Advertisment

यूपी के फतेहपुर में फूटा धर्मपरिवर्तन का भांडा, जानें क्या है चंगाई सभा

कैथोलिक गिरजाघर की स्थापना के साथ ही धर्मप्रचारकों के सार्वजनिक सेवा के नाम पर धर्मपरिवर्तन करने के संकेत मिलते हैं.

author-image
Pradeep Singh
एडिट
New Update
patshala

चंगाई सभा( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

भारत में ईसाई मिशनरियां 'मसीही सत्संग",  "चंगाई सभा", "यीशु दरबार",  " प्रार्थना सभा", "शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में काम" और "कुष्ठ सेवा" के नाम पर धर्मपरिवर्तन का काम करती है. मिशनरियां सेवा के नाम पर धर्म परिवर्तन का यह खेल वर्षों से नहीं सदियों से कर रही है. अंग्रेजी शासन के समय इसमें तेजी आयी. फलस्वरूप भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों और आदिवासी बाहुल्य राज्य मसलन-ओडिशा, झारखंड,  छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और केरल में अच्छी संख्या धर्मांतरित ईसाइयों की हो गयी. जो पहले आदिवासी हिंदू थे.

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण करने की खबर आयी है. जिले के खागा तहसील के सुरजही गांव में चंगाई सभा की आड़ में गरीब दलितों पर धर्मांतरण के लिए दबाव डाला जा रहा था. एक युवक ने जब धर्मांतरण करने से इनकार किया तो उसके साथ मारपीट की गयी औऱ मामला खुलकर सामने आ गया. नोएडा के सेक्टर -12 स्थित एक आवासीय मकान में हाल ही में सेक्टर-8 के झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब बच्चों को बुलाकर धर्मांतरण किया जा रहा था. स्थानीय निवासियों को इस मकान में चलने वाले संदिग्ध कारोबार पर पहले से ही शक था. लेकिन उस दिन भारी संख्या में गरीब बच्चों को देखकर जब मामला समझने की कोशिश हुई,तो धर्मपरिवर्तन का सच सामने आया.

सूचना को मुताबिक फतेहपुर में राहुल विश्वकर्मा के धर्म परिवर्तन करने से मना करने पर उससे गाली-गलौज कर मारपीट की गई. इस मामले की जानकारी के बाद हिन्दू संगठन के लोग मौके पर पहुंचे और जमकर हंगामा किया. पुलिस ने बिना अनुमति चंगाई सभा का करने वाले व्यक्ति सहित तीन लोगों को हिरासत में ले लिया. तीनों आरोपियों में एक महिला भी शामिल है, जो सभा में आने वाली हिन्दू महिलाओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया करती थी.

क्या है चंगाई सभा

ईसाई मिशनरी आदिवासी औऱ पिछड़े क्षेत्रों में आम जनता को बीमारी से ठीक करने के लिए चंगाई सभा करते हैं. इस सभा ईसा मसीह की प्रार्थना की जाती है. चंगाई सभा को यीशु चंगाई सभा या हीलिंग मीटिंग भी कहा जाता हैं यीशु समर्थक या मैथोडिस्ट चर्च इस तरह की सभाएं आयोजित करते हैं. उन लोगों का दावा हैं की इसमें रोगी को ठीक किया जाता हैं, हालांकि मेडिकल इस बात को नहीं मानता हैं और बहुत सी जगह चंगाई सभा में धर्म परिवर्तन का काम होता है. 

पिछले कई वर्षों से प्रयागराज के नैनी स्थित सैम हिग्गिनबाटम इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी कैंपस में हर शुक्रवार को यीशु दरबार में  प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है. जिसमें राजेन्द्र बी लाल ने नेतृत्व में चंगाई सभा की जाती है. नैनी की चंगाई सभा बहुत विवादित रहा है और इसे धर्म परिवर्तन का खेल बताते हुए हिंदू संगठनों ने कई बार बवाल काट चुके हैं.  

ईसाई धर्म की स्थापना के साथ ही धर्म परिवर्तन की शुरुआत हो गयी थी. प्रथम सदी में कैथोलिक गिरजाघर की स्थापना के साथ ही धर्मप्रचारकों के सार्वजनिक सेवा के नाम पर धर्मपरिवर्तन करने के संकेत मिलते हैं. सबसे पहले यीशू के धर्मप्रचारकों ने भूमध्यसागरीय समुद्र के पास यहूदी समुदाय को धर्मांतरित किया. द्वितीय सदी के आरंभ तक, इसाई समुदायों ने ज्यादा ढांचागत तरीके से धर्मपरिवर्तन शुरू कर दिया, और शहर में पादरी-वर्ग को धर्म परिवर्तन का अधिकार दिया गया.धर्मप्रदेशीय का संगठन स्थापित किया गया जो रोमन साम्राज्य के क्षेत्रों एवं शहरों को प्रतिबिम्बित कर रहा था. 

यह भी पढ़ें: शिवसेना संसद संजय राउत के खिलाफ जारी हुआ जमानती वारंट, जानें आगे

हिन्दू धर्म में 'वापस' होने वाले एक युवक परमेश्वर एक्का ने मुझसे कहा कि उसने कई महीनों तक अपने गुरु से विचार-विमर्श के बाद हिन्दू धर्म में फिर से वापिस लौटने का फ़ैसला किया, "हम लोग हिन्दू ही हैं शुरू से. अनजाने में ईसाई धर्म में साल-दो साल के लिए चले गए थे. उसमें विनती प्रार्थना करवाते थे कि ये प्रार्थना करो तो तुम्हारा दुःख, तकलीफ दूर हो जायेगा. साल भर गए लेकिन कुछ नहीं हुआ. फिर गुरु के द्वारा हमारा आज धर्म परिवर्तन हो गया. पैर धोकर हिन्दू धर्म में वापसी किए."

कोरोना आपदा में चला धर्मांतरण का खेल

 एक खबर के मुताबिक जब समूचा विश्व और भारत कोरोना महामारी से जूछ रहा था तब ईसाई मिशनरियां लोगों को धर्म परिवर्तन करा रहे थे.  एक अनुमान के मुताबिक महामारी में भारत के हर कोने से 1 लाख लोगों का धर्मांतरण हुआ.पिछले वर्ष कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक दर्जनों ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां ईसाई मिशनरियों का घिनौना चेहरा उजागर हुआ है. विपदा में भी उनका पहला अजेंडा धर्मपरिवर्तन ही बना हुआ है. ‘अनफोल्डिंग वर्ड’ के अध्यक्ष और सीईओ डेविड रीव्स ने बताया कि भारत में वर्ष 2020 के कोरोना काल से लेकर अब तक पिछले 25 वर्ष की तुलना में सबसे ज्यादा चर्च बनाए गए औऱ हज़ारों लोगों को ईसाई धर्म में बदला गया.

HIGHLIGHTS

  • कोरोना महामारी में भारत में 1 लाख लोगों का धर्मांतरण हुआ
  • राहुल विश्वकर्मा के धर्म परिवर्तन करने से मना करने पर मारपीट
  • चंगाई सभा का करने वाले व्यक्ति सहित तीन लोग हिरासत में
khaga tehsil Fate of conversion broke out changai sabha cm yogi aditya nath Fatehpur healing meeting
Advertisment
Advertisment
Advertisment