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RTPCR टेस्ट नहीं... मधुमक्खियां बता देंगी कोरोना संक्रमित हैं या नहीं

डच शोधकर्ताओं ने बताया है कि उन्होंने मधुमक्खियों को ऐसे प्रशिक्षित किया है जिससे वे वायरस की खास गंध के सामने आने पर अपनी जीभ बाहर निकाल लेंगी.

Updated on: 08 May 2021, 02:08 PM

highlights

  • शोध के मुताबिक रेपिड टेस्ट की तरह पता चलेगा परिणाम
  • प्रशिक्षित मधुमक्खियां बता देंगी कोरोना संक्रमण के बारे में
  • गरीब देशों को होगा सबसे ज्यादा इसका फायदा

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण की दूसरी लहर ने जिंदगी को उलट-पुलट कर रख दिया है. इसमें भी भूंकप लाने का काम कोविड-19 जांच रिपोर्ट आने में देरी ने कर दिया है. कई मामलों में तो रिपोर्ट निगेटिव मिलती है, लेकिन संबंधित शख्स कोरोना पॉजिटिव हो जाता है. देखा जाए तो तेजी से संक्रमण के मामले बढ़ने से कोविड की जांच में बहुत ज्यादा दबाव पड़ा जिससे आरटीपीसीआर टेस्ट (RTPCR) की रिपोर्ट के लिए लोगों को 5-7 दिन तक का इंतजार करना पड़ा. फिलहाल कोविड-19 की प्रमाणिक जांच के लिए इसी टेस्ट को अधीकृत किया गया है. हालांकि अब राहत की बात यह है कि अब वैज्ञानिकों ने एक नया टेस्ट निकाला है जिसमें मधुमक्खियों (Bees) काम आएंगी.

गरीब देशों को मिलेगी सबसे ज्यादा मदद
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक यह अपने आप में बहुत ही अनोखा टेस्ट है. इसके मुताबिक डच शोधकर्ताओं ने बताया है कि उन्होंने मधुमक्खियों को ऐसे प्रशिक्षित किया है जिससे वे वायरस की खास गंध के सामने आने पर अपनी जीभ बाहर निकाल लेंगी. यह एक तरह के रैपिड टेस्ट की तरह काम करेगा. परंपरागत लैब टेस्ट से यह बहुत ही हटकर है. वैज्ञानिकों का कहना है कि मधुमक्खियों को कोरोना वायरस की पहचानने के लिए प्रशिक्षित करने से कम आय वाले देशों को फायदा होगा जिनके पास पॉलीमराइज चेन रिएक्शन टेस्ट के लिए जरूरी सामग्री और तकनीक उपलब्ध नहीं हैं. वैगनिनजेन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और इस शोध की अगुआई करने वाले विम वैनडर पोएल का कहना है कि सभी के पास, खास तौर पर कम आय वाले देशों की लैबोरेटरी में वह उपलब्ध नहीं है, जबकि मधुमक्खियां हर जगह उपलब्ध हैं और इनके लिए जरूरी उपकरण भी जटिल नहीं है.

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ऐसे किया प्रशिक्षित
वैज्ञानिकों ने करीब 150 मधुमक्खियो को पॉवलोवियन कंडीशनिंग पद्धति से प्रशिक्षित किया जिसमें उन्हें हर बार कोरोना वायरस की गंध का सामना करने पर शक्कर का पानी दिया, लेकिन बिना वायरस के नमूने के साथ उन्हें कुछ नहीं दिया गया. इससे उन्हें हर बार कोरोना वायरस की गंध मिलने पर जीभ निकालने की आदत हो गई. फिर गंध मिलने के बाद शक्कर का पानी ना मिलने पर भी वे जीभ निकालने लगीं.

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95 प्रतिशत कारगर!
शोधकर्ताओं का कहना है कि कुछ ही घंटों में मधुमक्खियां वायरस को कुछ ही सेकेंड्स में पहचानने के लिए प्रशिक्षित  हो गईं. पोएल का कहना है कि वैज्ञानिकों को विश्वास है कि वे इस टेस्ट में 95 प्रतिशत कारगरता की दर हासिल कर सकते हैं अगर वे कुछ कीड़ों का नमूना सूंघने के लिए उपयोग करें. इस अध्ययन के नतीजे अभी पियर रीव्यू के लिए नहीं दिए गए हैं और ना ही अभी प्रकाशित हुए हैं.