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Karnataka Elections: मुख्यमंत्री पद के दो प्रबल दावेदार... कभी रहे दोस्त अब हो गए कट्टर प्रतिद्वंद्वी, जानें

राज्य को तीन मुख्यमंत्री क्रमशः केंगल हनुमंथैया, एचडी देवेगौड़ा और कुमारस्वामी देने वाले रामनगर पर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सभी की नजरे हैं.

Updated on: 24 Apr 2023, 01:39 PM

highlights

  • एचडी कुमारस्वामी और डीके शिवकुमार दोनों हैं मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार
  • बीजेपी इस बार रामनगर की चार सीटों पर दोनों दलों को देगी कड़ी चुनौती
  • रामनगर जिले ने अब तक कर्नाटक विधान सौंध को दिए हैं तीन मुख्यमंत्री


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बेंगलुरु:

अपने चट्टानी इलाके, ऐतिहासिक मंदिरों और रेशम उद्योग के लिए लोकप्रिय रामनगर में मुख्यमंत्री (Chief Minister) पद के दो उम्मीदवार मैदान में हैं. कर्नाटक के राजनीतिक इतिहास में किसी जिले में ऐसा पहली बार हो रहा है. इस शहर को 'सिल्क सिटी' के उपनाम से भी जाना जाता है. एचडी कुमारस्वामी (HD Kumaraswamy) के नेतृत्व वाली जनता दल (एस) 2007 में बेंगलुरू ग्रामीण से जिला बनाने के बाद से अधिकांश सीटें जीतती आई है. हालांकि डीके भाइयों क्रमशः शिवकुमार (DK Shivakumar) और सुरेश के साथ कांग्रेस जद(एस) को कड़ी टक्कर देगी. राज्य कांग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार और कुमारस्वामी दोनों ही मुख्यमंत्री पद की आकांक्षा रखते हैं. रोचक बात यह है कि कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन से सरकार बनाने के बाद दोनों की दोस्ती भी खासी चर्चा में रही. हालांकि कुमारस्वामी कहते हैं कि शिवकुमार अब दोस्त नहीं रहे हैं, बल्कि एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं और उनके खिलाफ इसी भावना से चुनाव (Karnataka Assembly Elections 2023) लड़ा जाएगा.

बीजेपी ने कनकपुरा में पेंच फंसा बना दिया मुकाबला त्रिकोणीय
हालांकि बीजेपी ने कनकपुरा में शिवकुमार के खिलाफ वोक्कालिगा के मजबूत नेता आर अशोक को मैदान में उतारकर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है. चन्नापटना में भगवा पार्टी कुमारस्वामी के खिलाफ सीपी योगेश्वर के साथ जा रही है. योगेश्वर 2018 में कुमारस्वामी से हार गए थे, लेकिन उन्होंने सपा के टिकट पर कुमारस्वामी की पहली पत्नी अनीता को 2013 में हराया था. वह 2008 में भी कांग्रेस के टिकट पर जीते थे. वोक्कालिगा बेल्ट में जिले की विविध जनसांख्यिकी जिसमें मुसलमानों, ओबीसी और दलितों की अच्छी संख्या है इसे सबसे अलग बनाती है. योगेश्वर के बलबूते बीजेपी को इस जिले में उलटफेर की उम्मीद है. जद (एस) ने 2008 के बाद से तीनों चुनावों में मगदी और रामनगर जीता है और 2018 में चन्नापटना पर भी कब्जा किया. कांग्रेस ने कनकपुरा को तीन बार और चन्नापटना को एक बार जीता है. बीजेपी ने कभी भी सीधा चुनाव नहीं जीता है. हालांकि चन्नापटना में योगेश्वर के 2011 के उपचुनाव ने भगवा पार्टी को मानचित्र पर ला खड़ा किया था.

