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कांग्रेस में री-एंट्री को तैयार प्रशांत किशोर, क्या संगठन में फूंक पाएंगे जान?

इस बात की भी चर्चा चलती रही कि जेडीयू छोड़ने के बाद वो कांग्रेस का दामन थामेंगे, ये चर्चाएं कभी हकीकत का रूप न ले सकीं. लेकिन फिर से हवाएं वही संगीत सुना रही हैं, जो लोग लंबे समय से सुनना चाहते हैं...

Updated on: 17 Apr 2022, 05:25 PM

highlights

  • कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं पीके
  • कांग्रेस हाईकमान से की है मुलाकात
  • संगठन में बड़ा पद चाहते हैं पीके

नई दिल्ली:

देश की राजनीति में कभी हर तरफ कांग्रेस ही कांग्रेस दिखाई देती थी. फिर आया साल 2014... और हर तरफ से कांग्रेस की हार ही हार दिखाई देने लगी. पार्टी के सूरमा साथ छोड़कर जाने लगे. राज्य दर राज्य कांग्रेस के हाथ से निकलने लगे. और आज तक कांग्रेस मुख्य लड़ाई में कभी आती ही नहीं दिखी. वो राज्यों में वैशाखियों पर टिकी दिखती है या क्षेत्रीय क्षत्रपों के कंधे के भरोसे जीत हासिल कर रही है. जिन जगहों पर ऐसा है भी, वहां पार्टी अंतर्कलह से जूझ रही है. उसने हरेक एक्सपर्ट की सलाह ली. पार्टी में जी-23 नाम का भी ग्रुप बन गया. लीडरशिप को लेकर बवाल हुआ. पीके आए, पीके गए.... वो दूसरे राज्यों में दूसरी पार्टियों के साथ जीत पाते रहे, लेकिन कांग्रेस के साथ उन्हें हार ही मिली. यूपी विधानसभा चुनाव 2017 का इसका बड़ा उदाहरण है. लगातार इस बात की भी चर्चा चलती रही कि जेडीयू छोड़ने के बाद वो कांग्रेस का दामन थामेंगे, ये चर्चाएं कभी हकीकत का रूप न ले सकीं. लेकिन फिर से हवाएं वही संगीत सुना रही हैं, जो लोग लंबे समय से सुनना चाहते हैं, यानी पीके की कांग्रेस में एंट्री. शनिवार को पीके कांग्रेस हाई-कमान से मिले, तो इन चर्चाओं को एक बार फिर से पंख लग गए. 

कांग्रेस में शामिल होने को तैयार हैं पीके?

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) को शामिल करने की कोशिश कर रही है और शनिवार को उन्होंने 2024 के चुनावों के लिए एक विस्तृत रोडमैप पेश किया. महासचिव, संगठन, के.सी. वेणुगोपाल ने कहा, 'प्रशांत किशोर ने 2024 के चुनाव पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी है और कांग्रेस अध्यक्ष ने इसे देखने और एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट करने के लिए एक छोटा समूह नियुक्त किया है और उसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा.' एजेंडा पर चर्चा और अंतिम रूप देने के लिए कांग्रेस नेता अनौपचारिक रूप से बैठक कर रहे हैं. इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में प्रमुख परीक्षा होगी. फिर कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में 2023 में चुनाव होंगे. ये प्रमुख राज्य हैं जहां कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन करने और चुनौती देने के लिए चुनाव जीतना होगा.

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आगे की राह मुश्किल भरी है कांग्रेस के लिए

कांग्रेस जानती है कि आगे की राह आसान नहीं है, क्योंकि भाजपा अपने पत्ते सावधानी से खोलने की कोशिश कर रही है. हालिया हिंसा उन राज्यों में कांग्रेस की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है जहां वह ध्रुवीकरण के एजेंडे का मुकाबला करने में सक्षम नहीं है. सोनिया गांधी ने हाल ही में कहा था कि आगे की राह पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण है. पार्टी अब आर्थिक मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है और जनता में आकर्षण नहीं होने के बावजूद पार्टी ने ईंधन और एलपीजी की कीमतों में वृद्धि और बढ़ती कीमतों के मुद्दों को उठाया है. कांग्रेस के कुछ नेता निजी तौर पर स्वीकार करते हैं कि जनता को महंगाई की परवाह कम है और भाजपा का ध्रुवीकरण का एजेंडा पटरी पर है और कांग्रेस को लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक नया नैरेटिव तैयार करना होगा.

मोदी सरकार को घेर रही है महंगाई के मसले पर

महंगाई के मुद्दे पर कांग्रेस (Congress) केंद्र पर हमला करती रही है. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि महंगाई पिछले 17 महीनों में अपने उच्चतम स्तर पर है और प्रधानमंत्री को अपना 'अच्छे दिन' वाला बयान वापस लेना चाहिए. कांग्रेस महंगाई को लेकर सरकार पर निशाना साधती रही है और ऊंची कीमतों के लिए इसे सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है. सोनिया गांधी ने 5 अप्रैल को संसदीय दल को संबोधित करते हुए कहा था कि लोकतंत्र के लिए पार्टी का पुनरुद्धार आवश्यक है और चुनाव के परिणाम 'चौंकाने वाले' और 'दुखद' हैं. उसने कहा था कि एक रोडमैप तैयार करना महत्वपूर्ण है और उसके लिए एक 'शिविर' (बैठक) आयोजित की जानी चाहिए.

क्या करिश्मा कर पाएंगे पीके?

प्रशांत किशोर उर्फ पीके. भारतीय राजनीति के अहम खिलाड़ी. चाणक्य तक की उपमा उन्हें दी जाती है. लगभग बाजी हार चुके नीतीश कुमार को सत्ता में लाए. दो-दो बार ममता बनर्जी के किले को बचाया. बीजेपी को 2014 में प्रचंड बहुमत दिलाया. शिवसेना का गठबंधन ऐसी पार्टियों से करवा दिया, जिनकी शिवसेना हमेशा विरोध करती रही. और आज भी शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं. अब चूंकि कांग्रेस सत्ता पाने को छटपटा रही है, ऐसे में अब कांग्रेस उन्हें बड़ी भूमिका में अपने साथ जोड़ना चाहती है. लेकिन सवाल यही है कि क्या वो कांग्रेस को सत्ता में ला पाएंगे? क्योंकि साल 2017 में उन्होंने यूपी में कांग्रेस का पूरा काम संभाला था. अखिलेश यादव के साथ मिलकर कांग्रेस को चुनाव लड़वाया था. यूपी के लड़कों का नारा लगवाया था, लेकिन नतीजे आए तो दोनों ही पार्टियां चारों खाने चित हो चुकी थी. ऐसे में पीके की एंट्री से कांग्रेस का भविष्य कितना सुधर पाएगा, ये देखने वाली बात होगी.