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192000 किलो कुवैत निर्यात, अब खाड़ी देशों से करीबी बढ़ाएगा गाय का गोबर

सऊदी अरब, कुवैत और कतर के वैज्ञानिकों ने भारतीय देशी गाय के गोबर को बेहद उपयोगी बताया है. इसी कड़ी में भारत में राजस्थान की प्रमुख गोशालाओं से गाय का गोबर इन तीनों देशों में भेजा जाएगा.

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Keshav Kumar
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गाय के गोबर का खजूर की फसल में खाद के रूप में इस्तेमाल होगा( Photo Credit : News Nation)

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पैगंबर मोहम्मद ( Prophet Mohammad) पर बयान को लेकर भड़के विवाद के बाद खाड़ी देशों ( Gulf Countries) से भारत के रिश्ते वापस मजबूत करने में गाय के गोबर ( Cow Dung) की अहम भूमिका होने वाली है. इस्लामिक मुल्क कुवैत ( Kuwait) ने भारत से गाय के 192 मीट्रिक टन ( 1 लाख 92 हजार किलो ) गोबर की मांग की है. कुवैत के एक वैज्ञानिक रिसर्च में पता चला है कि फसलों के लिए गाय का गोबर काफी बेहतर खाद है. इसके बाद भारत को इसके लिए आर्डर दे दिया गया. गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से गाय के गोबर पहली खेप कुवैत भेजी जाएगी.

सहकारी स्तर पर हो रहा गोबर का निर्यात

यह पहली बार है जब भारत को विदेश से गाय के गोबर के लिए ऑर्डर मिला है. इससे पहले भारत पशु उत्पादों में मांस और पशुओं के खाल के अलावा दूध और दूध के दूसरे उत्पादों का निर्यात करता रहा है. अब विदेशी वैज्ञानिक रिसर्चों में भी गाय के गोबर की गुणवत्ता को पुष्टि मिलने के बाद भारत को और कई देशों से इसके बड़े ऑर्डर्स मिल सकते हैं. सबसे बड़ी बात है कि गोबर का ये निर्यात सरकारी नहीं, बल्कि सहकारी स्तर पर हो रहा है. विदेशों में गोबर निर्यात करने की योजना के बारे में देश के लगभग सभी राज्यों से आगे बातचीत की जाएगी.

कुवैत ने खजूर के फसल के लिए मंगवाया गोबर

जानकारी के मुताबिक सऊदी अरब, कुवैत और कतर के वैज्ञानिकों ने भारतीय देशी गाय के गोबर को बेहद उपयोगी बताया है. इसी कड़ी में भारत में राजस्थान की प्रमुख गोशालाओं से गाय का गोबर इन तीनों देशों में भेजा जाएगा. कुवैत से ऑर्डर भेजने की शुरुआत हो रही है. कुवैत ने पाया है कि भारतीय गाय के गोबर के इस्तेमाल से खजूर के फसल का आकार और उत्पादन बढ़ता है. कुवैत में देशी गाय के गोबर का पाउडर के रूप में खजूर की फसल में इस्तेमाल किया जाएगा. इसलिए कुवैत ने पहली बार गाय के गोबर के लिए ऑर्डर दिया है. 

पेस्टीसाइड के चलते खाड़ी देशों के बाजार पर असर

खाड़ी देशों में पेस्टीसाइड के कारण खजूर की फसल प्रभावित हो रही है. खाड़ी देशों के निर्यात होने वाले पेस्टीसाइड से स्थानीय लोगों के साथ अब यूरोपियन देश भी तौबा कर रहे हैं. इसकी वजह से खाड़ी देशों के बाजार पर भी असर हो रहा है. वैज्ञानिक रिसर्च में पाया गया कि पेस्टीसाइड को खत्म करने में गाय का गोबर सबसे ज्यादा कारगर है. गाय के गोबर में 0.5 से 0.6 फीसदी नाइट्रोजन, 0.25 से 0.3 फीसदी फास्फोरस 0.25 से 0.3 और पोटाश की मात्रा 0.5 से 1.0 फीसदी होता है. वहीं गोबर की खाद में कैल्शियम, मैग्नीशियम, गंधक, लोहा, मैंगनीज, तांबा और जस्ता आदि जमीन को उपजाऊ बनाने वाली  तत्व भी पाए जाते हैं.

