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कांग्रेस किसान आंदोलन के सियासी समीकरणों को भुनाने को तैयार

सोमवार को किसान आंदोलन को सही तरीके से हैंडल नहीं करने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को फटकार के बाद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) खासी जोश में आ गई हैं.

Updated on: 12 Jan 2021, 10:05 AM

नई दिल्ली:

कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को भुनाने के लिए कांग्रेस पूरी तरह से तैयार है. खासकर सोमवार को किसान आंदोलन को सही तरीके से हैंडल नहीं करने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को फटकार के बाद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) खासी जोश में आ गई हैं. सूत्रों के मुताबिक सोनिया ने आगामी संसद सत्र में मोदी सरकार को घेरने के लिए रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. इस कड़ी में सोनिया गांधी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत अन्य विपक्षी नेताओं से फोन पर बात भी की है. 

15 जनवरी को देशव्यापी कार्यक्रम
किसानों के आंदोलन के बीच बन रहे सरकार विरोधी रुख को अवसर के तौर पर भांपते हुए कांग्रेस ने 15 जनवरी को अखिल भारतीय कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है और अपनी राज्य इकाइयों से कृषि कानूनों का कड़ा विरोध जताने को कहा है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा को कम से कम हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अशांति से नुकसान होने वाला है. पंजाब को छोड़कर अन्य तीन राज्यों में भाजपा का शासन है.

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बजट सत्र के लिए कमर कसी सोनिया ने
यही वजह रही कि कांग्रेस ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बाद नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करने में देर नहीं लगाई और सरकार से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की थी. यही नहीं, संसद के बजट सत्र से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया विपक्ष के कई ऐसे नेताओं के संपर्क में है जो कृषि कानूनों को लेकर सरकार को घेरने की साझा रणनीति तैयार करने के लिए जल्द ही बैठक करेंगे. संसद सत्र से पहले विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाने के मकसद से विपक्ष के लोगों से सोनिया ने बातचीत करना भी आरंभ कर दिया है. 

शरद पवार भी हुए सक्रिय
अंदरूनी सूत्रों की मानें तो सोनिया ने विपक्षी नेताओं को फोन कर एक संयुक्त बैठक आयोजित करने का आग्रह किया है ताकि केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध का खांका तैयार किया जा सके. एनसीपी नेता शरद पवार के लेफ्ट नेताओं सीताराम येचुरी और डी राजा से मुलाकात के बीच ही सोनिया भी सक्रिय हैं और उन्होंने विपक्षी नेताओं को फोन घुमाया है. पवार ने येचुरी और राजा से किसान आंदोलन के मुद्दे पर बातचीत की थी. गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा में स्थिति अस्थिर दिख रही है, जहां भाजपा बैकफुट पर है.

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हरियाणा-पंजाब में ज्यादा मुखर
उदाहरण के लिए रविवार को आंदोलनरत किसानों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को उनके गृह जिले करनाल में होने वाले एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए हेलीकॉप्टर तक नहीं उतरने दिया और जमकर बवाल काटा. कांग्रेस ने सोमवार को इस घटना में किसी भी तरह की भूमिका से इनकार किया और खट्टर को अराजकता के लिए जिम्मेदार ठहराया. कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने सोमवार को कहा, 'जो लोग किसानों के साथ हैं, उन्हें सरकार का साथ छोड़ देना चाहिए.'

पंजाब में बीजेपी पड़ी अकेली
जाहिर है पंजाब में फरवरी में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रहने वाले हैं. वहीं कांग्रेस को किसान आंदोलन के कारण यह चुनाव जीतने की पूरी उम्मीद है. शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की ओर से कृषि कानूनों का विरोध जताने के बाद भगवा पार्टी पंजाब में अकेली पड़ गई है. हिमाचल प्रदेश में अभी-अभी संपन्न नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह क्षेत्र में बढ़त बनाने में सफल रही है. यह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि शहरी क्षेत्र परंपरागत रूप से भगवा पार्टी का आधार माना जाता है.