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RS चुनाव में कांग्रेस में क्रॉस वोटिंग का खतरा, बीजेपी का दांव भी भारी

कांग्रेस आलाकमान के उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी के कई नेताओं में बेहद नाराजगी है. इसके साथ ही ही राजस्थान, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में 'बाहरी' का मुद्दा बवाल मचा रहा है.

Updated on: 01 Jun 2022, 10:09 AM

highlights

  • राज्यसभा चुनाव में कांग्रेसी उम्मीदवारों से नेताओं में नाराजगी
  • बीजेपी ने कांग्रेस के लिए राज्यसभा चुनाव में बनाई रणनीति
  • कांग्रेसी नेताओं के असंतोष से क्रॉस वोटिंग का खतरा भी बढ़ा

नई दिल्ली:

राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Elections) के लिए कांग्रेस (Congress) की ओर से उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही पार्टी की अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है. कांग्रेस आलाकमान के उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी के कई नेताओं में बेहद नाराजगी है. खासकर महाराष्ट्र (Maharashtra) से इमरान प्रतापगढ़ी को टिकट पर कई नेताओं ने खुलकर असहमति जताई है. इसके साथ ही ही राजस्थान, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में 'बाहरी' का मुद्दा बवाल मचा रहा है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस असंतोष को भुनाने के लिए खास रणनीति पर काम कर रही है. बीजेपी ने अपने दम पर जीती जा सकने वाली सीटों से ज्यादा का टारगेट तय किया है और इसके लिए प्रभावशाली निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन करने का फैसला किया है. भाजपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए राजस्थान और हरियाणा से जी मीडिया कॉरपोरेशन और एस्सेल समूह के प्रमुख सुभाष चंद्रा और आईटीवी नेटवर्क के कार्तिकेय शर्मा को समर्थन दिया है. इसी तर्ज पर बीजेपी ने महाराष्ट्र और कर्नाटक से धनंजय महादिक और लहर सिंह सिरोया को भी मैदान में उतारा है. इससे साफ है कि भाजपा का यह दांव कांग्रेस के लिए नई चुनौती दे सकता है. इससे कांग्रेस में क्रॉस वोटिंग का खतरा बढ़ गया है. 

राजस्थान में फंस गया पेंच
गौरतलब है कि सुभाषा चंद्रा पिछली बार कांग्रेस समर्थित अधिवक्ता आरके आनंद को हराकर हरियाणा से राज्यसभा पहुंचे थे. इस बार भाजपा ने उन्हें समर्थन देने का फैसला तब किया जब कांग्रेस नेतृत्व के राजस्थान की तीनों सीटों से बाहरी उम्मीदवारों को उतारने का फैसले से स्थानीय नेताओं को नाराज कर दिया है. गणित के आधार पर तीनों सीटें कांग्रेस आसानी से जीत सकती है. यहां से कांग्रेस उम्मीदवार मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी और रणदीप सुरजेवाला उम्मीदवार बनाए गए हैं. कांग्रेस हाईकमान के उम्मीदवारों को चयन पर राजस्थान के नेताओं में गहरी नाराजगी है. कांग्रेस विधायक संयम लोढ़ा सार्वजनिक रूप से ट्विटर पर लिख चुके हैं. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस पार्टी को यह बताना चाहिए कि राजस्थान के किसी भी कांग्रेस नेता/कार्यकर्ता को राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाने के क्या कारण हैं?'

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कांग्रेस को राजस्थान में भी चुनौती
दरअसल, एक सीट जीतने के लिए 41 वोट की जरूरत है, कांग्रेस के पास 108 वोट हैं. उसे तीसरे उम्मीदवार प्रमोद तिवारी की जीत तय करने के लिए निर्दलीयों और क्षेत्रीय दलों के समर्थन की भी जरूरत पड़ेगी. खबर है कि राजस्थान में 13 निर्दलीय विधायकों में से 10 विधायकों ने मंगलवार रात को मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवारों से मुलाकात की. उधर, भाजपा ने अपने दिग्गज नेता घनश्याम तिवारी को मैदान में उतारा है. पार्टी के पास अतिरिक्त 30 वोट बचते हैं और उसे चंद्रा को ट्रांसफर किया जा सकता है. ऐसे में नतीजा 13 निर्दलीयों पर निर्भर करेगा, जिसमें राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के पास तीन, सीपीएम और भारतीय ट्राइबल पार्टी के साथ दो-दो और राष्ट्रीय लोकदल के पास एक सीट है.

हरियाणा में भी बाहरी उम्मीदवार
हरियाणा में कांग्रेस ने अपने स्थानीय चेहरे सुरजेवाला को राजस्थान भेज दिया है और दिल्ली के अजय माकन को यहां से उम्मीदवार बनाया है. उधर, कार्तिकेय शर्मा के नौ वोट भाजपा से पक्के हो गए हैं. अपने उम्मीदवार किशन लाल पंवार की जीत सुनिश्चित करने के बाद पार्टी ने कार्तिकेय को समर्थन देकर बड़ा दांव चल दिया है. इसी तरह महाराष्ट्र में भाजपा ने गेम को दिलचस्प बना दिया है जहां एकमात्र सीट के लिए कांग्रेस ने इमरान प्रतापगढ़ी का चयन किया है, जो यूपी से ताल्लुक रखते हैं. वहां स्थानीय नेताओं में काफी नाराजगी है. ऐसे में कांग्रेस में क्रॉस वोटिंग का खतरा बढ़ गया है.

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कर्नाटक की चौथी सीट पर रार
कर्नाटक में चौथी सीट के लिए मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है क्योंकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अतिरिक्त उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं जिससे जेडीएस के लिए एकमात्र सीट जीतना भी मुश्किल हो गया है. 122 विधायकों के साथ भाजपा के पहले दो उम्मीदवार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और ऐक्टर जग्गेश आसानी से राज्यसभा पहुंच सकते हैं जबकि सिरोया को 32 वोट मिलेंगे और ऐसे में उन्हें जीत के लिए 13 और वोटों की जरूरत होगी. कांग्रेस के पास 70 सीटें हैं और उसके पहले उम्मीदवार जयराम रमेश की आसानी से जीत तय है, लेकिन मंसूर अली खान के लिए 20 वोट कम पड़ेंगे.