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XI Stronghold: जिनपिंग ने अपने विरोधियों ली केकिआंग और हू जिंताओ को लगाया किनारे, क्या है संकेत

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेस में शनिवार का दिन भारी उठा-पटक वाला साबित हुआ. पूर्व राष्ट्रपति हूं जिंताओ को समापन समारोह से जबरन बाहर निकाल दिया गया. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री और चीन में दूसरे नंबर के नेता ली केकिआंग भी पोलित ब्यूरो की स्था

Updated on: 22 Oct 2022, 08:24 PM

highlights

  • सीसीपी कांग्रेस के समापन समारोह में शि जिनपिंग ने किया सार्वजनिक शक्ति प्रदर्शन
  • पूर्वा राष्ट्रपति और शी के विरोधी धड़े के नेता हू जिंताओ को जबरिया किया हॉल से बाहर
  • प्रधानमंत्री ली केकिआंग को केंद्रीय समिति से हटाया. ली अब पोलित ब्यूरो में भी नहीं रहेंगे

बीजिंग:

यह पहले से तय था कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेस के बाद और शक्तिशाली होकर निकलेंगे. शनिवार को कांग्रेस के समापन समारोह में यह देखने को भी मिल गया. राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बगल में बैठे पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ (Hu Jintao) को जबरन अधिवेशन स्थल से बाहर कर दिया गया. यह घटना उस समय हुई जब समापन समारोह को कवर करने के लिए मीडिया को अंदर आने की अनुमति दी गई थी. इससे साफ हो जाता है कि शी जिनपिंग इस तरह अपनी बढ़ी ताकत का सार्वजनिक संकेत देना चाहते थे. दूसरे महत्वपूर्ण घटनाक्रम में चीन के दूसरे नंबर के नेता और प्रधानमंत्री ली केकिआंग (Li Keqiang) को पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति से बाहर कर दिया है. जाहिर है यह दोनों घटनाक्रम शी जिनपिंग के देश और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) पर दबदबे को दर्शाते हैं. गौरतलब है कि पोलित ब्यूरो के सात सदस्य ही चीन पर शासन करने वाले महत्वपूर्ण लोगों में शुमार होते हैं. इसी के साथ कम्युनिस्ट पार्टी ने शनिवार को ही 205 सदस्यीय केंद्रीय समिति का चयन भी कर लिया. इस केंद्रीय समिति से भी ली केकिआंग और तीन अन्य सदस्यों का नाम गायब है. हालांकि ली केकिआंग अपने उत्तराधिकारी का नाम तय होने तक अगले छह माह तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहेंगे. 

ली-शी की पुरानी प्रतिद्वंद्विता
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में साधारण शुरुआत करने वाले ली केकिआंग अपने बलबूते पार्टी रैंक में उठे. एक समय वह चीन के राष्ट्रपति पद के लिए मजबूत उम्मीदवार थे, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी के 'राजसी' गुट से संबंध रखने वाले शी जिनपिंग ने उन्हें पीछे छोड़ राष्ट्रपति पद पर कब्जा कर लिया. सीसीपी में राजसी गुट से आशय वरिष्ठ नेताओं के बेटों से है. ली केकिआंग बाजार उन्मुख सुधारों के समर्थक हैं, जबकि शी जिनपिंग की नीति अर्थव्यवस्था पर सरकार की मजबूत पकड़ है. ली पार्टी के 'तुआनपाई' या लोकप्रिय धड़े से आते हैं, जहां कम्युनिस्ट यूथ लीग की पृष्ठभूमि से आए नेता सदस्य हैं. यही नहीं, ली केकिआंग शी से पहले राष्ट्रपति और पार्टी के सर्वोच्च नेता रहे हू जिंताओ के अनुयायी हैं. संभवतः इसीलिए ली केकिआंग को पोलित ब्यूरो से बाहर रखने और हू जिंताओ को जबरन बाहर निकालने की घटनाएं एक ही दिन और लगभग एक ही समय सामने आई. 

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हैं कौन ली केकिआंग
ली का जन्म जुलाई 1955 में चीन के अनहुई प्रांत के हेफ़ेई में हुआ था, जहां उनके पिता एक छोटे स्थानीय अधिकारी थे. ली 19 वर्ष के थे जब उन्हें अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़कर 'सेंट डाउन यूथ' के रूप में पूर्वी अन्हुई जाना पड़ा. माओ सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए शहरी युवाओं को भेजने की नीति बनाई थी. 1976 में ली कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए और 1978 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए पीकिंग यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया. उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए अर्थशास्त्र में एडवांस डिग्री हासिल की. 1980 के दशक में ली केकिआंग कम्युनिस्ट यूथ लीग में शामिल हो गए. वहीं वह हू जिंताओ के संपर्क में आए, जो उनके न सिर्फ पथ प्रदर्शक बने, बल्कि बाद में चीन के राष्ट्रपति भी. जुलाई 1998 में ली को हेनान प्रांत का गवर्नर नियक्त किया गया. इस पद को संभालने वाले ली केकिआंग सबसे कम उम्र के नेता थे. इसके बाद उनका प्रवेश कम्युनिस्ट पार्टी की अग्रिम पंक्ति के नेताओं में हुआ और वह 2007 में पोलित ब्यूरो के सदस्य चुने गए. 2008 में उन्हें चीन का कार्यकारी उप प्रधानमंत्री बनाया गया और 2013 में वह प्रधानमंत्री बने. 

