क्या खास है और किस तरह अलग है पीएम मोदी द्वारा रवाना की गई वंदे भारत ट्रेन... जानें
यह ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की अपनी चरम गति को 129 सेकंड में हासिल कर लेती है, जो कि इसकी पूर्ववर्ती सीरीज की तुलना में 16 सेकंड पहले का समय है. इसका कारण बना है वजन, जो लगभग 392 टन है.
highlights
- पहले की दो वंदे भारत ट्रेनों से कहीं बेहतर है वंदे भारत 2.0 ट्रेन
- 2023 तक देश भर में 75 वंदे भारत ट्रेनों को दौड़ाने का लक्ष्य
- देश भर में कुल400 वंदे भारत ट्रेन चलाने का लक्ष्य है रेलवे का
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखा कर न सिर्फ रवाना किया, बल्कि गांधीनगर से कालूपुर के बीच आधे घंटे का सफर भी तय किया. गौरतलब है कि 2019 में पहली बार रेल पटरियों पर उतरी वंदे भारत (Vande Bharat) ट्रेन को भी पीएम मोदी ने ही हरी झंडी दिखाई थी. यह अलग बात है कि उस वक्त उन्होंने उसमें सवारी नहीं की थी. वंदे भारत सीरीज की तीसरी ट्रेन अपनी पूर्ववर्ती वंदे भारत सीरीज से काफी अलग है. न सिर्फ सुरक्षा फीचर्स में बल्कि गति और कई अन्य मामलों में भी. संभवतः इसीलिए इसे वंदे भारत 2.0 भी कहा जा रहा है. आत्मनिर्भर भारत के लिहाज से वंदे भारत ट्रेन कई मायनों में खास है. मोदी सरकार (Modi Government) का इरादा वंदे भारत सीरीज की देश के हर चुनिंदा स्टेशन तक पहुंचाने का है. आइए एक नजर डालते हैं वंदे भारत 2.0 सीरीज की पहली ट्रेन पर.
वंदे भारत का तीन साल में दूसरी बार उद्घाटन क्यों किया पीएम मोदी ने
नाम भले ही एक जैसा हो, लेकिन वंदे भारत सीरीज की तीसरी ट्रेन को 'वंदे भारत 2.0' भी करार दिया जा रहा है. इसकी बड़ी वजह यह है कि अपनी पूर्ववर्ती दो ट्रेनों की तुलना में यह एक अपग्रेडेश ट्रेन सेट है. फिलवक्त दो वंदे भारत ट्रेनें दिल्ली से वाराणसी और दिल्ली से कटरा के बीच दौड़ रही हैं. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक किसी लोकप्रिय स्मार्टफोन की तरह वंदे भारत की हर सीरीज नए अपग्रेड और नए वर्जन के साथ आएगी. हालांकि वह यह साफ करना नहीं भूलते हैं कि ट्रेन का नाम वंदे भारत ही रहेगा. वंदे भारत सीरीज की तीसरी ट्रेन की लागत 115 करोड़ रुपए आई है, जो पिछले वर्जन की तुलना में 15 करोड़ रुपए अधिक है. बीते तीन सालों से रेल पटरियों पर दौड़ रही दो वंदे भारत ट्रेनों के यात्रियों से मिले फीडबैक और सुझाव के आधार पर वंदे भारत 2.0 में बदलाव किए गए हैं.
क्या हैं नए और प्रमुख अपग्रेडेशन
पाठकों की सुविधा के लिए बता दें कि यह ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की अपनी चरम गति को 129 सेकंड में हासिल कर लेती है, जो कि इसकी पूर्ववर्ती सीरीज की तुलना में 16 सेकंड पहले का समय है. इसका कारण बना है वजन, जो लगभग 392 टन है. अगर तुलनात्मक रूप से देखें तो पहले की दो वंदे भारत ट्रेनों के वजन के लिहाज से यह 38 टन हल्की है. इसके साथ ही इसे अधिकतम गति हासिल करने के लिए एक किमी कम सफर तय करना पड़ता है. इसका 'राइडिंग इंडेक्स' भी बेहतर है. जब ट्रेन गतिशील होती है, तो यात्री कितना आरामदायक और स्थिर महसूस करते हैं उस पैमाने को राइडिंग इंडेक्स कहा जाता है. यह जितना कम रहता है, उतना ही बेहतर माना जाता है. इस आधार पर वंदे भारत 2.0 का राइडिंग इंडेक्स 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर 3.26 है, जबकि पहले के वर्जन का राइडिंग इंडेक्स 3.87 था. 115 किमी प्रति घंटे की मानक गति पर वंदे भारत का राइडिंग इंडेक्स 3.26 हैं, जो पहले के वर्जन की वंदे भारत का इसी गति पर 3.62 से कहीं बेहतर है.
