logo-image

Ukraine War से उठा सवाल... भारत हाइब्रिड युद्ध के लिए तैयार नहीं

विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि भारत की आक्रामक क्षमताएं और साइबर सुरक्षा, बड़े पैमाने पर डीडीओएस या रैंसमवेयर हमले शुरू करने की स्थिति में फुलप्रूफ नहीं हैं.

Updated on: 13 Mar 2022, 01:42 PM

highlights

  • साइबर हमलों की 11.5 लाख से अधिक घटनाएं ट्रैक की गईं
  • भारत में रैंसमवेयर हमलों में 120 प्रतिशत की वृद्धि हुई
  • चीन प्रॉक्सी के तौर पर पाकिस्तान का कर रहा है इस्तेमाल

नई दिल्ली:

यूक्रेन (Ukraine) की सरकार एक 'हाइब्रिड युद्ध' लड़ रही है. एक तरफ जहां रूस (Russia) उसके इंटरनेट नेटवर्क पर हमला कर रहा है, वहीं जमीनी ताकतें बुनियादी ढांचे और प्रमुख शहरों पर हमला कर रही हैं. इस कड़ी में उल्लेखनीय बात यह है कि भारत (India) भी समय-समय पर अपने पड़ोसी देशों पाकिस्तान (Pakistan) और चीन (China) से बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष साइबर हमलों को झेल रहा है. यहां यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) दिवंगत जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) ने पिछले साल चेतावनी दी थी कि चीनी साइबर हमले कर बड़ी संख्या में सिस्टम को बाधित कर सकता है. इन साइबर हमलों के बल पर ड्रैगन देश में महत्वपूर्ण रक्षा और सैन्य बुनियादी ढांचे को पंगु बना सकता है. सुविज्ञ रहे कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के 'नेशनल साइबर पावर इंडेक्स' के अनुसार चीन विश्व स्तर पर साइबर पावर में दूसरे स्थान पर है.

साइबर हमलों के लिहाज से भारत की सुरक्षा फुलप्रूफ नहीं
इस कड़ी में चिंता की बात यह है कि विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि भारत की आक्रामक क्षमताएं और साइबर सुरक्षा, बड़े पैमाने पर डीडीओएस या रैंसमवेयर हमले शुरू करने की स्थिति में फुलप्रूफ नहीं हैं. नई दिल्ली स्थित साइबर कानून विशेषज्ञ विराग गुप्ता ने बताया, 'चीनी हैकर अक्सर सेवाओं को बाधित करते हैं और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी), राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, सुरक्षा एजेंसियों और विभिन्न सरकारी विभागों को निशाना बनाते हैं. दूरसंचार, बिजली, परिवहन, बिजली, संचार, फिनटेक और सोशल मीडिया के लिए चीन और अमेरिका पर बहुत अधिक निर्भर होने के कारण मीडिया, भारत प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष साइबर हमलों की चपेट में है.'

यह भी पढ़ेंः IS-K अब पाकिस्तान में बना रहा ठिकाना, भारत के लिए भी बढ़ा आतंकी खतरा

रैंसमवेयर हमलों में 120 फीसदी की वृद्धि हुई
आंकड़ों की भाषा में बात करें तो साइबर हमलों की 11.5 लाख से अधिक घटनाओं को ट्रैक किया गया. 2021 में भारत की कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) को सूचित किया गया. आधिकारिक अनुमानों के अनुसार भारत में रैंसमवेयर हमलों में 120 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. भारत उन शीर्ष तीन देशों में शामिल था, जिन्होंने पिछले साल एशिया में सबसे अधिक सर्वर एक्सेस और रैंसमवेयर हमलों का अनुभव किया. आईबीएम की एक्स-फोर्स थ्रेट इंटेलिजेंस टीम के शोधकर्ताओं के अनुसार सर्वर एक्सेस अटैक (20 फीसदी) और रैंसमवेयर (11 फीसदी) शीर्ष दो प्रकार के हमले थे, इसके बाद डेटा चोरी (10 फीसदी) हुई.

चीन का प्रॉक्सी बनकर उभर रहा है पाकिस्तान
साइबर सुरक्षा फर्म कास्परस्की की 'साइबर थ्रेट्स टू फाइनेंशियल ऑर्गनाइजेशन इन 2022' रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र में साइबर हमलों के शीर्ष पांच लक्ष्यों में से एक है. विशेष रूप से एपीटी (एडवांस्ड पर्सिस्टेंट थ्रेट्स) साइबर हमले जो साइबर सुरक्षा में अंतराल का फायदा उठाते हैं, और लंबे समय तक पता नहीं चल पाता है. निष्कर्ष भारत के साइबर खतरे के क्षेत्र के विस्तार को दशार्ते हैं, जिसमें मुख्य रूप से पाकिस्तान और चीन से घुसपैठ हमलों का प्रभुत्व है. हाल के वर्षों में पाकिस्तान और चीन ने आईटी क्षेत्र में अपने सहयोग को गहरा किया है.

यह भी पढ़ेंः  रूस ने यूक्रेन के कई शहरों पर दागे गोले, भाग रहे लोगों पर फायरिंग, 7 की मौत

2019 में हैक की गई थी 24 से ज्यादा वेबसाइट्स
विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भी गंभीर साइबर हमले का प्राकृतिक आपदा के समान प्रभाव हो सकता है. आवश्यक बुनियादी ढांचे को खत्म कर सकता है और व्यापक संकट पैदा कर सकता है. हाल में चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत एक वास्तविकता बन गई है जहां पाकिस्तान चीन समर्थित खतरे वाले क्षेत्रों के लिए एक प्रॉक्सी के रूप में उभरा है. गौरतलब है कि 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35-ए को निरस्त करने के बाद भारतीय संस्थानों पर साइबर हमलों में भारी वृद्धि हुई थी. जुलाई 2019 में संसद में बताया गया कि मई तक केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और राज्य सरकारों की 24 से अधिक वेबसाइटों को हैक कर लिया गया था.