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यूक्रेनी इलाकों के रूस में विलय की क्या होगी प्रक्रिया... क्या करेंगे यूक्रेन और पश्चिमी देश

रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव के मुताबिक ग्रेट क्रेमलिन पैलेस के जियॉर्गिविस्की हॉल में इन चार नए क्षेत्रों के साथ विलय की संधि पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. हस्ताक्षर से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भाषण होगा.

Updated on: 30 Sep 2022, 02:55 PM

highlights

  • पुतिन संधि पर साइन कर जेपोरीजिया, डोनेत्स्क, लोहांस्क खेरसान का करेंगे रूस में विलय
  • संधि के रूसी संसद में पारित होते ही यूक्रेन के 15 फीसद भू-भाग पर रूस का होगा कब्जा
  • यूक्रेन समेत पश्चिमी देश अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बता विलय को बता रहे हैं अवैध

नई दिल्ली:

रूस-यूक्रेन के बीच फरवरी से जारी युद्ध को शुक्रवार का दिन और भड़का सकता है, क्योंकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) रूस के स्थानीय समयानुसार शुक्रवार दोपहर 3 बजे क्रेमलिन के सेंट जॉर्ज हॉल में यूक्रेन के जेपोरीजिया और खेरसान इलाकों को आजाद घोषित करेंगे. इसके पहले फरवरी में पुतिन लुहांस्क और डोनेत्स्क को आजाद घोषित कर चुके हैं. हालांकि अब इन इलाकों में विगत दिनों हुए जनमत संग्रह (Referendrum) के बाद औपचारिक रूप से संधियों के साथ रूस में विलय हो जाएगा. इसके पहले पुतिन एक महत्वपूर्ण भाषण भी देंगे. इस तरह रूस के कब्जे में अब यूक्रेन (Ukraine) का 15 फीसदी भूभाग आ जाएगा. क्रीमिया पर रूस (Russia) कई साल पहले ही कब्जा कर उसका विलय रूसी संघ में कर चुका है. जानते हैं कि यह विलय कैसे होगा और पश्चिमी देश इस पर कैसी प्रतिक्रिया दे सकते हैं.

कैसी होगी विलय की प्रक्रिया और फिर क्या होगा 
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव के मुताबिक ग्रेट क्रेमलिन पैलेस के जियॉर्गिविस्की हॉल में इन चार नए क्षेत्रों के साथ विलय की संधि पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. हस्ताक्षर से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भाषण होगा. इसके बाद वह स्वयंभू रूस समर्थित डोनेत्स्क पिपुल रिपब्लिक (डीएनआर) और लुहांस्क पीपुल्स रिपब्लिक (एलएनआर) समेत खेरसान और जेपोरीजिया के मॉस्को द्वारा नियुक्त नेताओं से मुलाकात करेंगे. क्रेमलिन के दावे के अनुसार अब इन क्षेत्रों पर रूसी सेना का कब्जा है. गौरतलब है कि यूक्रेन के इन चार इलाकों पर रूस समर्थित अलगाववादी और रूस नियुक्त अधिकारियों का कहना है कि उन्हें जनमत संग्रह में रूस के साथ विलय करने का जनादेश मिला है. हालांकि जिस तरह जल्दबाजी में यूक्रेन के कब्जे वाले इन इलाकों में जनमत संग्रह को अंजाम दिया गया है, पश्चिमी देश उस प्रक्रिया को अवैध बता पहले ही क्रेमलिन को चेतावनी दे रहे हैं. इससे बेपरवाह खेरसान क्षेत्र के उप प्रमुख किरिल स्त्रेमॉसोव ने रेड स्क्वॉयर पर घोषणा करते हुए कहा, 'खेरसान क्षेत्र, जेपोरीजिया, डोनेत्स्क पीपुल्स रिपब्लिक और लुहांस्क पीपुल्स रिपब्लिक अब हमेशा के लिए रूसी संघ का हिस्सा हो जाएंगे.' विलय की संधि के सजीव प्रसारण के लिए मॉस्को के रेड स्क्वॉयर पर एक बड़ा मंच तैयार किया गया है. इस मंच पर विशालकाय वीडियो स्क्रीन लगा है, जिसके ऊपर लिखा हुआ है-डोनेत्स्क, लुहांस्क, जेपोरीजिया, खेरसान-रूस. विलय की संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद रूसी संसद उसकी पुष्टि करते हुए पारित कर देगी, जहां पर पुतिन समर्थकों का ही दबदबा है. संसद की मंजूरी मिलते ही मॉस्को इन इलाकों को रूस का भू-भाग मान लेगा और अपने परमाणु सुरक्षा के दायरे में इन्हें भी शामिल कर लेगा. इसके बाद इन इलाकों की आबादी यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में भाग लेने की पात्र हो जाएगी, जिसके अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. ठीक वैसे ही जैसे डीएनआर और एलएनआर के सैनिकों ने 2014 में रूस के समर्थन से किया था. हालांकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि छद्म जनमत संग्रह के आधार पर विलय से रूस शांति वार्ता की किसी भी संभावना को नष्ट कर देगा. 

