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बदरीनाथ-केदारनाथ धाम से गायब हुई बर्फ, पहाड़ भी झुलसे गर्मी से

मार्च माह के शुरूआत में जहां बदरीनाथ धाम में तीन से चार फीट तक बर्फ जमी थी, वहां कुछ-कुछ जगहों पर ही नाममात्र की बर्फ जमी है.

Updated on: 03 Apr 2022, 12:42 PM

highlights

  • इस साल चारों धामों में मार्च के मध्य से बर्फ पिघलनी शुरू
  • विशेषज्ञों की मानें तो बारिश नहीं होना बड़ा जिम्मेदार
  • बीते साल तक 15 अप्रैल तक रहा करती थी बर्फ

देहरादून:

इस बार चारों धामों में अच्छी बर्फबारी हुई, लेकिन मौसम परिवर्तन के कारण मार्च माह के अंत तक गर्मी तेजी से बढ़ने से चारों धामों में बर्फ तेजी से पिघल रही है. स्थिति यह है कि बदरीनाथ धाम बर्फविहीन हो चुका है, जबकि पिछले वर्षों तक यहां इस समय तक चार फीट बर्फ रहती थी. वहीं केदारनाथ धाम में परिसर से बर्फ हटाने की जरूरत ही नहीं पड़ी. यहां भी बर्फ पिघल चुकी है, जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री में नाममात्र की बर्फ रह गई है. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर बारिश नहीं हुई और इसी तरह गर्मी पड़ती रही तो ऊंची चोटियां भी बर्फविहीन हो जाएंगी. 

बदरीनाथ में फरवरी में थी छह फीट बर्फ
मार्च माह के शुरूआत में जहां बदरीनाथ धाम में तीन से चार फीट तक बर्फ जमी थी, वहां कुछ-कुछ जगहों पर ही नाममात्र की बर्फ जमी है. धाम में तेजी से बर्फ पिघल रही है. बदरीनाथ के तप्तकुंड, परिक्रमा स्थल, बदरीनाथ परिसर और आस्था पथ पर बर्फ पूरी तरह से पिघल गई है. विजयलक्ष्मी चौक और माणा रोड पर भी बर्फ गायब हो गई है. बदरीनाथ से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित देश के अंतिम गांव माणा में भी बर्फ तेजी से पिघल रही है. बीते फरवरी माह में बदरीनाथ धाम में पांच से छह फीट तक बर्फ जम गई थी. बदरीनाथ का बामणी गांव बर्फ से ढक गया था, लेकिन यहां एक माह में ही बर्फ पूरी तरह से गायब हो गई है. हालांकि हनुमान चट्टी से आगे रड़ांग बैंड और कंचन गंगा में अभी भी हिमखंड बदरीनाथ हाईवे तक पसरे हुए हैं. यहां बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) की ओर से बर्फ को काटकर हाईवे सुचारु किया गया है. अब हिमखंड भी तेजी से पिघल रहे हैं.

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हेमकुंड साहिब में अभी दस फीट तक बर्फ
प्रसिद्ध हेमकुंड साहिब बर्फ से ढका हुआ है. यहां यात्रा के प्रमुख पड़ाव घांघरिया में करीब तीन फीट तो हेमकुंड साहिब में आठ से दस फीट तक बर्फ जमी है. यात्रा का तीन किलोमीटर आस्था पथ भी अभी भी बर्फ से ढका है. गोविंदघाट गुरुद्वारे के वरिष्ठ प्रबंधक सरदार सेवा सिंह का कहना है कि हेमकुंड साहिब के आस्था पथ और गुरुद्वारे से बर्फ हटाने के लिए सेना के जवानों की टुकड़ी 15 अप्रैल से हेमकुंड क्षेत्र में पहुंच जाएगी. यदि मौसम ऐसे ही रहा तो मई माह तक हेमकुंड से भी बर्फ पिघल जाएगी.

मार्च में बारिश न होने से अचानक बढ़ी गर्मी
गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में इस बार पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक बर्फबारी हुई, लेकिन बर्फ समय से पहले ही तेजी से पिघलने लगी है. गंगोत्री धाम में स्थिति यह है कि 20 मार्च तक ही धाम के आस-पास की सारी बर्फ पिघल चुकी थी. धाम में तैनात नगर पंचायत के कर्मचारी राज कपूर ने बताया कि पिछले वर्ष तक धाम में बर्फ 15 अप्रैल तक रहती थी. ऐसी ही कुछ यमुनोत्री धाम की स्थिति भी है. यहां भी बर्फ तेजी से पिघल रही है. हालांकि जिन स्थानों पर धूप कम आती है, वहां अभी बर्फ जमी हुई है. गढ़वाल विवि के मौसम विज्ञानी डा. गौतम का कहना है कि इस बार मार्च माह में बारिश नहीं हुई. वातावरण में नमी समाप्त होने व शुष्कता बढ़ने से अचानक गर्मी बढ़ गई है. इसी का परिणाम है कि बर्फ तेजी से पिघल रही है. अप्रैल आते-आते वातावरण की नमी कम हो गई, जिससे सौर विकीरण तेजी से बढ़ा है.

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15 दिनों से प्रतिदिन तपिश हो रही तेज
मंदिर परिसर की बर्फ बिना सफाई के बीते तीन दिनों में पिघल गई है. एमआई-26 हेलीपैड की यही स्थिति है. केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य करने वाली कार्यदायी संस्था डीडीएमए के ईई प्रवीण कर्णवाल ने बताया कि बीते 15 दिनों से प्रतिदिन तपिश तेज हो रही है. ऐसे में मंदिर मार्ग से लेकर मंदिर परिसर में लगे पत्थर बहुत गर्म हो रहे हैं, जिससे बर्फ तेजी से पिघल रही है, जबकि कच्चे स्थानों पर अब भी बर्फ के ढेर हैं. वहीं तृतीय केदार तुंगनाथ सहित चंद्रशिला तक मौसम का असर देखने को मिल रहा है.

बर्फ पिघलना शुभ नहीं
वाडिया संस्थान के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. डीपी डोभाल का कहना है कि केदारनाथ में जमा बर्फ पिघलने का समय मई आखिर तक रहता है, लेकिन धाम में मशीनों से काटकर बर्फ साफ की जा रही है, उसका असर पूरे क्षेत्र पर पड़ रहा है. मशीनों के चलने से होने वाली आवाज और निकलने वाले धुएं से गर्मी बढ़ रही है, जिस कारण बर्फ तेजी से पिघल रही या उसे मशीनों से पिघलाया जा रहा है, वह किसी भी रूप में शुभ नहीं है. केदारनाथ में टनों बर्फ एक साथ पिघलने से मंदाकिनी नदी का प्रवाह भी बढ़ सकता है. इन हालातों में आगामी मई-जून में नदी में पानी कम होने से निचले इलाकों में पेयजल संकट पैदा हो सकता है. साथ ही जितनी तेजी से बर्फ पिघलेगी, उससे गर्मी का प्रकोप भी बढ़ेगा. ऐसे में आगामी अप्रैल मध्य से मई में बेमौसम तेज बारिश से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.