कांग्रेस के लिए बिहार के बाद हैदराबाद खतरे की घंटी, समझे गांधी परिवार

भारतीय जनता पार्टी का विस्तार जारी है, जबकि कांग्रेस हर चुनाव के साथ अपना जनाधार खोती जा रही है.

author-image
Nihar Saxena
New Update
Azam khan

हार के कारणों को समझने में नाकाम है कांग्रेस आलाकमान.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

अगर बिहार विधानसभा चुनाव और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव परिणामों को देखा जाए तो एक बात बहुत साफ-साफ समझ आती है. वह यह है कि भारतीय जनता पार्टी का विस्तार जारी है, जबकि कांग्रेस हर चुनाव के साथ अपना जनाधार खोती जा रही है. यह अलग बात है कि कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ नेता की नसीहत भी कांग्रेस आलाकमान को इस स्थिति में भी नहीं सुहा रही है. तुर्रा यह है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब भी मोदी सरकार को ऐसे ललकार रहे हैं कि मानों ऐसा करने मात्र से देश की सबसे पुरानी पार्टी अपना खोता जा रहा जनाधार वापस हासिल कर लेगी.

Advertisment

कांग्रेस के साथी टीडीपी की भी दुर्दशा
बहुचर्चित ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 48 सीटों पर कब्जा जमा लिया. हालांकि एक ओर भगवा पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा तो कांग्रेस और तेलुगू देशम पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस और तेलुगू देशम पार्टी के लिए हार इसलिए शर्मनाक रही क्योंकि इन दोनों दलों ने नगर निगम के चुनाव में 100 से ज्यादा उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन सिर्फ 2 सीट पर ही कब्जा जमा सके. ये दोनों जीत कांग्रेस के खाते में गई. हालांकि यह कांग्रेस के लिए खुश होने की बात कतई नहीं है.

यह भी पढ़ेंः UN ने किसान आंदलोन पर कहा- लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का हक है

146 प्रत्याशियों में से सिर्फ 2 जीते
बीजेपी के साथ ज्यादातर चुनावों में मात खाने वाली कांग्रेस ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में भी हार गई. कांग्रेस ने निगम की 150 सीटों में से 146 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और सिर्फ 2 ही जीत अपने नाम कर सके. यानी कांग्रेस का स्ट्राइक रेट एक फीसदी के आसपास ही रहा है. यह स्थिति कांग्रेस और तेलुगू देशम के लिए बेहद खराब है. गौरतलब है कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस जिस तीसरे मोर्चे की बात कर रही थी, उसकी कमान चंद्रबाबू नायडू ही संभाल रहे थे. 

यह भी पढ़ेंः LIVE: किसानों ने फिर सरकार का खाना खाने से किया मना, लंगर से मंगवाकर खाया

लोकसभा चुनाव परिणाम उत्साहवर्धक रहे थे
कांग्रेस के लिए जीएचएमसी चुनाव के नतीजे इसलिए भी भयावह है, क्योंकि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही टीआरएस के आगे खड़ी रही थीं. बीते साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने तेलंगाना की चार जबकि कांग्रेस ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की. सोलहवीं लोकसभा के लिए 2014 चुनाव में बीजेपी को राज्य की केवल एक लोकसभा सीट पर सफलता मिली थी. जाहिर है इस लिहाज से बीजेपी ने राज्य में अपना जनाधार और मत प्रतिशत बढ़ाया है, जबकि कांग्रेस क्षरण का शिकार हुई है. 

यह भी पढ़ेंः 'PFI पर ED की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित, एक भी आरोप साबित नहीं हुए'

बिहार में भी करारी हार मिली
यही हाल बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों में भी देखने में आया था. बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम में महागठबंधन की हार के पीछे कांग्रेस के प्रदर्शन को भी जिम्मेदारी माना जा रहा है. आरजेडी को आंखे दिखाकर बिहार चुनाव में 70 सीट लेने वाली कांग्रेस महज 19 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई. और तो और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं अखिलेश सिंह और सदानंद सिंह पर पैसे लेकर टिकट बांटने के आरोप लगे. 

कांग्रेस मुक्त भारत... सच न हो जाए
बिहार कांग्रेस पर आरोप लगे कि उसने कई जगहों पर कमजोर उम्मीदवारों को टिकट दिया, जिसके कारण एनडीए की जीत आसान हो गई. स्थिति यह रही कि महागठबंधन में कांग्रेस से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन हम और वीआईपी जैसे क्षेत्रीय दलों ने किया है. कांग्रेस की जीत का प्रतिशत 27.1 रहा है. यह संकेत कांग्रेस के लिए अच्छे नहीं है और उसे जल्द से जल्द संगठन और चेहरों में आमूलचूल बदलाव करने होंगे, वर्ना बीजेपी का कांग्रेस मुक्त भारत का नारा गति पकड़ता दिखाई पड़ रहा है. 

Source : News Nation Bureau

राहुल गांधी GHMC Election result rahul gandhi बीजेपी congress ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव सोनिया गांधी कांग्रेस मुक्त भारत Bihar Elections 2020 Sonia Gandhi Congress Mukta Bharat
      
Advertisment