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उत्तर से लेकर दक्षिण तक छिड़ी विरासत की जंग, जगन मोहन रेड्डी बने आजीवन अध्यक्ष

वाईएसआरसी को अब जगन को आजीवन पार्टी प्रमुख बनाए रखने के लिए भारत के चुनाव आयोग की अनुमति लेनी होगी.

Updated on: 09 Jul 2022, 05:52 PM

highlights

  • वाई एस जगन मोहन रेड्डी की मां वाई एस विजयम्मा ने दिया इस्तीफा
  • विजयम्मा ने बेटी शर्मिला के साथ काम करने का दिया संकेत
  • महाराष्ट्र में शिवसेना पार्टी के टूट के बाद आंध्र प्रदेश में विवाद

 

नई दिल्ली:

आंध्र प्रदेश के सीएम जगन रेड्डी की मां ने बेटी का साथ देने के लिए वाईएसआर कांग्रेस छोड़ दी है. विजयम्मा अब बेटी शर्मिला के साथ हैं. जगन का साथ छोड़ने के बाद उन्होंने कहा कि एक मां के रूप में वह हमेशा जगन के साथ रहेंगी. एक साथ वह दो पार्टियों की सदस्य नहीं रह सकती है. लेकिन यह इतना आसान नहीं है. जगन और उनकी बहन शर्मिला में लंबे समय से विवाद चल रहा था. विजयम्मा के इस्तीफा देने के बाद यह विवाद अब एक मोड़ पर आ गया है.  

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी की मां वाई एस विजयम्मा ने शुक्रवार को वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मानद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया ताकि बेटी शर्मिला के साथ खड़ी हो सकें, जो अब पड़ोसी राज्य में वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का नेतृत्व कर रही हैं.पद छोड़ने के अपने फैसले की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि वह हमेशा जगन मोहन रेड्डी के करीब रहेंगी.विजयम्मा ने वाईएसआरसी छोड़ने के अपने फैसले की घोषणा करते हुए कहा, "एक मां के रूप में, मैं हमेशा जगन के करीब रहूंगी."

विजयम्मा ने कहा, “शर्मिला अपने पिता के आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए तेलंगाना में एक अकेली लड़ाई लड़ रही है.मुझे उसका साथ देना है.मैं दुविधा में थी कि क्या मैं दो राज्यों में  दो राजनीतिक दलों का सदस्य बन सकती हूं.मेरे लिए वाईएसआरसी के मानद अध्यक्ष के रूप में बने रहना मुश्किल है, मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी स्थिति कभी पैदा होगी.मुझे नहीं पता कि ऐसा क्यों हुआ, लेकिन मुझे लगता है कि यह भगवान का फैसला है."

विजयम्मा ने कहा कि वह अपनी भूमिका पर किसी अवांछित विवाद से बचने के लिए वाईएसआरसी के मानद अध्यक्ष का पद छोड़ रही हैं.पिछले कुछ समय से ऐसी खबरें आ रही हैं कि जगन मोहन रेड्डी और उनकी बहन के बीच संपत्ति से जुड़े मुद्दों को लेकर सब कुछ ठीक नहीं है.हाल के दिनों में दोनों के बीच तनातनी बढ़ गई थी और विजयम्मा अपने बेटे से दूर रहती थी.

वाईएसआर कांग्रेस के आजीवन अध्यक्ष बने जगन

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी शनिवार को एक बार फिर युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस (वाईएसआरसी) के अध्यक्ष चुने गए.अब वह जीवनभर वाईएसआरसी के अध्यक्ष बने रहेंगे.अमरावती में वाईएसआरसी की दो दिवसीय बैठक के अंतिम दिन यह प्रक्रिया पूरी हुई.इस दो दिवसीय बैठक में पार्टी के संविधान में संशोधन किया गया है, ताकि जगन को जीवन भर के लिए अध्यक्ष चुना जा सके. सीएम जगन मोहन रेड्डी ने कांग्रेस छोड़ने के बाद मार्च 2011 में वाईएसआरसी की स्थापना की थी.स्थापना के बाद से वह अपनी मां विजयम्मा और मानद अध्यक्ष के साथ पार्टी अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे थे.इससे पहले जगन मोहन रेड्डी आखिरी बार 2017 में पार्टी प्लेनरी में वाईएसआरसी के अध्यक्ष चुने गए थे.

संपत्ति विवाद की आ रही थी खबरें

गत कुछ समय से मीडिया में खबरें आ रही हैं कि जगन मोहन रेड्डी और उनकी बहन शर्मिला के बीच संपत्ति से जुड़े मुद्दों को लेकर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.हाल के दिनों में दोनों के बीच तनातनी बढ़ गई थी.इसके बाद विजयम्मा अपने बेटे से दूर रहती थीं.

चुनाव आयोग से अनुमति लेगी वाईएसआरसी 

नियमों के मुताबिक, वाईएसआरसी को अब जगन को आजीवन पार्टी प्रमुख बनाए रखने के लिए भारत के चुनाव आयोग की अनुमति लेनी होगी.वाईएसआरसी ने इस बाबत अन्य राज्यों में कुछ क्षेत्रीय दलों द्वारा हर दो साल में चुनाव कराने की आवश्यकता के बिना जीवन भर के लिए एक अध्यक्ष रखने के लिए ईसीआई की मंजूरी हासिल करने का उदाहरण भी दिया है.

उत्तर से लेकर दक्षिण तक की पार्टियों में चल रहा विवाद

महाराष्ट्र में शिवसेना पार्टी के टूट के बाद आंध्र प्रदेश में विवाद न तो कोई पहला विवाद है औऱ न आखिरी. उत्तर से लेकर दक्षिण तक की  राजनीतिक पार्टियों में इस समय विरासत की जंग तेज हो गयी है. महाराष्ट्र में बाल ठाकरे की विरासत पर राज ठाकरे को हटा कर उद्धव ठाकरे काबिज हो गए थे. लेकिन बाल ठाकरे के शिष्यों के आगं उनकी नहीं चली. मुख्यमंत्री की कुर्सी के साथ ही शिवसेना पार्टी भी उनके हाथ से निकलने वाली है.

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इसी तरह बिहार में लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक विरासत  पर कब्जा जमाने के लिए तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव औऱ उनकी बहन मीसा भारती में अंदरखाने कलह की खबरें आती रहती हैं. उत्तर प्रदेश में  मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी पर तो उनके बेटे अखिलेश यादव के नेतृत्व में है. लेकिन मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव उनके लगातार चुनौती दे रहे हैं.