कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के घर के बाहर लगाई गई धारा 144
किसान आंदोलन (Farmers Protest) और कृषि कानून (Agricultural Law)पर सुप्रीम कोर्ट सुनावाई शुरू हो रही है. कृषि कानून और किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का अंतरिम आदेश आएगा.
नई दिल्ली:
किसान आंदोलन (Farmers Protest) और कृषि कानून (Agricultural Law)पर सुप्रीम कोर्ट सुनावाई शुरू हो रही है. कृषि कानून और किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का अंतरिम आदेश आएगा. सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ कर दिया कि वो फिलहाल कृषि कानूनों के लागू होने पर रोक लगाना चाहते है. किसान आंदोलन (Farmers Protest) से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर और लाइव अपडेट(Live Updates) के लिए आप जुड़े रहे न्यूज नेशन ( Newsnation.tv ) के साथ यहां मिलेगी आपको हर खबर.
ये किसानों की जीत है, सरकार की तरफ से बहुत कोशिश की गई इस बिल को लागू रहने की, लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया कि बिल पर रोक. अब सिर्फ कोर्ट ही तय रहेगी. अब सब आर्डर से होगा. कमेटी गठित हो चुकी है. धरना तब तक खत्म नहीं होगा जब तक बिल खत्म नहीं होगा. 26 जनवरी को किसान आएंगे पुलिस संभाले : एमएल शर्मा, याचिकाकर्ता
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समिति के सदस्य
1- जितेन्द्र सिंह मान, अध्यक्ष बीकेयू
2- डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अंतर्राष्ट्रीय नीति प्रमुख
3- अशोक गुलाटी, कृषि अर्थशास्त्री
4- अनिल धनवत, शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के आवास के बाहर धारा 144 लगा दी गई है. दिल्ली पुलिस ने उनके घर की तरफ जाने वाले रास्ते को ब्लॉक कर दिया है.
कोर्ट किसान सगठनों के वकील से बात कर रहा है. भारतीय किसान संघ के वकील ने कोर्ट में कहा कि हम देश के सबसे बड़े किसान संगठन हैं. इसमें देशभर के किसान शामिल हैं. हम कमिटी गठन चाहते हैं. CJI ने पूछा कितने किसान मेंबर हैं. वकील का जवाब - 10,000. CJI - और आप कह रहे हैं कि आप देश का सबसे बड़ा किसान संगठन हैं!
किसान संगठनों की गणतंत्र दिवस को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली पर रोक की दिल्ली पुलिस की मांग पर भी नोटिस जारी. इस अर्जी पर सोमवार को सुनवाई होगी.
कोर्ट का सवाल - आरोप है कि कुछ प्रतिबंधित संगठन प्रदर्शन को स्पॉन्सर कर रहे है. आपका क्या कहना है. AG - खालिस्तान समर्थक इस प्रदर्शन में शामिल हो गए है, ऐसी रिपोर्ट है। 26 जनवरी को कड़ी सुरक्षा रहती है. एक बार वो दिल्ली की सीमा में घुस गए, कहाँ जायेगे. कुछ नहीं कहा जा सकता.
वकील विकास सिंह ने कहा है कि प्रदर्शन नियत जगह पर होना चाहिए. कोर्ट - क्या किसी किसान संगठन ने रामलीला मैदान में प्रदर्शन की इजाजत मांगी है. विकास सिंह- उन्हें दिल्ली में ही घुसने नहीं दिया गया.
हरीश साल्वे ने कह कि सरकार कह चुकी है कि MSP नहीं खत्म होगी, ज़मीन नहीं बिकेगी. तब दिक़्क़त कहाँ है.
हरीश साल्वे ने कहा कि विदेश में मौजूद सिख फ़ॉर जस्टिस जैसे संगठन ऐसे आंदोलन को स्पॉन्सर कर रहे है. क़ानून के अमल पर रोक को राजनीतिक जीत की तरह नहीं देखा जाना चाहिए. साल्वे उन यचिकर्ताओ की ओर से पेश हो रहे हैं जिन्होंने बॉर्डर पर जमा किसानों को हटाने की मांग की है.
कुछ किसान संगठनों की ओर से पेश वकील एपी सिंह ने साफ किया कि उनकी जिन किसानों से बात हुई है, वो कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे.
CJI - हम कानून के अमल पर रोक लगाना चाहते है, पर अनिश्चित काल के लिए नहीं. लोग अपनी शिकायत कमेटी के सामने रख सकते है.
तिरुचि शिवा की ओर से पेश एक वकील ने बात रखी. कहा -AG का ये कहना है कि दक्षिण भारत के किसानों को दिक्कत नहीं, गलत है. वहाँ भी रैली हो रही है. विजयवाड़ा जल रहा है.
AG ने कमेटी के गठन के जरिये हल पर आशंका जाहिर की. CJI ने जवाब दिया- कमेटी भी न्यायिक प्रकिया का हिस्सा है.
किसानों के वकील एमएल शर्मा ने कहा कि किसान की शिकायतें है कि पीएम उनसे बात नहीं कर रहे.
CJI ने कहा कि हम पीएम को कुछ नहीं कह सकते. वो इस मामले में पक्षकार नहीं है. कृषि मंत्री पार्टी है. वो किसानों से बात करेंगे.
CJI - किसानों के वकील दुष्यंत दवे ने हमे आश्वासन दिया है कि किसान ट्रैक्टर मार्च नहीं करेंगे. कमेटी के सामने पेश होंगे. CJI- हम भी ज़मीनी हक़ीक़त जानना चाहते है. इसलिए कमेटी बनाने की बात कह रखी है.
चीफ जस्टिस ने कहा- हम इसे जीवन-मौत के मामले की तरह नहीं देख रहे. सवाल कानून की वैधता का सवाल है. हमारे हाथ में है कि हम क़ानूनों के अमल को स्थगित कर दे. बाकी मसले आप कमेटी के सामने उठा सकते हैं.
किसानों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हमें कृषि कानून पर कमेटी में नहीं जाना है. हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा. किसानों के वकील ML शर्मा ने कहा कि हम मर मिटने के लिए तैयार है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को एक बार फिर सरकार को किसानों के मुद्दे पर घेरा. राहुल ने ट्वीट कर लिखा, ‘सरकार की सत्याग्रही किसानों को इधर-उधर की बातों में उलझाने की हर कोशिश बेकार है. अन्नदाता सरकार के इरादों को समझता है; उनकी माँग साफ़ है- कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो, बस!’
सरकार की सत्याग्रही किसानों को इधर-उधर की बातों में उलझाने की हर कोशिश बेकार है।
अन्नदाता सरकार के इरादों को समझता है; उनकी माँग साफ़ है-
कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो, बस!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 12, 2021
केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों और इन कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जो सुझाव दिए, उन पर देर शाम प्रतिक्रिया देते हुए किसान संगठनों ने कहा कि सरकार के अड़ियल रवैये की वजह से उन्हें किसी भी समिति के सामने पेश होना मंजूर नहीं है, भले ही उसकी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही की जाए.
संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को एक बयान में कहा कि सभी संगठनों ने कृषि कानूनों पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का स्वागत किया है, लेकिन किसी समिति के सामने कार्यवाही में हिस्सा लेना उनको मंजूर नहीं है.
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