ISS पर अभी फंसी सुनीता विलियम्स, एक दिन में 16 बार देखती हैं सूर्योदय-सूर्यास्त, जानें कैसे होता है ये कमाल

Sunita Williams: अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स की ISS से वापसी के लिए भी और इंतजार करना पड़ेगा. लेकिन क्या आपको पता है कि ISS पर सुनीता एक दिन में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखती हैं. जानें कैसे?

Sunita Williams: अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स की ISS से वापसी के लिए भी और इंतजार करना पड़ेगा. लेकिन क्या आपको पता है कि ISS पर सुनीता एक दिन में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखती हैं. जानें कैसे?

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Ajay Bhartia
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सुनीता विलियम्स Photograph: (Social Media)

Sunita Williams: भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स अभी अंतरिक्ष में फंसी हुई हैं. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने हाल ही में बताया कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से सुनीता की वापसी में अभी और देरी हो सकती है. ऐसे में उनकी वापसी की आस लगाए बैठे लोगों को थोड़ा इंतजार करना पड़ा सकता है. इस सबके बीच सुनीता विलियम्स को लेकर एक बात चर्चा का विषय बनी हुई है कि वे एक दिन में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखती हैं. ऐसे में सवाल ये है कि आखिर कैसे ये कमाल होता है.

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जब सुनीता विलियम्स ने बताई रोचक बात

नासा की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स ने एक मौके पर खुद एक दिन में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखने का अनुभव साझा किया था. साल 2013 की बात है, जब यूनिवर्सिटी ऑफ गुजरात सुनीता विलियम्स का सम्मान कर रही थी. उस कार्यक्रम में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे. इस कार्यक्रम में सुनीता विलियम्स ने बताया था कि वे खुशनसीब हैं कि उन्होंने एक दिन में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त होते हुए देखा है और ये सबकुछ तेजी से घूमते हुए स्पेस शटल में होता था. 

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एक दिन में 16 सूर्योदय-सूर्यास्त कैसे?

ISS पर एक दिन में करीब 16 सूर्योदय और सूर्यास्त होते हैं. वजह, आईएसएस का काफी तेज रफ्तार से धरती की परिक्रमा करना है. एक रिपोर्ट के अनुसार, ISS तकरीबन 28,000 किमी प्रति घंटे की गति से धरती के चारों ओर घूमता है, जिससे ये हर 90 मिनट में एक परिक्रमा कर लेता है. इस दौरान स्पेस स्टेशन तेज से धरती के रोशने वाले हिस्से से अंधेरे वाले हिस्से की तरफ जाता है. यही वजह है कि ISS पर मौजूद अंतरिक्ष यात्री को 45-45 मिनट के बाद सूर्योदय और सूर्यास्त देखने को मिलता है. स्पेस स्टेशन पर अतंरिक्ष यात्री 45 मिनट का दिन और 45 दिन की रात का अनुभव करते हैं.

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स्पेस स्टेशन में कैसे सोते हैं एस्ट्रोनॉट?

स्पेस स्टेशन पर जब 45 मिनट का दिन और 45 मिनट की रात होती है, तो उस पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को सोने में काफी दिक्कत आती है. इस परेशानी से निपटने के लिए अंतरिक्ष यात्री कोऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (यूटीसी) का इस्तेमाल करते हैं. टाइम के इस खास सिस्टम को यूज कर अतंरिक्ष यात्री स्टेस स्टेशन पर अपने हर काम को तय करते हैं. इसका मतलब ये हुआ कि यूटीसी की हेल्प से अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन पर अपने काम, व्यायाम, भोजन और आराम का समय तय करते हैं.

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