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सीट बेल्ट नहीं बांधना साबित हो सकता है जानलेवा, फिर भी क्यों कतराते हैं कार सवार

सन् 2020 में कोरोना महामारी के लॉकडाउन काल में भी हर रोज हादसों में मारे गए 41 लोगों ने सीट बेल्ट नहीं बांधी हुई थी. तमाम भारतीय मानते हैं कि सीट बेल्ट बांधने से उनके कपड़े खराब हो जाएंगे और उनकी छवि भी प्रभावित होगी.

Updated on: 05 Sep 2022, 07:01 PM

highlights

  • कार में पीछे सीट बेल्ट बांध कर नहीं बैठने पर हो सकता है चालान
  • ऐसा करने पर एक हजार रुपए का वसूला जा सकता है जुर्माना भी
  • अब तो 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी सीट बेल्ट जरूरी

नई दिल्ली:

टाटा संस के चेयरमैन साइरस मिस्त्री की रविवार को हुई कार हादसे में मौत की आधिकारिक वजह और जानकारियां अभी सामने आना बाकी हैं. हालांकि महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारियों का मानना है कि मर्सिडीज में पीछे बैठे लोगों ने सीट बेल्ट नहीं बांधी हुई थी. महाराष्ट्र के पालघर में नेशनल हाईवे 48 पर डिवाइडर से टकराने के बाद साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) और उनके साथ पीछे बैठे दोस्त जहांगीर पंडोले की मौत हो गई थी, जबकि कार ड्राइव कर रही डॉ अनाहिता पंडोले और उनके पति डेरियस पंडोले को गंभीर चोटें आईं, जिनका फिलहाल इलाज चल रहा है. ऐसा माना जा सकता है कि अगर साइरस मिस्त्री और उनके मित्र ने पीछे बैठने के बावजूद सीट बेल्ट (Seat Belt) बांधी होती तो शायद उनकी जान बच जाती. विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस साल जारी एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कार ड्राइव कर रहे शख्स ने अगर सीट बेल्ट बांध रखी है, तो हादसे में मरने की आशंका 45 से 50 फीसदी तक कम हो जाती है. इसी तरह पीछे बैठे यात्रियों ने भी अगर सीट बेल्ट बांध रखी है, तो हादसे में उनके मारे जाने या गंभीर रूप से घायल होने की आशंका 25 प्रतिशत कम हो जाती है. 

सीट बेल्ट नहीं बांधे होने पर हादसे में मरने की दर कितनी सामान्य
कार में बैठे यात्रियों के सीट बेल्ट नहीं बांधे होने पर हादसे में मारे जाने की दर बेहद सामान्य है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2020 में जब कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए कई महीनों तक लॉकडाउन लगाया गया, तो सड़कों पर साल भर ट्रैफिक लगभग ना के बराबर था. इसके बावजूद हर रोज पेश आए सड़क हादसों में मारे गए 41 लोगों ने सीट बेल्ट नहीं बांध रखी थी. इन लोगों में 20 कार ड्राइव कर रहे थे, जबकि 21 लोग बगैर सीट बेल्ट बांधे कार में पीछे बैठे हुए थे. मंत्रालय की 2020 में आई एक और रिपोर्ट रोड एक्सीडेंट्स इन इंडिया के मुताबिक साल भर में 15,146 लोग कार हादसों में मारे गए. इन सभी लोगों ने सीट बेल्ट नहीं बांध रखी थी. इनमें 7,810 लोग कार ड्राइव कर रहे थे, जबकि 7,336 लोग पीछे बगैर सीट बेल्ट बांधे बैठे हुए थे. इसके ठीक एक साल सामान्य गुजरे साल में भी इस कारण मरने वालों का आंकड़ा कहीं ज्यादा था. 2019 में सीट बेल्ट की वजह से 20,885 लोगों को कार हादसों में अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. कुल सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों की संख्या के लिहाज से यह दर 14 फीसदी थी.