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पश्चिमी देश क्या करेंगे 
जेलेंस्की समेत पश्चिमी देश लगातार कहते आ रहे हैं कि यूक्रेन के अन्य हिस्सों पर कब्जा कर रूस अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कर रहा है. इसके लिए उनका तर्क है कि सोवियत संघ के विघटन के बाद मॉस्को भी मान्यता दे चुका है. इस मान्यता को दरकिनार कर 2014 में यूक्रेन के प्रायद्वीप क्रीमिया पर रूसी सेना ने कब्जा कर उसे रूस के हिस्से बतौर मान्यता दे दी थी.  ऐसे में इस कथित विलय संधि के बाद पश्चिमी देश कीव को रूस से लड़ने के लिए हथियारों की आपूर्ति बढ़ा सकते हैं. इसके साथ ही रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों का दायरा बढ़ा उन्हें और कड़ा कर सकते हैं. आधुनिक इतिहास में रूस जैसी किसी बड़ी अर्थव्यवस्था पर बेहद कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं. एक और बात यह है भी है कि रूस जिन इलाकों का विलय कर रहा है वह पूरी तरह से उसके नियंत्रण में भी नहीं हैं. हालांकि क्रेमलिन के नजरिये से देखें तो एक बार रूस का अंग बन मान्यता मिल जाने के बाद सीमा पर कोई भी संघर्ष रूसी सेना को अपनी संप्रभुत्ता की रक्षा के लिए आगे बढ़ने का अधिकार दे ही देता है. एक तरह से देखें तो इस बयान के जरिये रूस ने यूक्रेन समेत पश्चिमी देशों को नई चेतावनी दे दी है. इस कड़ी में क्रेमलिन से बुधवार को जारी बयान पर गौर करना चाहिए. इस बयान में कहा गया कि पूर्वी यूक्रेन के डोनेत्स्क क्षेत्र पर पूरी तरह से कब्जा नहीं होने तक रूस का 'स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन' जारी रहेगा. रूस फिलहाल डोनेत्स्क के 60 फीसदी हिस्से पर अपने कब्जे का दावा करता है. इसके पड़ोस के लुहांस्क समेत रूसी भाषा बोलने वाले डोनबास पर रूस का पूरी तरह से कब्जा है. अब देखने वाली बात यह होगी रूस के लिहाज से चार क्षेत्रों के औपचारिक विलय के बाद पश्चिमी देश क्या रुख अपनाते हैं. खासकर जब अमेरिकी राष्ट्रपित जो बाइडन समेत अमेरिकी प्रशासन के तमाम बड़े अधिकारी, ब्रिटेन और कई अन्य पश्चिमी देश रूस के इस कथित विलय को अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बता अवैध करार दे चुके हैं.