ICHRRF ने माना कश्मीरी पंडितों का हुआ था नरसंहार, सरकार से भी मानने की मांग
द कश्मीर फाइल्स फिल्म पर देश राजनीति गरम है. फिल्म को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इस फिल्म के जरिए एक समुदाय विशेष के खिलाफ सुनियोजित तरीके से नफरत पैदा की जा रही है.
highlights
- ICHRRF ने सरकार से भी की हिंसा को नरसंहार मानने की अपील
- भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद ने की पीड़ितों की जनसुनवाई
- हिंसा पीड़ित कश्मीरी पंडितों ने आयोग के सामने रखी अपनी मांगे
नई दिल्ली:
द कश्मीर फाइल्स फिल्म (The Kashmir Files Film) पर देश राजनीति गरम है. फिल्म को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इस फिल्म के जरिए एक समुदाय विशेष के खिलाफ सुनियोजित तरीके से नफरत पैदा की जा रही है. इन सबके बीच अमेरिका स्थित गैर-लाभकारी, मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अंतर्राष्ट्रीय आयोग (ICHRRF) ने माना है कि कश्मीरी पंडितों का नरसंहार हुआ था. हालांकि, इससे पहले इस मामले पर राजनीतिक पार्टियों ने जमकर बयानबाजी की थी.
'कांग्रेस को बदनाम करने का षड्यंत्र'
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुख्य शरद पवार ने द कश्मीर फाल्स पर कहा कि इस फिल्म का इस्तेमाल कांग्रेस पार्टी को दोष देने के लिए किया जा रहा है और यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि उस समय जो कुछ भी हुआ था, तब कांग्रेस देश पर शासन कर रही थी. उन्होंने कहा कि अगर हम तब के इतिहास को देखें, जब कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ था, तब केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह देश का नेतृत्व कर रहे थे. भाजपा के कुछ लोग जो अब इस मुद्दे पर शोर मचा रहे हैं, उस समय वीपी सिंह के समर्थन में थे.
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'द कश्मीर फाइल्स’ का लक्ष्य वोट हथियाना'
द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को लेकर देश में जमकर बयानबाजी का दौर चला. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस फिल्म को मोदी सरकार महज वोट के लिए प्रमोट कर रही है. उसका एकमात्र लक्ष्य कुछ भी करके वोट हासिल करना है. उन्होंने कहा कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ कौन चाहता है। अगर कोई प्रगतिशील सरकार होती तो तो इरिगेशन फाइल्स, इकोनॉमिक फाइल्स जैसी फिल्में बनतीं।उन्होंने तो यहां तक कहा कि दिल्ली में रह रहे कश्मीरी पंडित कह रहे हैं कि इस फिल्म से हमें कुछ फायदा नहीं है। कुछ लोग महज वोट के लिए ऐसा कर रहे हैं.
'झूठ का पुलिंदा है द कश्मीर फाइल्स'
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म को लेकर कहा कि में 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म में तरह-तरह के झूठ दिखाए गए हैं. जब कश्मीरी पंडित यहां से निकले तब उस दौरान फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री नहीं थे. उस समय राज्यपाल का राज था और देश में वीपी सिंह की सरकार थी, जिसे BJP का समर्थन था.
'घटना की होनी चाहिए जांच'
नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह ने कहा कि जब कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर छोड़ा, तब समय बहुत खराब था. उस वक्त कश्मीरी पंडितों पर जो मुसीबत आई उसके लिए मेरा दिल आजतक रो रहा है. कोई कश्मीरी ऐसा नहीं है जो उनके लिए रो नहीं रहा है. इस मामले की जांच कर यह पता लगाना चाहिए कि उस समय उसके पीछे किन-किन लोगों का हाथ था.
'सिर्फ हिंदू ही नहीं मरे'
द कश्मीर फाल्स पर जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने भी भाजपा को निशाना बनाया. उन्होंने कहा कि यह पार्टी सिर्फ देश को लड़ाना चाहती है. अटल बिहारी वाजपेयी जब पाकिस्तान गए थे तो 7 हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी. मेरे पिता के मामाजी, उनके चचेरे भाई को मार दिया गया था. हम लोगों ने बहुत कुछ भुगता है और कश्मीर के हर वर्ग को झेलना पड़ा है.
ICHRRF ने की पीड़ितों की सुनवाई
दरअसल, रविवार को अमेरिका स्थित गैर-लाभकारी, मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अंतर्राष्ट्रीय आयोग ने कश्मीर हिंसा पीड़ितों की जनसुनवाई की. इस दौरान बड़ी संख्या में हिंसा पीड़ितों ने शपथ पत्र देकर अपने साथ हुई बर्बरता की कहानी बयान करने के साथ ही आयोग के समक्ष अपनी ग्वाही और सबूत पेश की.
जन सुनवाई में कश्मीरी पीड़ितों ने ये मांगे रखी
1. जातीय सफाये, निर्वासन और नरसंहार के भयानक अपराधों को मान्यता दी जाए.
2. भविष्य में होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार और जातीय सफाये की जांच के लिए आयोग गठित की जाए.
3. अपराधियों और उनके समर्थकों को कानूनी रूप से जवाबदेह ठहराया जाए. सभी अपराधियों और हिंसा के लिए उकसाने वालों की शिनाख्त ककर उन्हें सजा दी जाए.
4. पीड़ितों और बचे लोगों का पुनर्वास, अपने विश्वास और सांस्कृतिक परंपराओं पर चलने के लिए सुरक्षित क्षेत्र उपलब्ध कराया जाए.
5. बच्चों को अपनी जड़ों के साथ बढ़ने और विकसित होने और अपनी संस्कृति को सीखने में सक्षम बनाया जाए.
6. कश्मीरी हिंदुओं के लिए छात्रवृत्ति और शैक्षणिक सहायता कार्यक्रम शुरू की जाए.
7. आर्थिक रूप से कमजोर कश्मीरी हिंदू परिवारों की दुर्दशा को सुधारने के लिए सरकारी वित्तीय सहायता कार्यक्रम की शुरुआत की जाए.
8. कश्मीरी हिंदू के विनाश की कहानी बया करने वाले संग्रहालय स्थापित करने की अनुमति दी जाए.
सरकार नरसंहार को दें मान्यता
इसके साथ ही ICHRRF ने भारत सरकार और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की सरकार से कश्मीरी हिंदुओं पर 1989-1991 के अत्याचारों को नरसंहार के रूप में स्वीकार करने की मांग की है. वहीं, आयोग ने अपने बयान में कहा है कि वह अन्य मानवाधिकार संगठनों, अंतर्राष्ट्रीय निकायों और सरकारों को इस मामले में फिर से सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है और आधिकारिक तौर पर इन अत्याचारों को नरसंहार के कार्य के रूप में स्वीकार करता है. ICHRRF ने मांग की है कि दुनिया को कश्मीरी पंडितों की पीड़ा से जुड़ी कहानियों को सुनना चाहिए और अपनी पिछली चुप्पी और राजनीतिक औचित्य से निष्क्रियता के प्रभाव पर गंभीरता से आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और इस हिंसा को उचित मान्यता देनी चाहिए.
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