क्या है Free Trade Agreement? इस तरफ क्यों कदम बढ़ा रहा है देश
मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात-निर्यात शुल्क (Import-Export Tariffs) को कम करने या समाप्त करने के लिए एक समझौता है. इसके तहत, संबंधित देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार बहुत कम या टैरिफ बाधाओं के बिना होता है.
highlights
- भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच मुक्त व्यापार समझौता जल्द
- उन्नत चरण में यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत
- दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात-निर्यात शुल्क कम या खत्म होगा
नई दिल्ली:
भारत और यूनाइटेड किंगडम (India and UK) ने पिछले महीने घोषणा की थी कि दोनों देशों के बीच "व्यापक और संतुलित" मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement) पर अधिकांश वार्ता इस साल अक्टूबर के अंत तक समाप्त हो जाएगी. इसके अलावा, यूरोपीय संघ (European Union) के साथ मुक्त व्यापार समझौते के संबंध में भी बातचीत एक उन्नत चरण में है. इसके बाद से ही मुक्त व्यापार समझौता (FTA) तेजी से सुर्खियों में आ रहा है. आइए, जानते हैं कि वास्तव में एक मुक्त व्यापार समझौता क्या है और देश इस तरह के समझौते पर बातचीत करने का विकल्प क्यों चुनते हैं?
मुक्त व्यापार समझौता क्या है?
एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात-निर्यात शुल्क (Import-Export Tariffs) को कम करने या समाप्त करने के लिए एक समझौता है. एफटीए के तहत, संबंधित देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार बहुत कम या बिना किसी टैरिफ बाधाओं के किया जा सकता है. मूल रूप से, यह व्यापार को उदार बनाता है और उद्योग और विनिर्माण पर सुरक्षात्मक बाधाओं को दूर करता है. एफटीए तरजीही व्यापार समझौतों से अलग हैं, जो केवल एक निश्चित संख्या में टैरिफ लाइनों पर टैरिफ को कम करते हैं.
एफटीए का विकल्प क्यों चुनते हैं देश ?
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के जानकारों के मुताबिक एफटीए के कई फायदे हैं. यह व्यापार समझौता समझौते के सदस्यों को गैर-सदस्य देशों पर अधिमान्य उपचार प्राप्त करने की ओर ले जाता है. इसके अलावा, टैरिफ को खत्म करने का मतलब है कि देशों को अन्य बाजारों तक आसानी से पहुंच मिलता है. एफटीए देशों में व्यापार और निवेश के अवसरों को बढ़ावा दे सकते हैं.
कितने देशों के साथ कैसा समझौता हुआ
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2020 में "लगभग 54 अलग-अलग देशों के साथ तरजीही पहुंच, आर्थिक सहयोग और मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए)" थे. इसने व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौतों (CEPA) / व्यापक आर्थिक सहयोग समझौतों (CECA) पर भी हस्ताक्षर किए हैं. वहीं 18 देशों के साथ एफटीए/अधिमानी व्यापार समझौते (PTA) पर भी दस्तखत हुए हैं.
देश ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. समझौते में शराब, ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स और अधिक सहित वस्तुओं और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करने की उम्मीद है.
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समझौतों तक आने में लगा लंबा वक्त
हालांकि, भारत हमेशा इस तरह के समझौतों के लिए सहमत नहीं रहा है. साल 2019 में, देश क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) से बाहर चला गया था. इसमें चीन और 14 अन्य एशियाई देश शामिल थे. देश ने यह फैसला इस चिंता के साथ लिया था कि यह भारत के व्यापार असंतुलन को चौड़ा करेगा और घरेलू उत्पादकों को विदेशी लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ बना देगा. इसके बाद लगातार ऐसे मुद्दों पर विचार को जारी रखा गया.
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