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महिला मतदाताओं की बढ़ती संख्या बंगाल चुनावों में निभाएगी अहम भूमिका

अन्य बड़े राज्यों में पश्चिम बंगाल ही ऐसा राज्य है जहां चुनावी प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी काफी ज्यादा रही है.

Updated on: 04 Apr 2021, 01:36 PM

highlights

  • महिला मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी निभाएगी चुनावों के नतीजों में अहम भूमिका
  • पश्चिम बंगाल में 18-19 साल की किशोर मतदाताओं की संख्या में भारी गिरावट
  • भाजपा और टीएमसी महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही

कोलकाता:

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में महिला मतदाताओं की संख्या में हुई बढ़ोतरी मौजूदा विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) के नतीजों में अहम भूमिका निभा सकती है. यहां न केवल महिला मतदाताओं का प्रतिशत 49 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर गया है, बल्कि भारत के चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित की गई अंतिम मतदाता सूची में लिंग अनुपात (Sex Ratio) भी पिछले वर्ष की तुलना में 956 से बढ़कर 961 हो गया है. अन्य बड़े राज्यों में पश्चिम बंगाल ही ऐसा राज्य है जहां चुनावी प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी काफी ज्यादा रही है. तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल चौथा प्रमुख राज्य है जहां चुनावी प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी अधिक है. केरल (kerala) में जहां महिला मतदाताओं का प्रतिशत 51.4 प्रतिशत है, वहीं तमिलनाडु में 50.5 और आंध्र प्रदेश में 50.4 प्रतिशत है. पश्चिम बंगाल में यह प्रतिशत 49.01 प्रतिशत है.

महिला मतदाताओं की भागीदारी निर्णायक कारक
वहीं पांच छोटे राज्य - गोवा, अरुणाचल प्रदेश, पुडुचेरी, मणिपुर, मिजोरम और मेघालय में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक है. केवल छोटे राज्य जैसे त्रिपुरा, नागालैंड और केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में पश्चिम बंगाल की तुलना में महिलाओं की भागीदारी बेहतर है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल में लिंगानुपात भी बेहतर हुआ है. 2020 में 1,000 पुरुष मतदाताओं के मुकाबले 956 महिला मतदाता थीं, जो अब बढ़कर 961 हो गईं हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि चुनावों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ना एक निर्णायक कारक बन सकती है. पश्चिम बंगाल में कुल 7,32,94,980 मतदाता हैं, जिनमें से 3,73,66,306 पुरुष और 3,59,27,084 महिलाएं हैं. वहीं तीसरे लिंग के मतदाता 1,430 और 1,12,642 सर्विस इलेक्टर्स हैं. अंतिम मतदाता सूची से पता चलता है कि 20,45,593 नाम नए जोड़े गए हैं, वहीं 5,99,921 नाम हटाए गए हैं और 14,45,672 नाम सुधारे गए हैं. नवंबर 2020 में प्रकाशित हुई ड्राफ्ट सूची की तुलना में इसमें 2.01 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

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टीएमसी भी लुभा रही है महिला मतदाताओं को
यही वो वजह है कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस राज्य की महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. हाल ही में, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, बी.एल. संतोष ने ट्वीट कर कहा था, 'बिहार की तरह यहां भी महिला मतदाता भाजपा को जीत का परचम लहराने में मदद करेंगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा महिलाओं को दिए गए सम्मान के कारण महिलाओं के मन में अच्छी छवि बनी है, जो कि साफ नजर भी आ रही है. यहां तक कि उस नंदीग्राम सीट में भी, जहां ममता बनर्जी खुद उम्मीदवार हैं.'

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महिला मतदाताओं से किए ढेरों वादे
भाजपा के घोषणापत्र में महिलाओं को ध्यान में रखकर कई घोषणाएं की गईं हैं. इनमें सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण, विधवाओं की पेंशन में वृद्धि, मुफ्त परिवहन और केजी से पीजी तक की मुफ्त शिक्षा शामिल है. दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी सरकार की विकासात्मक योजनाओं और भाजपा के शासन में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में हुई वृद्धि को उजागर करने के लिए 2019 के चुनावों के दौरान महिलाओं तक पहुंचने के लिए पार्टी के राजनीतिक मोर्चे पर बोंगो जननी नाम से अलग विंग बनाई थी.

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किशोर मतदाताओं की संख्या में कमी
बोंगो जननी की महासचिव और महिला एवं बाल विकास मंत्री शशि पंजा कहती हैं, 'पश्चिम बंगाल में पिछले 10 सालों के अपने शासन में तृणमूल सरकार ने कन्याश्री जैसी कई योजनाएं लाईं, जिन्हें वैश्विक स्तर पर सराहा गया' हमने जो भी किया है उस पर हमें भाजपा से प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है.' हालांकि राज्य में 18-19 साल की किशोर मतदाताओं की संख्या में भारी गिरावट देखी गई है. पिछले 3 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि किशोर मतदाताओं की संख्या में कमी आई है. 2018 में यह 2.94 प्रतिशत था, जो 2019 में बढ़कर 2.96 प्रतिशत हो गया और 2020 में बढ़कर 3.13 प्रतिशत हो गया था.