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कांग्रेस अध्यक्ष हो सकते हैं अशोक गहलोत, विकल्प की तलाश में आलाकमान

पार्टी अध्यक्ष के लिए 'राहुल...राहुल...' नारों के बीच उन्हें मनाने की तमाम कोशिशें भी बेकार जा चुकी हैं. ऐसे में यह खबर कांग्रेस की राजनीति की दशा-दिशा दोनों बदलने वाली हो सकती है.

Updated on: 21 Jan 2021, 02:23 PM

नई दिल्ली:

देश में लोकतंत्र पर सवाल खड़ा करने वाले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की 'नानुकुर' ने पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र को बंधक बना रखा है. 2019 में लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद राहुल गांधी के इस्तीफा से ही कांग्रेस में अध्यक्ष पद खाली चल रहा है. फिलवक्त सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं. इस क्रम में लेटर बम फूटने के बाद से कई मीटिंग हुईं, लेकिन कांग्रेस पार्टी अब तक स्थायी अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर सकी है. यहां तक कि पार्टी अध्यक्ष के लिए 'राहुल...राहुल...' नारों के बीच उन्हें मनाने की तमाम कोशिशें भी बेकार जा चुकी हैं. ऐसे में यह खबर कांग्रेस की राजनीति की दशा-दिशा दोनों बदलने वाली हो सकती है. ऐसी चर्चा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री और सोनिया गांधी के करीबी कांग्रेस नेता अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देने पर विचार किया जा रहा है.

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गांधी परिवार से नजदीकी ने बनाया बेहतर विकल्प
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस पार्टी का एक खेमा अशोक गहलोत को राजस्थान से दिल्ली बुलाकर अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देने को बेहतर विकल्प मान रहा है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि इस वक्त पार्टी को स्थायी अध्यक्ष की सख्त जरूरत है. ऐसे में या तो सोनिया गांधी को ही स्थायी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालनी होगी या फिर किसी वरिष्ठ नेता को विकल्प के तौर पर तैयार करना होगा. वैसे भी अशोक गहलोत की गांधी परिवार से नजदीकी जगजाहिर है. उन्हें सोनिया गांधी का करीबी और विश्वसनीय माना जाता है. यह बात तब भी साबित हुई थी जब राजस्थान में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री के तौर पर राहुल गांधी ने सचिन पायलट की जगह अशोक गहलोत को तरजीह दी थी. 

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गांधी परिवार के बचाव में सबसे आगे
बताया जा रहा है कि पिछले साल भी अशोक गहलोत को पार्टी अध्यक्ष पद प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन कुछ वजहों से वह राजस्थान के सीएम का पद छोड़ने को तैयार नहीं हुए. अभी भी यही माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने को लेकर यह फैसला गहलोत ही लेंगे कि वह दिल्ली आना चाहते हैं या नहीं. फिलहाल तो अशोक गहलोत अपनी मंत्रिमंडल के विस्तार में लगे हुए हैं. गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी कांग्रेस पार्टी के अंदर की कलह खुलकर सामने आई थी. वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी नेतृत्व पर ही सवाल उठा दिए थे. वहीं, पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने भी हार पर चिंतन की बात कही थी. तब इसके जवाब में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही सिब्बल को नसीहत दी थी. अशोक गहलोत ने कहा था कि पार्टी के आंतरिक मसलों की सार्वजनिक रूप से चर्चा न करें, नेतृत्व में विश्वास रखें. ऐसे में पार्टी नेतृत्व पर अशोक गहलोत का गहरा विश्वास अध्यक्ष पद पर उनकी ताजपोशी करा सकता है.