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सीट बेल्ट नहीं बांधने पर यह हो सकता है
सड़क यातायात से जुड़े कानूनों को लागू करने वालों के लिए सीट बेल्ट नहीं बांधने पर चालान काटना बारहमासी काम है. विभिन्न संस्थाओं और लोगों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट दर रिपोर्ट में कहा जाता रहा है कि सीट बेल्ट से जुड़े नियम-कायदों को लागू कराना बेहद चुनौतीपूर्ण है और कार हादसों में लोगों की जान बचाने के लिहाज से बेहद जरूरी भी है.  विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस साल जारी एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कार ड्राइव कर रहे शख्स ने अगर सीट बेल्ट बांध रखी है, तो हादसे में मरने की आशंका 45 से 50 फीसदी तक कम हो जाती है. इसी तरह पीछे बैठे यात्रियों ने भी अगर सीट बेल्ट बांध रखी है, तो हादसे में उनके मारे जाने या गंभीर रूप से घायल होने की आशंका 25 प्रतिशत कम हो जाती है. एनजीओ सेवलाइफ फाउंडेशन ने देश भर में स्थानीय पुलिस के साथ सड़क हादसों की जांच कर एक रिपोर्ट तैयार की. इसमें भी सामने आया कि 30 फीसदी मौतें सिर्फ इस कारण हुईं कि लोगों ने सीट बेल्ट नहीं बांध रखी थी. इसी साल सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक प्रस्ताव दिया है. इसके तहत परिवहन के इस्तेमाल में आने वाले सभी कॉमर्शियल वाहनों में आगे की तरफ की सीटों पर बैठने वाले सभी यात्रियों को तीन प्वाइंट वाली सीट बेल्ट बांधना अनिवार्य होगा. इन वाहनों में ड्राइवर की सीट समेत वाहने के अगले हिस्से की तरफ मुंह किए सीटों की संख्या आठ से ज्यादा भी नहीं होगी. इसके साथ ही नए संशोधित मोटर वाहन अधिनियम की धारा 194बी में प्रावधान किया गया है कि बगैर सीट बेल्ट कार चलाने वाले और बगैर सीट बेल्ट के यात्रियों को बैठाने वाले वाहन से 1 हजार रुपए का जुर्माना वसूला जाएगा. इस संशोधित अधिनियम में एक उप धारा और जोड़ी गई है. इसके तहत 14 साल से कम उम्र के बच्चे को भी सीट बेल्ट बांधने के बाद कार में बैठाया जाए. यह अलग बात है कि कार चलाने वाले इस नियम का शायद ही पालन करते हैं. मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा अभियान के तहत वीडियो, पंफ्लेट औऱ सोशल मीडिया के जरिये वाहनों में आगे-पीछे बैठने वालों के लिए सीट बेल्ट बांधने की महत्ता बताने की कोशिश की है. 

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फिर भी क्यों नहीं बांधते हैं सीट बेल्ट लोग
लोग कार में सीट बेल्ट बांध कर क्यों नहीं बैठते हैं विषय पर मारुति ने 2017 में एक सर्वेक्षण किया था. इसके परिणाम चौंकाने वाले थे और साथ ही तर्कों और समझ से परे भी. कानून लागू करने की लचर व्यवस्था 32 फीसदी कारण था, तो 27 फीसदी लोगों का मानना था कि सीट बेल्ट बांधने से उनकी छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. सर्वेक्षण में शामिल एक-चौथाई लोगों का कहना था कि सीट बेल्ट बांधने से उनके कपड़े खराब हो जाते हैं. 23 फीसदी लोग तो सीट बेल्ट को सुरक्षा उपकरण ही नहीं मानते थे. देश के 17 शहरों में किए गए एक अध्ययन में सामने आया कि महज 25 फीसदी ही सीट बेल्ट नियमित तौर पर बांधते हैं. सेवलाइफ के 2019-20 में किए गए अध्ययन में 37.8 फीसदी लोगों को लगता था कि कार में पीछे बैठने वालों के लिए सीट बेल्ट बांधना जरूरी नहीं है. कानून के मुताबिक कार में पीछे बैठने वालों के लिए भी सीट बेल्ट बांधना जरूरी है से महज 27.7 फीसदी लोग ही जागरूक निकले. मुंबई, दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ और बेंगलुरु के हादसों के लिहाज से संवेदनशील स्थानों पर पाया गया कि कार में पीछे की सीट पर 98.2 फीसदी लोगों ने सीट बेल्ट नहीं बांध रखी थी. लखनऊ, जयपुर और कोलकाता में तो कार में पीछे बैठने वाले एक भी शख्स ने सीट बेल्ट नहीं बांध रखी थी

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और भी हैं कारण तमाम
सर्वेक्षण में शामिल तमाम लोगों ने माना कि सीट कवर की वजह से उन्हें सीट बेल्ट निकालने में दिक्कत आती है. कई लोगों का मानना था कि पीछे की सीट पर सीट बेल्ट बांध कर बैठने पर यदि हादसा पेश आता है तो कार से निकले में दिक्कत आएगी. सर्वेक्षण में शामिल 20 फीसदी लोगों का मानना था कि पहाड़ी इलाकों में सफर तय करते वक्त ही पीछे बैठे यात्रियों को सीट बेल्ट बांधनी चाहिए. 10 फीसदी लोग ऐसे भी थे जो मानते थे कि सोते वक्त सीट बेल्ट बांधना बेहतर रहेगा. सर्वेक्षण में प्रश्न यह भी पूछा गया कि चार पहिया वाहनों में पीछे बैठते वक्त क्या उन्होंने ड्राइवर से पीछे बैठने वालों के लिए सीट बेल्ट की उपलब्धता के बारे में जानकारी की, तो इसके जवाब में सिर्फ 17 फीसदी लोगों ने माना कि उन्होंने इस बारे में जानकारी की थी. सर्वेक्षण में एक और रोचक बात सामने आई और वह थी गुवाहटी और पटना से जुड़ी. सिर्फ इन्हीं दो शहरों में कार में पीछे बैठते हुए सीट बेल्ट नहीं बांधने पर पुलिस ने वाहन का चालान काटा. यानी यातायात विभाग यहां अन्य शहरों की तुलना में मिला थोड़ा चुस्त-दुरुस्त.