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पंजाब में 25 साल बाद साथ आए अकाली दल और बसपा, समझिए राज्य का जातीय समीकरण

सत्तारूढ़ दल कांग्रेस को मात देने के लिए 25 साल के बाद शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी साथ आ गए हैं. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों दलों ने गठबंधन कर लिया है.

Updated on: 12 Jun 2021, 01:24 PM

highlights

  • पंजाब में SAD-BSP में गठबंधन
  • सुखबीर बादल ने ऐलान किया
  • दोनों दलों में सीटों का भी बंटवारा

चंडीगढ़:

पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और राजनीतिक दांव पेंच का खेल शुरू हो चुका है. चुनाव में जीत के लिए गठबंधन की जोर आजमाइश भी होने लगी है. सत्तारूढ़ दल कांग्रेस को मात देने के लिए 25 साल के बाद शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी साथ आ गए हैं. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों दलों ने गठबंधन कर लिया है. दोनों दलों के बीच सीटों का भी बंटवारा हो गया है. पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में से 20 तक बसपा तो बाकी सीटों पर अकाली दल चुनाव लड़ेगा. बसपा के सहारे अकाली दल ने जहां पंजाब के कैप्टन को मात देने की प्लानिंग बनाई है तो वहीं बसपा भी अकाली दल के साथ पंजाब की सियासी जमीन अपने जगह तलाश करने की कोशिश में हैं.

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25 साल पहले दोनों दलों ने लोकसभा के चुनाव में गठबंधन किया था, जिसके नतीजे भी शानदार रहे थे. गठबंधन ने पंजाब की 13 में से 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसी के मद्देनजर एक बार फिर दोनों दल साथ आ गए हैं, जो सीधे कांग्रेस के मात देने का दम भर रहे हैं. हालांकि कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अकाली दल का पंजाब में अपना एक अलग वोट बैंक तो बसपा के पास भी अपना जातीय वोटर है, जो सीधे तौर पर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. ऐसे में अब अकाली दल और बसपा गठबंधन के बाद एक नजर पंजाब के राजनीतिक समीकरण और वोटबैंक भी डालते हैं.

पंजाब का जातीय समीकरण

पंजाब के राज्य का हिस्सा तीन भागों में बंटा है. माझा , मालवा और दोआब. इन इलाकों में सभी प्रमुख जिले आते हैं. माझा में अमृतसर, पठानकोट, गुरदासपुर, तरनतारण जिले आते हैं. वहीं मालवा में जालंधर, पटियाला, मोहाली, भठिंडा, बरनाला, कपूरथला आदि जिले अहम हैं. दोआब में फिरोजपुर, फाजिल्का, मानसा, रूपनगर, लुधियाना, पटियाला, मोहाली, बरनाला जिले अहम हैं. पंजाब में कुल कुल 57.69 फीसदी सिख, 38.59 फीसदी हिंदू, 1.9 फीसदी मुस्लिम, 1.3 ईसाई, अन्य में जैन और बुद्ध आदि हैं. 22 जिलों में से 18 जिलों में सिख बहुसंख्यक हैं. पंजाब में लगभग दो करोड़ वोटर हैं.

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पंजाब में दलित वोटर्स

देश में सबसे ज्यादा 32 फीसदी दलित आबादी पंजाब में रहती है, जो राजनीतिक दशा और दिशा बदलने की पूरी ताकत रखती है. पंजाब का यह वर्ग पूरी तरह कभी किसी पार्टी के साथ नहीं रहा है. दलित वोट आमतौर पर कांग्रेस और अकाली के बीच बंटता रहा है. हालांकि, बीएसपी ने इसमें सेंध लगाने की कोशिश की, लेकिन उसे भी एकतरफा समर्थन नहीं मिला. वहीं आम आदमी पार्टी के पंजाब में दलित वोटों को साधने के लिए तमाम कोशिश की. लेकिन बहुत हिस्सा उसके साथ नहीं गया.

दलित दो हिस्सों में बंटा हुआ है

पंजाब में दलित वोट अलग-अलग वर्गों में बंटा है. यहां रविदासी और वाल्मीकि दो बड़े वर्ग दलित समुदाय के हैं. देहात में रहने वाले दलित वोटरों में एक बड़ा हिस्सा डेरों से जुड़ा हुआ है. ऐसे में चुनाव के वक्त ये डेरे भी अहम भूमिका निभाते हैं. महत्वपूर्ण है कि दोआबा की बेल्ट में जो दलित हैं, वे पंजाब के दूसरे हिस्सों से अलग हैं. इसकी वजह यह है कि इनमें से अधिकांश परिवारों का कम से कम एक सदस्य एनआरआई है. इस नाते आर्थिक रूप से ये काफी संपन्न हैं. इनका असर फगवाड़ा , जालंधर और लुधियाना के कुछ हिस्सों में है.

लोकसभा चुनाव 2019 में बसपा का प्रदर्शन

लोकसभा चुनाव में पंजाब में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भले ही एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन उसने आम आदमी पार्टी से भी बेहतर प्रदर्शन किया और तीसरा स्थान हासिल कर कई लोगों को चौंका दिया. बसपा तीन सीटों पर चुनाव लड़ी थी. राज्य में पिछले कई सालों में अपने खिसकते वोट बैंक से जूझ रही बसपा ने 3.5 फीसद वोट हासिल किया. पार्टी को इस आम चुनाव में राज्य में 4.79 लाख वोट मिले. उसने गठबंधन किया था और वह पंजाब लोकतांत्रिक गठबंधन के तहत चुनाव में उतरी थी.

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इस गठबंधन में कई अन्य राजनीतिक दल थे. सीटों के समझौते के तहत बसपा ने आनंदपुर साहिब, होशियारपुर (सुरक्षित) और जालंधर (सु) पर उम्मीदवार उतारा था. 2014 में बसपा सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और फिर भी उसे केवल 2.63 लाख वोट मिले थे. पार्टी उस बार सात सीटों पर चौथे स्थान पर , दो सीटों पर छठे नंबर पर और दो सीटों पर पांचवें नंबर पर थी. बसपा पंजाब में इस बार जिन सीटों पर चुनाव में उतरी थी वहां आम आदमी पार्टी चौथे नंबर पर रही, जबकि आम आदमी पार्टी राज्य में मुख्य विपक्षी दल है.

2017 विधान सभा में बसपा का प्रदर्शन

2017 के विधानसभा चुनावों में बसपा का प्रदर्शन बहुत निराशा जनक था. 2017 में बसपा कुल 111 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. जीतना को दूर, बसपा का कोई भी उम्मीदवार दूसरे या तीसरे नंबर पर भी नहीं था. 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा को कुल 1.5% वोट मिले थे.

विधानसभा में सबसे अच्छा प्रदर्शन

बसपा ने विधानसभा चुनाव में सबसे अच्छा प्रदर्शन 1992 के विधानसभा चुनावों में किया था, जब पार्टी 105 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उसने 9 सीटें जीती थी. उसके 32 उम्मीदवार दूसरे और 40 उम्मीदवार तीसरे नंबर पर थे. उस चुनाव में बसपा ने 16.3 प्रतिशत वोट पाए थे.

पंजाब में कुल 117 विधान सभा सीटें

पंजाब में कुल 117 विधान सभा सीटें हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस को 77 सीट ( 38.8% वोट), आम आदमी पार्टी को 20 सीट ( 23.9% वोट), अकाली दल को 15 सीट ( 25.4% वोट), बीजेपी को तीन सीट ( 5.4% वोट ) मिला था. जबकि लोक इंसाफ पार्टी को दो सीट मिली थी.