युद्ध अपराध में फंसा रूस, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने शुरू की जांच
यूक्रेन पर रूस के हमले 12वें दिन भी जारी. दुनियाभर के देशों की आलोचना और प्रतिबंधों के बाद भी रूस झुकता नजर नहीं आ रहा है. इस बीच रूसी हमले में बड़े पैमाने पर आम नागरिकों के मारे जाने की खबर है.
highlights
- रूस पर आम नागरिकों पर हमले के लगे आरोप
- युद्ध आपरोध के आरोपों को रूस ने किया खारिज
- आईसीसी ने शुरू की रूस के युद्ध अपराध की जांच
नई दिल्ली:
यूक्रेन पर रूस के हमले 12वें दिन भी जारी. दुनियाभर के देशों की आलोचना और प्रतिबंधों के बाद भी रूस झुकता नजर नहीं आ रहा है. इस बीच रूसी हमले में बड़े पैमाने पर आम नागरिकों के मारे जाने की खबर है. इसके साथ ही रूस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. दरअसल, यूक्रेन में जारी तोबड़तोड़ रूसी हमले के दौरान आम नागरिकों को निशाना बनाने के आरोप लग रहे हैं. इन आरोपों के बाद रूस पर संभावित युद्ध अपराध के मामले की जांच शुरू की गई है.
इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) के मुख्य अभियोजक ने बयान जारी कर बताया है कि यूक्रेन में रूस के कथित युद्ध अपराधों, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और नरसंहार के सबूत जमा किए जा रहे हैं. दरअसल, अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने यह कदम 39 देशों की ओर से यूक्रन में रूस की ओर से किए जा रहे युद्ध अपराधों की जांच की मांग के बाद उठाया है. हालांकि, रूस ने आम नागरिकों को निशाना बनाने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है.
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यह है जेनेवा कंवेंशन
आमतौर पर एक कहावत प्रचलित है कि एवेरी थिंग इज फेयर इन लव एंड वॉर (Every this is fare in love and war) लेकिन, हकीकत में ऐसा नहीं है. युद्ध लड़ने के लिए भी नियम और कायदे कानून तय हैं. दरअसल, 1948 में दुनियाभर के देशों ने स्वीटजरलैंड के शहर जेनेवा में इससे संबंधित एक प्रस्ताव पास कर इस पर अमल करने के लिए हस्ताक्षर किए थे. इसे ही जेनेवा कंवेंशन कहा जाता है और इन नियमों के उल्लंघन को युद्ध अपराध कहा जाता है.
यह कृत्य आते हैं युद्ध अपराध की श्रेणी में
जिनेवा कन्वेंशन में तय किए गए युद्ध के मानकों के उल्लंघन को युद्ध अपराध कहा जाता है. युद्ध में नीचे वर्णित कार्यों को युद्ध अपराध की श्रमणी में रखा गया है.
1- जानबूझ कर किसी आम नागरिक या अपने विरोधी की सरेंडर करने के बाद हत्या करना
2- युद्धबंदियों या विरोधी देशों की जनता के साथ अत्याचार या अमानवीय व्यवहार करना
3- युद्धबंदियों या विरोधी देशों की जनता को जानबूझ कर गंभीर शारीरिक चोट या स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाना
4- युद्ध के दौरान बिना किसी जरूरत के संपत्ति का व्यापक विनाश और उपयोग भी युद्ध अपराध की श्रेणी में आता है.
5 युद्ध के दौरान आम लोगों बंधक बनाना भी युद्ध अपराध की श्रेणी में आता है.
6- युद्ध में पराजित सेना या जनता को गैर-क़ानूनी निर्वासन या गैर-क़ानूनी तौर पर जेल में रखना
इसके अलावा 1998 का रोम अधिनियम भी सशस्त्र संघर्ष के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संधि है. इसे अंतरराष्ट्रीय क़ानून और उसके उल्लंघन को समझने के लिए उपयोगी गाइड की तरह देखा जाता है. इसके मुताबिक नीचे वर्णित कृत्य को युद्ध अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
1- जानबूझ कर आम लोगों पर सीधे हमले करना या युद्ध में जो लोग शामिल नहीं हैं, उन पर जानबूझ कर हमले करना.
2-जानबूझ कर ऐसे हमला करना जिसके बारे में पता हो कि इन हमलों से आम लोगों की मौत हो सकती है या उन्हें नुकसान पहुंच सकता है.
3- बिना रक्षा कवच वाले कस्बों, गांवों, आवासों या इमारतों पर किसी भी तरह से हमला या बमबारी करना.
4-अस्पताल, धार्मिक आस्था या शिक्षा से जुड़ी इमारतों को जानबूझ कर निशाना नहीं बनाया जा सकता है.
5-यह कुछ हथियारों के साथ-साथ ज़हरीली गैसों के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाता है.
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