सुरक्षा के लिहाज से
अगर सुरक्षा पैमानों की बात करें तो नई वंदे भारत 2.0 ऑटोमेटिक टक्कर रोधी तकनीक कवच से लैस है, जो इसकी पूर्ववर्ती ट्रेनें नहीं थीं. इस वंदे भारत के प्रत्येक कोच में डिसास्टर (आपदा) लाइट हैं, जिनका बैटरी बैकअप तीन घंटे का है. पिछली वंदे भारत सीरीज की दो ट्रेनों की तुलना में यह बैटरी बैकअप दो घंटे अधिक है. कोचों में फ्लैटफॉर्म साइड में आठ कैमरे लगाए गए हैं, जो पहले चार ही थे. इसके अलावा प्रत्येक कोच में यात्रियों और गार्ड के बीच संवाद स्थापित करने की भी सुविधा है. इसकी भी खास बात यह है कि यह ऑटोमेटिक वॉयस रिकॉर्डिग फीचर से लैस हैं. इस ट्रेन के डिब्बे पटरी से काफी ऊपर उठे हुए है. बाढ़ जैसी स्थिति में ट्रेन की पटरियों से 650 मिमी ऊंचाई काफी काम आएगी. पहले की ट्रेनों में यह ऊंचाई 400 मिमी ही है.
यात्रियों के लिए यह है खास
सभी सीटें झुकने वाली (रेक्लाइनर) हैं, पहले की वंदे भारत के लोअर क्लास में बैक सीट फिक्स होती हैं. एक्जीक्यूटिव क्लास के डिब्बों में 180 डिग्री पर घूम जाने वाली सीटे हैं. डिब्बों के अंदर की हवा को फोटो कैटेलिकटिक वॉयलेट एयर प्यूरीफिकेशन सिस्टम से शुद्ध किया जाता है. वह भी यूवी लैंप के जरिये जिससे 99 फीसदी तक कीटाणु निष्किरय हो जाते हैं. रेलवे का दावा है कि पहले की वंदे भारत में यह सुविधा नहीं थी. सीसीटीवी कैमरों के जरिए प्रत्येक कोच पर नजर रखी जा सकती है. डिब्बों के अंदर नेटवर्क प्रति संकेड एक गीगाबाइट का है, जबकि पहले 100 मेगाबाइट डेटा की सुविधा उपलब्ध है. इसका मतलब यह हुआ कि डिब्बों के अंदर बेहतरीन क्वालिटी की स्ट्रीमिंग मिलेगी, जो ऑडियो-विजुअल अनुभव को यादगार बनाएगी. प्रत्येक कोच में 32 इंच का एलसीडी डिस्प्ले है, जबकि पहले की वंदे भारत में 24 इंच का स्क्रीन है.
खाने में क्या रहेगा खास
रेलवे के मुताबिक ट्रेनों में खानपान की सुविधा देखने वाले आईआरसीटीसी ने वंदे भारत 2.0 के लिए स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहते हुए कम कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों पर ही फोकस किया है. रागी, भागर, दाल, ओट्स, मुसेली आदि से खाद्य पदार्थ तैयार किए गए हैं. साबूदाना, भागर और फलो से तैयार डिश भी मैन्यू में हैं. वंदे भारत का कस्टमाइज्ड मैन्यू 2023 की थीम अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के अनुरूप है. इसकी पहल भी संयुक्त राष्ट्र में भारत ने ही की थी. अप्रैल 2021 में एक प्रस्ताव के तहत 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के तौर पर मनाने का निर्णय किया गया था. इस खास ट्रेन में बच्चों के लिए पहली बार जौ आधारित (माल्ट) पेय पदार्थ उपलब्ध कराए जाएंगे. बच्चों के लिए सामान्यतः उपलब्ध कराई जाने वाली चॉकलेट बार का स्थान पीनट चिक्की ने लिया है. इसके लिए मूंगफली को भी 'वी वोकल गो लोकल' अवधारणा के तहत स्थानीय किसानों से ही खरीदा जा रहा है.
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अब आगे और क्या
भारत 400 वंदे भारत ट्रेनों के सफर पर निकल चुका है. इसके तहत अगस्त 2023 तक 72 वंदे भारत ट्रेन और पटरियों पर दौड़ाने लगेंगी यानी कुल 75. रेलवे ने इसके पीछे खाका यह तैयार किया है कि वंदे भारत सीरीज की तीसरी ट्रेन जिस वक्त यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचा रही होंगी, उसी दौरान रेलवे की कोच निर्माण इकाई हर महीने एक और ट्रेन तैयार करती रहेगी. आगे समय में रात भर तक चलने वाले सफर के लिए स्लीपर कोच पेश किए जाएंगे. रेलवे इन ट्रेनों का वजन हल्का करने के लिए एल्यूमीनियम बॉडी पर भी काम चल रहा है.
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