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शिवकुमार में भी है परिणाम उलटने का दम-खम 
2008 से तीन बार कनकपुरा जीतते आ रहे शिवकुमार कहते हैं,  'परिणामों के लिहाज से रामनगर एक आश्चर्य की प्रतीक्षा में है. हम चार में से तीन सीटें जीतेंगे.' किसी अन्य नेता के मुंह से यही दावा भले ही शेखी बघारने जैसा लगे, लेकिन यह शिवकुमार और उनके सांसद भाई का गृह जिला है. हालांकि वे 2018 की तर्ज पर कभी-कभी कुमारस्वामी के साथ गठबंधन भी करते रहे हैं, लेकिन अब वे एचडी देवेगौड़ा परिवार को चुनौती देने के लिए काफी मजबूत हैं. मजबूत जनाधार से वह परिणामों को उलट भी सकते हैं. यह अलग बात है कि कुमारस्वामी के बेटे निखिल पूरे आत्मविश्वास से कहते हैं, 'इस बार जद(एस) का विजय मार्च जिले से शुरू होगा और मेरे पिता मुख्यमंत्री बनेंगे. रामनगर सीट वह है जिसे जीतना मेरे भाग्य में लिखा है क्योंकि मेरे दादा, पिता और मां सभी यहां से जीते हैं.'

कुमारस्वामी के लिए चन्नापाटना में जीत नहीं रहेगी आसान
हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि योगेश्वर की मजबूत दावेदारी को देखते हुए कुमारस्वामी की चन्नापटना में जीत उतनी आसान नहीं हो सकती है. ऐसी भी अफवाहें हैं कि वह एक सुरक्षित दूसरी सीट के लिए छटपटा रहे थे. हालांकि कांग्रेस एचसी बालकृष्ण के माध्यम से मगदी में जेडी (एस) को चुनौती दे रही है. बालकृष्ण अतीत में कई पार्टियों के टिकट पर यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं. भले ही ऊपरी तौर पर सभी चार सीटों क्रमशः मगदी, चन्नापटना, कनकपुरा और रामनगर  में कांग्रेस और जद (एस) के बीच सीधी लड़ाई है, लेकिन एक अन्य वोक्कालिगा उम्मीदवार सीएन अश्वथ नारायण के जरिये भाजपा भी बढ़त बना सकती है. डीके बंधुओं और कुमारस्वामी परिवार को निशाने पर लेने वाले जिला प्रभारी मंत्री नारायण कहते हैं, 'हम राजनीति से ज्यादा विकास पर निर्भर हैं. हमने जिले को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और उद्योग का केंद्र बनाया है.'

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रामनगर ने कर्नाटक को दिए हैं तीन सीएम
प्रसिद्ध रामदेवरा बेट्टा को प्रोजेक्ट करने का बीजेपी का प्रयास, जिससे रामनगर को इसका नाम मिला, दक्षिण भारत के अयोध्या के रूप में ज्यादा सुर्खियों में नहीं आया. हालांकि चल रहा अमूल-नंदिनी दूध विवाद कर्नाटक में दूध की आपूर्ति में जिले के योगदान को देखते हुए एक चुनावी मुद्दा होगा. बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे विशेष रूप से रामनगर के लिए बाढ़ और चन्नापटना खिलौना उद्योग को प्रभावित करने के तौर पर बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. दूसरे इस एक्सप्रेसवे पर टोल संग्रह को लेकर भी लोगों में शिकायत  है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जद (एस) रामनगर को अपने पास बनाए रखेगी? क्या यहां से कांग्रेस जद(एस) को हतप्रभ करने वाला झटका देगी या भाजपा जोरदार टक्कर देगी इसका पता 13 मई को मतगणना के बाद ही पता चलेगा. फिर भी राज्य को तीन मुख्यमंत्री क्रमशः केंगल हनुमंथैया, एचडी देवेगौड़ा और कुमारस्वामी देने वाले रामनगर पर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सभी की नजरे हैं.