'लीकोनॉमिक्स'
एक के बाद एक प्रशासनिक जिम्मेदारी संभालते हुए ली ने अपनी पहचान आर्थिक सुधारवादी और किफायती घरों का निर्माण करने वाले नेता के तौर पर बनाई. उनकी आर्थिक नीतियों को 'लीकोनॉमिक्स' के नाम से जाना जाता था. बीबीसी के मुताबिक, 'ली की संरचनात्मक सुधार और ऋण में कमी वाली आर्थिक नीतियों का उद्देश्य ऋण आधारित विकास पर चीन की निर्भरता कम करते हुए आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के रास्ते पर ले जाना था.' 2017 में फोर्ब्स के एक लेख के अनुसार, 'वर्तमान पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति का सदस्य होते हुए भी ली केकिआंग ने सुधार के एजेंडे की लौ जलाए रखी. कीमतों को निर्धारित करने और पूंजी आवंटित करने में बाजार के लिए एक बड़ी भूमिका की दिशा में ली का काम सतत् जारी रहा.' वह चीनी मुद्रा के अंतरराष्ट्रीयकरण करने के भी हिमायती थे और पूंजी बाजार को खोलने के लिए भी उनका योगदान था. हालांकि शी जिनपिंग के बढ़ते कद के आगे ली और उनकी आर्थिक नीतियां 'लीकोनॉमिक्स' का भी तेजी से रंग फीका पड़ता गया.

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उन्हें हटाए जाने के क्या हैं निहितार्थ
यह कोई छिपी बात नहीं है कि शी जिनपिंग अपने नेतृत्व को मजबूती देने के लिए सभी विरोधी गुटों के सफाये के अभियान में भी जुटे हैं. इस उद्देश्य की पूर्ण प्राप्ति के लिए ली का कद छोटा करना अवश्यंभावी था. सीसीपी कांग्रेस में यदि ली स्थायी समिति में बने रहते तो इसका अर्थ होता कि शी जिनपिंग का पार्टी और देश पर पूर्ण नियंत्रण नहीं है. यह भी जाहिर होता कि पार्टी नेतृत्व में सत्ता संघर्ष जारी है. इस कड़ी में शनिवार का घटनाक्रम बताता है कि शी के लिए चुनौतियों की धार अब और भी कमजोर पड़ चुकी है. 

हू जिंताओ को हटाना बड़ी बात क्यों
सबसे पहले तो यह बेहद असाधारण और अनापेक्षित था. यह घटनाक्रम तब सामने आया जब मीडिया को कांग्रेस कवर करने के लिए आने की अनुमति दी गई. सभी कैमरों की निगाहे पोडियम की ओर थीं, जहां शी जिनपिंग और उनके बाएं तरफ पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ बैठे थे. ऐसा लग रहा है कि शी जिनपिंग इस तरह अपनी बढ़ी ताकत का सार्वजनिक संकेत देना चाहते थे. दूसरे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में कई धड़े हैं और शी अपने हाथ में सारी ताकत रखने के क्रम में पूरी निर्ममता के साथ विरोधियों को कुचलने का अभियान छेड़े हुए हैं. हू जिंताओ 'तुआनपाई' या लोकप्रिय धड़े के नेता हैं, जहां कम्युनिस्ट यूथ लीग की पृष्ठभूमि से आए नेता सदस्य हैं.  इस कड़ी में शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद से ही 'राजसी गुट' या क्रांतिकारियों के बेटों के समूह ने 'तुआनपाई' समूह को चरणबद्ध तरीके से किनारे लगाया है. इसी तरह शी जिनपिंग ने जियांग जेमिन के धड़े 'शंघाई गैंग' को भी किनारे लगाया. यही हश्र झेंग क्विंगहोंग धड़े का हुआ. ग्रेट हॉल से हू जिंताओ को जबरिया बाहर किए जाने के कुछ घंटों बाद ही 'तुआनपाई' धड़े से आने वाले प्रधानमंत्री ली केकिआंग और वैंग यैंग को कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति से बाहर कर दिया गया. इस तरह ली पोलित ब्यूरो के भी सदस्य नहीं रह गए.