पश्चिम बंगाल में TMC कार्यकर्ताओं के लिए BJP के दरवाजे खुले, जीत की नई रणनीति
केंद्रीय नेताओं ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि गुटबाजी को पार्टी आलाकमान बर्दाश्त नहीं करेगा. लेकिन बीजेपी इस बात पर चर्चा क्यों कर रही है कि टीएमसी से किसे लेना है और किसे नहीं?
highlights
- भाजपा किसी भी कीमत पर बंगाल का किला फतह करना चाहती है
- असंतुष्ट टीएमसी कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हो सकते हैं
- बीजेपी को अब टीएमसी नेताओं को लेने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है
नई दिल्ली:
भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को चुनावी शिकस्त देने में सफल तो नहीं हो सकी, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के सामने कड़ी चुनौती पेश की है. विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा नेतृत्व पर यह आरोप लगता रहा कि शीर्ष नेतृत्व भाजपा कार्यकर्ताओं और टीएमसी विरोधियों को स्थानीय नेताओं के भरोसे छोड़कर बंगाल से मुंह मोड़ लिया है. और स्थानीय और राज्य स्तरीय नेता कार्यकर्ताओं से किनारा कर लिए हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. भाजपा नेतृत्व पश्चिम बंगाल में भगवा झंडा फहराने के लिए गंभीरता से विचार-मंथन में लगा है.
TMC नेताओं नहीं कार्यकर्ताओं को BJP में शामिल करने पर विचार
भाजपा किसी भी कीमत पर बंगाल का किला फतह करना चाहती है. सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के केंद्रीय नेतृत्व ने अपनी पश्चिम बंगाल इकाई से कहा है कि पार्टी के दरवाजे टीएमसी कार्यकर्ताओं के लिए खुले रखें, नेताओं के लिए नहीं. कोलकाता के पास एक रिसॉर्ट में पिछले तीन दिनों में हुए 'चिंतन शिविर' में, भाजपा ने 2023 के पंचायत चुनाव के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए उनके रोडमैप पर चर्चा की और नए लोगों को भाजपा के दर्शन और विचारधारा के बारे में जानकारी दी.
सूत्रों ने कहा कि भाजपा पश्चिम बंगाल प्रमुख सुकांत मजूमदार ने बैठक में कहा कि, "टीएमसी के ज्यादातर नेता भ्रष्ट हैं, इसलिए नेताओं को लेने का कोई मतलब नहीं है, हम टीएमसी के कार्यकर्ताओं को ले सकते हैं. विभिन्न कार्यकर्ता स्थानीय नेताओं और उनके राज्य के नेताओं के खिलाफ खुलेआम बगावत कर रहे हैं. केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के नेताओं से कहा है कि चाहे कुछ भी हो जाए, बीजेपी को अब टीएमसी नेताओं को लेने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है.
लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा में शामिल हुए TMC नेता नहीं हुए कारगर
2019 के बाद, विभिन्न टीएमसी नेताओं को भाजपा में शामिल होते देखा गया, उनमें से कई हालांकि 2021 के राज्य विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद टीएमसी में लौट आए, जिसमें टीएमसी ने भगवा पार्टी को आराम से हरा दिया था. राजीव बनर्जी और सब्यसाची दत्ता जैसे नेता बहुत प्रचार के साथ भाजपा में गए, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद उन्होंने जिस तरह से टीएमसी में वापसी की, उसे देखने के बाद, भाजपा के सूत्रों का कहना है कि राज्य और केंद्रीय नेतृत्व अब बड़ा नाम लेने के खिलाफ है.
समझा जाता है कि केंद्रीय नेताओं ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि गुटबाजी को पार्टी आलाकमान बर्दाश्त नहीं करेगा. लेकिन बीजेपी इस बात पर चर्चा क्यों कर रही है कि टीएमसी से किसे लेना है और किसे नहीं?
संगठन में जगह न मिलने से असंतुष्ट TMC कार्यकर्ता भाजपा में हो सकते हैं शामिल
पार्टी सूत्रों ने बताया कि विभिन्न जिलों में टीएमसी के संगठनात्मक परिवर्तन हो रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि इन संगठनात्मक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप विभिन्न असंतुष्ट टीएमसी भाजपा से संपर्क कर रही हैं. यह अलीपुरद्वार और उत्तर बंगाल के कुछ जिलों में पहले से ही दिखाई दे रहा है जहां असंतुष्ट टीएमसी कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हो रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि भगवा पार्टी इसे भुनाना चाहती है, लेकिन चूंकि टीएमसी नेताओं के शामिल होने का उसका अनुभव सुखद नहीं रहा है, इसलिए वह इस बार अतिरिक्त सतर्क है.
इस बीच, टीएमसी को बीजेपी के रुख की परवाह नहीं है. टीएमसी ने कहा कि भाजपा का कोई अनुयायी नहीं है और वह अपनी प्रासंगिकता दिखाने की अनावश्यक कोशिश कर रही है. टीएमसी के कुणाल घोष ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, "उन्हें शर्म आनी चाहिए, कोई भी उनकी पार्टी में नहीं जाना चाहता, यह सिर्फ उनका शो है और कुछ नहीं."
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समझा जाता है कि केंद्रीय नेताओं ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि गुटबाजी को पार्टी आलाकमान बर्दाश्त नहीं करेगा. लेकिन बीजेपी इस बात पर चर्चा क्यों कर रही है कि टीएमसी से किसे लेना है और किसे नहीं? पार्टी सूत्रों ने बताया कि विभिन्न जिलों में टीएमसी के संगठनात्मक परिवर्तन हो रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि इन संगठनात्मक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप विभिन्न असंतुष्ट टीएमसी भाजपा से संपर्क कर रही हैं.
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