुमति मांगी थी. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर 17वीं शताब्दी में काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से का विध्वंस करके किया गया था. याचिकाकर्ता विजय शंकर रस्तोगी इस मामले में काशी विश्वनाथ मंदिर के पीठासीन देवता के ‘नेक्स्ट फ्रेंड’ के तौर पर पैवरी करते हैं. उन्होंने साल 1991 में प्रस्तुत याचिका में तर्क दिया था कि ज्ञानवापी मस्जिद की जगह पर 2000 साल से भी पहले महाराजा विक्रमादित्य ने मंदिर निर्माण कराया था, जिसे तोड़कर औरंगजेब ने मस्जिद बनवा दी थी. उन्होंने मांग की है कि मस्जिद को ढहा दिया जाए और वो जमीन काशी विश्वनाथ को सौंप दिया जाए. इसके अलावा श्रद्धालुओं को मस्जिद के अंदर पूजा करने का अधिकार दिया जाए.

इस साल दायर हुई नई याचिका

मौजूदा मामले में दिल्ली की राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने 18 अप्रैल 2021 को मुकदमा दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) परिसर में श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, नंदी और भगवान हनुमान की प्रतिदिन पूजा-अर्चना की अनुमति मांगी थी. साथ ही विरोधियों को इन मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने से रोकने की मांग की थी. अति संवेदनशील ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर देवी श्रृंगार गौरी की तस्वीर है. राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद ज्ञानवापी मस्जिद की सुरक्षा कड़ी कर दी गई और परिसर में हिंदू भक्तों की नियमित आवाजाही रोक दी गई थी. देवी श्रृंगार गौरी की पूजा के लिए केवल चैत्र नवरात्र के चौथे दिन ही अनुमति दी गई. इसी मामले में वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने 26 अप्रैल 2022 को काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर और अन्य स्थानों पर ईद के बाद और 10 मई से पहले श्रृंगार गौरी मंदिर के एडवोकेट कमिश्नर द्वारा वीडियोग्राफी का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि एडवोकेट कमिश्नर और पक्षकारों के अलावा एक सहयोगी सर्वे के दौरान मौजूद रह सकता है. हालांकि ये सर्वे अब तक नहीं हो सका है.