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चीन ने 6 देशों पर कर रखा है कब्जा, समंदर पर भी जताता है अपना हक, ड्रैगन की करतूत की रिपोर्ट पढ़ें

चीन के नक्शे में 6 देश पूर्वी तुर्किस्तान, तिब्बत, इनर मंगोलिया या दक्षिणी मंगोलिया, ताइवान, हॉन्गकॉन्ग और मकाउ ये वो देश हैं, जिन पर चीन ने कब्जा कर रखा है या इन्हें अपना हिस्सा बताता है.

Updated on: 06 Jul 2020, 08:43 PM

नई दिल्ली :

चीन (China) दुनिया का पहला ऐसा देश है, जिसकी सीमाएं सबसे ज्यादा देशों से मिलती है. इन सभी देशों के साथ चीन का किसी ना किसी तरह का सीमा विवाद चल रहा है. चीन का कुल एरिया 97 लाख 6 हजार 961 वर्ग किमी में फैला हुआ है. चीन की 22 हजार 117 किमी लंबी सीमा 14 देशों से लगती है.

चीन के नक्शे में 6 देश पूर्वी तुर्किस्तान, तिब्बत, इनर मंगोलिया या दक्षिणी मंगोलिया, ताइवान, हॉन्गकॉन्ग और मकाउ ये वो देश हैं, जिन पर चीन ने कब्जा कर रखा है या इन्हें अपना हिस्सा बताता है. इन सभी देशों का कुल एरिया 41 लाख 13 हजार 709 वर्ग किमी से ज्यादा है. यह चीन के कुल एरिया का 43 प्रतिशत है.आइए जानते हैं किस-किस देश के साथ चीन के साथ विवाद.

पूर्वी तुर्किस्तान

चीन ने पूर्वी तुर्किस्तान पर 1949 में कब्जा किया था. चीन इसे शिनजियांग प्रांत बताता है. यहां की कुल आबादी में 45% उइगर मुस्लिम हैं, जबकि 40% हान चीनी हैं. उइगर मुस्लिम तुर्किक मूल के माने जाते हैं. चीन ने तिब्बत की तरह ही शिनजियांग को भी स्वायत्त क्षेत्र घोषित कर रखा है.

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तिब्बत

23 मई 1950 को चीन के हजारों सैनिकों ने तिब्बत पर हमला कर दिया और उस पर कब्जा कर लिया. पूर्वी तुर्किस्तान के बाद तिब्बत, चीन का दूसरा सबसे बड़ा प्रांत है. यहां की आबादी में 78% बौद्ध हैं. 1959 में चीन ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को बिना बॉडीगार्ड के बीजिंग आने का न्योता दिया था, लेकिन उनके समर्थकों ने उन्हें घेर लिया था, ताकि चीन गिरफ्तार न कर सके. बाद में दलाई लामा को भारत में शरण लेनी पड़ी.

दक्षिणी मंगोलिया या इनर मंगोलिया

दूसरे विश्व युद्ध के बाद चीन ने इनर मंगोलिया पर कब्जा कर लिया था. 1947 में चीन ने इसे स्वायत्त घोषित किया. एरिया के हिसाब से इनर मंगोलिया, चीन का तीसरा सबसे बड़ा सब-डिविजन है.

ताईवान

1911 में चीन में कॉमिंगतांग की सरकार बनी. साल 1949 में यहां गृहयुद्ध छिड़ गया और माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कॉमिंगतांग की पार्टी को हराया. हार के बाद कॉमिंगतांग ताइवान चले गए. 1949 में चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा. दोनों देश एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते. लेकिन, चीन दावा करता है कि ताइवान भी उसका ही हिस्सा है.

हॉन्गकॉन्ग

हॉन्गकॉन्ग पहले चीन का ही हिस्सा था, लेकिन 1842 में ब्रिटिशों के साथ हुए युद्ध में चीन को इसे गंवाना पड़ा. साल 1997 में ब्रिटेन ने चीन को हॉन्गकॉन्ग लौटा दिया, लेकिन इसके साथ 'वन कंट्री, टू सिस्टम' समझौता भी हुआ, जिसके तहत चीन हॉन्गकॉन्ग को अगले 50 साल तक राजनैतिक तौर पर आजादी देने के लिए राजी हुआ. हॉन्गकॉन्ग के लोगों को विशेष अधिकार मिले हैं, जो चीन के लोगों को नहीं हैं.

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मकाउ

मकाउ पर करीब 450 साल तक पुर्तगालियों का कब्जा था. दिसंबर 1999 में पुर्तगालियों ने इसे चीन को ट्रांसफर कर दिया. मकाउ को ट्रांसफर करते समय भी वही समझौता हुआ था, जो हॉन्गकॉन्ग के साथ हुआ था. हॉन्गकॉन्ग की तरह ही मकाउ को भी चीन ने 50 साल तक राजनैतिक आजादी दे रखी है.

भारत

चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार स्क्वायर किमी के हिस्से पर अपनी दावेदारी करता है. जबकि, लद्दाख का करीब 38 हजार स्क्वायर किमी का हिस्सा चीन के कब्जे में है. 2 मार्च 1963 को चीन-पाकिस्तान के बीच हुए एक समझौते के तहत पाकिस्तान ने पीओके का 5 हजार 180 स्क्वायर किमी चीन को दे दिया था. जितने भारतीय हिस्से पर चीन का कब्जा है, उतना एरिया स्विट्जरलैंड का भी नहीं है. कुल मिलाकर चीन ने भारत के 43 हजार 180 स्क्वायर किमी पर कब्जा जमा रखा है, जबकि स्विट्जरलैंड का एरिया 41 हजार 285 स्क्वायर किमी है.

समंदर पर भी अपना हक जताता है चीन

चीन दक्षिणी चीन सागर पर भी अपना हक जताता है. इंडोनेशिया और वियतनाम के बीच पड़ने वाला यह सागर 35 लाख स्क्वायर किमी में फैला हुआ है. यह सागर इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताइवान और ब्रुनेई से घिरा है. लेकिन, सागर पर इंडोनेशिया को छोड़कर बाकी सभी 6 देश अपना दावा करते हैं.