1962 में भी गलवान पोस्ट से पीछे हटा था चीन, बाद में मिला धोखा

1962 के भारत चीन युद्ध के बाद भी चीन ने अपने सैनिकों को गलवान पोस्ट से पीछे हटा लिया था. इतिहास गवाह है कि चीन की पीछे हटने और बाद में धोखा देने की पुरानी आदत है.

1962 के भारत चीन युद्ध के बाद भी चीन ने अपने सैनिकों को गलवान पोस्ट से पीछे हटा लिया था. इतिहास गवाह है कि चीन की पीछे हटने और बाद में धोखा देने की पुरानी आदत है.

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Kuldeep Singh
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1962 में भी गलवान पोस्ट से पीछे हटा था चीन, बाद में मिला धोखा( Photo Credit : फाइल फोटो)

समझौता करना करना और बाद में उससे मुकर जाना, यह चीन (China) की पुरानी चाल है. गलवान घाटी (Galvan Valley) में 15-16 जून की रात जो हुआ. ऐसी हिंसक झड़प करीब पांच दशक बाद दोनों देशों के बीच देखने को मिली. यह पहली बार नहीं है जब चीनी सेना गलवान घाटी में पीछे हटी है. 1962 के भारत चीन युद्ध के बाद भी चीन ने अपने सैनिकों को गलवान पोस्ट से पीछे हटा लिया था. इतिहास गवाह है कि चीन की पीछे हटने और बाद में धोखा देने की पुरानी आदत है.

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1962 के भारत चीन युद्ध में भले ही भारत को भारी नुकसान हुआ हो लेकिन गलवान पोस्ट पर भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय दिया था. चीनी सेना को गलवान पोस्ट से पीछे हटना पड़ा था. वरिष्ठ पत्रकार शिव अरूर ने 1962 युद्ध के कुछ दिनों बाद की एक अखबार की कटिंग को पोस्ट करते हुए लिखा कि 1962 भारत चीन युद्ध के करीब तीन महीने बाद चीन गलवान पोस्ट से पीछे हट गया था. चीन ने अपने सेना को पीछे कर लिया था.

बाद में मिला धोखा
हालांकि चीन ने उस दौरान अपनी सेना को पीछे कर लिया लेकिन इसके बाद से लगातार भारतीय सीमा में उसकी दखलअंदाजी बढ़ती गई. चीन अपनी दो कदम आगे और एक कदम पीछे की नीति के तहत लगातार आगे बढ़ता गया. इसी का नतीजा है कि भारत को एक बार फिर गलवान घाटी में हिंसक झड़प का सामना करना पड़ा है. चीन लगातार एलएसी पर इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करता गया. भारतीय सेना ने सरकार को लगातार इसके खिलाफ पिछले कई दशकों से आगाह किया लेकिन सेना की चेतावनियों को सरकार अनदेखा करती रही. एलएसी पर चीन के मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर का ही नतीजा है कि चीन एलएसी के पास मजबूत स्थिति में पहुंच गया. हालांकि पिछले कुछ सालों में भारत ने भी लद्दाख में सड़कों का जाल फैला दिया है.

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सेना को नहीं चीन पर भरोसा
चीन ने गलवान घाटी में भले ही अपनी सेना को करीब दो किमी पीछे कर लिया हो लेकिन सेना को चीन पर कतई भरोसा नहीं है. बार बार चीन के धोखे के बाद अब सेना किसी भी तरह का खतरा उठाना नहीं चाहती है. सूत्रों के अनुसार चीन के इस कदम के बाद भी सेना अपनी पेट्रोलिंग को लगातार बढ़ा रही है. चीन को अब उसी की भाषा में जवाब देने के लिए सरकार पहले ही सेना को खुली छूट दे चुकी है.  

Source : News Nation Bureau

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