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अगले महीने भेजा जाएगा अमेरिका और कतर 

खाड़ी देशों में गाय के गोबर की डिमांड का हाल ये है कि इसे 40 फीसदी अधिक ट्रांसपोर्ट का दाम चुकाकर मंगवाया जा रहा है. तीन देशों की मांग के बाद बाकी देश भी गोबर की जरूरतों के प्रति जागरूक हो गए हैं. अगले महीने गोबर की खेप अमेरिका और कतर में भी भेजी जाएगी. ब्रिटेन में पहले से ही गोबर गैस से प्रतिवर्ष करीब सोलह लाख यूनिट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है. अब ब्रिटेन की कुछ कंपनियों ने भारत की देशी गायों का गोबर मंगवाने को लेकर दिलचस्पी दिखाई है. पड़ोसी देश चीन 1.5 करोड़ परिवारों को बिजली देने के लिए गोबर का इस्तेमाल करता है. 

गोशालाओं-पशुपालक किसानों की बढ़ेगी आमदनी

कृषि क्षेत्र में भारत में पशु उत्पादों का सफल इस्तेमाल हजारों वर्षों से होता आ रहा है. इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में पशु उत्पादों के निर्यात मामले में भी भारत पहले से ही एक बड़ा हब रहा है. अब कुवैत से शुरू हो रहे गाय के गोबर के बड़े पैमाने पर निर्यात के साथ ही इस क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है. गाय का घी और बाकी उत्पाद तो पहले से ही विदेशों में जाता था. अब गोबर भी जाएगा. इससे गोशालाओं और पशुपालक किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी. गो-उत्पादों के लिए दुनिया भर में सकारात्मक छवि बनाने में गोभक्तों का बड़ा योगदान है.

15 जून को रवाना होगी गोबर की पहली खेप

रिपोर्ट्स के मुताबिक ‘भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ’ के अध्यक्ष डॉ अतुल गुप्ता के प्रयासों से ये सफलता मिली है. कुवैत के लैमोर नामक कंपनी ने गोबर मंगाया है. ‘सनराइज एग्रीलैंड एंड डेवलपमेंट रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड’ को ये ऑर्डर मिला है. कनकपुरा रेलवे स्टेशन से 15 जून ( बुधवार) को गोबर की पहली खेप रवाना की जाएगी. जयपुर में कस्टम विभाग की देखरेख में टोंक मोड़ स्थित पिंजरापोल गौशाला के ‘सनराइज आर्गेनिक पार्क’ में कंटेनरों में गाय के गोबर की पैकिंग का काम चालू है. 

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दुनिया में लगातार बढ़ रही जैविक खाद की मांग

कंपनी के डायरेक्टर प्रशांत चतुर्वेदी ने बताया कि भारत में पहली बार शायद इस तरह का कुछ काम हो रहा है. साल 2020-21 में भारत का पशु उत्पाद निर्यात 27,155.56 करोड़ रुपए था. जैविक खाद की मांग लगातार बढ़ रही है. चतुर्वेदी ने कई वैज्ञानिक रिसर्चों का हवाला देते हुए दावा किया कि गाय के गोबर के इस्तेमाल से फसल से कई बीमारियां भी ठीक होती हैं. भारत के तीस करोड़ मवेशी रोज 30 लाख टन के आसपास गोबर देते हैं. गाय के गोबर के निर्यात की वजह से गाय के संरक्षण में एक बड़ी पहल साबित होगी.

HIGHLIGHTS

  • गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से गोबर की पहली खेप कुवैत भेजी जाएगी
  • भारत को विदेश से गाय के गोबर के लिए पहली बार ऑर्डर मिला है
  • इस पहल से गोशालाओं और पशुपालक किसानों की आमदनी बढ़ेगी
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