इंग्लैंड बनाम भारत : केएल राहुल ने टेस्ट में जड़ा 18वां अर्धशतक, भारत के पास 100 प्लस रन की लीड
ECI ने शुरू किया 2 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम, चुनाव की पारदर्शिता और दक्षता पर जोर
हवाई खतरों से निपटने के लिए भारत-फ्रांस की सेनाएं कर रही हैं ड्रोन-रोधी प्रशिक्षण
भारत की विदेश नीति सही दिशा में आगे बढ़ रही, बुद्ध की धरती से युद्ध का संदेश कभी नहीं गया : मुख्तार अब्बास नकवी
झारखंड में भारी बारिश से जनजीवन बेहाल, हजारीबाग में मकान गिरने से दंपती की मौत, पलामू में दो बच्चे नदी में बहे
बॉयफ्रेंड को फंसाने के लिए युवती ने किया कुछ ऐसा कांड, पीछे पड़ गई 11 राज्यों की पुलिस
ठाणे: इसरो की वैज्ञानिक बनकर देश सेवा में लगी किसान की बेटी, पिता की खुशी का ठिकाना नहीं
बिहार : लालू यादव ने राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरा, फिर से अध्यक्ष बनना तय
ईगो की वजह से संजय कपूर की बहन ने नहीं की थी उनसे 4 साल बात, अब नोट शेयर कर लिखी झकझोरने वाली बात

खराब गुणवत्ता के गोला-बारूद से हर माह एक जवान घायल

हर माह एक भारतीय जवान दुश्मनों के हाथों नहीं, बल्कि खुद के खराब गोला-बारूद से घायल हो जाते हैं या शहीद भी हो जाते हैं.

हर माह एक भारतीय जवान दुश्मनों के हाथों नहीं, बल्कि खुद के खराब गोला-बारूद से घायल हो जाते हैं या शहीद भी हो जाते हैं.

author-image
Nihar Saxena
New Update
Faulty Ammos Indian Soldiers

यह चार्ट बताता है गोला-बारूद की गुणवत्ता की चिंतनीय स्थिति( Photo Credit : न्यूज नेशन)

हर माह एक भारतीय जवान दुश्मनों के हाथों नहीं, बल्कि खुद के खराब गोला-बारूद से घायल हो जाते हैं या शहीद भी हो जाते हैं. गोला-बारूद की आपूर्ति सरकारी आयुध फैक्ट्रियों से की जाती है. सरकारी अधिकारियों के अनुसार, सुरक्षाबलों में एक गोला-बारूद से जुड़ा हादसा औसतन प्रति सप्ताह रिपोर्ट किया जाता है. इससे जवान घायल या हताहत हो जाते हैं या उपकरणों को हानि पहुंचती है. मुख्य आपूर्तिकर्ता आयुध फैक्ट्री बोर्ड द्वारा संचालित प्रतिष्ठान हैं. इनके खराब गोला-बारूद की वजह से दुर्घटनाएं होती हैं. इससे सशस्त्र बलों में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है, जोकि वायुसेना या नौसेना से ज्यादा गोला-बारूद का प्रयोग करते हैं.

Advertisment

यह भी पढ़ेंः आतंकी फंडिंग मामले में हाफिज सईद व अन्य के खिलाफ आरोपपत्र 

2020 में त्रुटिपूर्ण गोला-बारूद से 13 जवान घायल हो गए, जबकि 2019 में 16 दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 28 जवान घायल हो गए और तीन का निधन हो गया. 2018 में, 78 घटनाओं में कम से कम 43 जवान घायल हो गए और तीन ने अपनी जान गंवा दी. 2017 में इस बाबत 53 घटनाएं हुईं, जिसमें एक जवान की मौत हो गई और 18 अन्य घायल हो गए. इस मामले में साल 2016 सबसे खराब रहा, जहां इस तरह की 60 घटनाओं में 19 जवान की मौत हो गई और 28 अन्य घायल हो गए.

यह भी पढ़ेंः राहुल और प्रियंका गांधी के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत भी FIR

इससे राजकोष को काफी क्षति पहुंचती है. अनुमान के मुताबिक, अप्रैल 2014 से अप्रैल 2019 के बीच इस वजह से 658.58 करोड़ रुपये के गोला-बारूद का शेल्फ लाइफ के बावजूद निस्तारण किया गया. सूत्रों ने यह भी कहा कि 303.23 करोड़ रुपये के माइंस का भी उसके शेल्फ लाइफ के दौरान निस्तारण करना पड़ा. इससे पहले महाराष्ट्र के पलगांव में मई 2016 में माइंस दुर्घटना में 18 जवान शहीद हो गए थे.

यह भी पढ़ेंः 'बापू के अलावा नेहरू, इंदिरा को भी करना पड़ता है राहुल गांधी का इंतजार'

सूत्रों ने कहा कि इससे 960 करोड़ रुपये की हानि हुई थी, जिससे 100, 155 एमएम मीडियम आर्टिलरी बंदूक खरीदा जा सकता था. यह निश्चित है कि खराब गुणवत्ता वाले गोला-बारूद का जवानों पर बड़ा प्रभाव पड़ता है. दुर्घटना से जानमाल की हानि होती है और साथ ही उपकरणों को प्रयोग से बाहर कर दिया जाता है.

खराब गोला-बारूद Ordinance Factory LOC Faulty Ammunition सेना के जवान भारतीय सेना indian-army
      
Advertisment