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11 साल पहले मुंबई में सीरियल बम धमाका, आतंकी कसाब का था ये कनेक्शन

मुंबई में शाम 6 बजकर 54 मिनट से 7 बजकर 6 मिनट के बीच यानी महज 12 मिनट में तीन अलग-अलग स्थानों पर भीषण बम धमाके हुए. पहला धमाका 6:45 बजे जावेरी बाजार में, दूसरा 6:55 बजे दादर में और तीसरा धमाका 7 बजे ओपेरा हाउस के पास हुआ.

Updated on: 13 Jul 2022, 11:22 AM

highlights

  • बम विस्फोटों को आतंकवादी वारदात के रूप में वर्गीकृत किया गया
  • बम धमाकों की जांच के दौरान 18 राज्यों में सुराग की तलाश की गई
  • जांच के दौरान कुल 12 हजार 3 सौ 73 लोगों से पूछताछ की गई थी

नई दिल्ली:

आज से ठीक 11 साल पहले 13 जुलाई 2011 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट ( Mumbai Serial Bomb Blast) से दहल ई थी. देश इन सीरियल धमाकों से सकते में आ गया था. मुंबई में शाम 6 बजकर 54 मिनट से 7 बजकर 6 मिनट के बीच यानी महज 12 मिनट में तीन अलग-अलग स्थानों पर भीषण बम धमाके हुए. पहला धमाका 6:45 बजे जावेरी बाजार में, दूसरा 6:55 बजे दादर में और तीसरा धमाका 7 बजे ओपेरा हाउस के पास हुआ. इन धमाकों में 31 लोगों की मौत हो गई और 500 से भी ज्यादा लोग घायल हो गए.  इस आतंकी वारदात की जिम्मेदारी कुख्यात इंडियन मुजाहिदीन ने ली थी.

आतंकी कसाब का कनेक्शन

मुंबई में इससे पहले 26 नवंबर 2008 को हुए क्रूरतम आतंकी हमले के दोषी और फांसी की सजा पा चुके पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब का जन्मदिन 13 जुलाई को ही था. रिपोर्ट के मुताबिक 13 जुलाई 2011 को मुंबई में हुए सीरियल धमाके कसाब की याद में ही कराए गए थे. इंडियन मुजाहिद्दीन के फाउंडर और आतंकी वारदात के मास्टरमाइंड यासीन भटकल ने कहा था कि उसे इन बम धमाकों पर फक्र है. 

पहले के सीरियल बम धमाके

इससे पहले जुलाई महीने में ही 11 तारीख को साल 2006 को मुंबई की लाइफलाइन लोकल ट्रेनों में सीरियल ब्लास्ट हुए थे. तब खार और बांद्रा रोड स्टेशन में 7 मिनट के दौरान 7 धमाके हुए थे. इन सीरियल धमाकों में 189 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 900 लोग घायल हो गए थे. मुंबई में इससे पहले 1993, 2002, 2003 में भी लगातार बम धमाके हुए थे.

आइए, हम मानसून की बारिश में भींगते मुंबई को थर्रा देने वाले 13 जुलाई, 2011 के सीरियल धमाकों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं. उस पूरी आतंकी वारदात की परत-दर-परत जानकारियों से वाकिफ होते हैं.

धमाके के बाद संचार ध्वस्त

बम धमाकों के बाद मुंबई की फोन लाइनें जाम हो गईं. कई जगहों पर संचार बिल्कुल बंद हो गया. कई जगहों पर कुछ घंटों के लिए रुक-रुक कर उपलब्ध रहा. उस दौरान दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद और बैंगलोर सहित देश के कई महानगरों को भी हाई अलर्ट पर रखा गया था. मुंबई के जे.जे. अस्पताल, सेंट जॉर्ज अस्पताल, हर्किसोंदास अस्पताल और जी. टी. अस्पताल जैसे कई अस्पतालों में घायलों की भीड़ लग गई थी. पुलिस ने ग्रांट रोड सांताक्रूज से दो जिंदा बम भी बरामद किए थे.

कैसे हुआ था बम धमाका

पहला डिवाइस दक्षिण मुंबई के जावेरी बाजार के खाउ गली में मोटरसाइकिल पर लगाया गया था. स्थानीय समयानुसार शाम को 6:54 पर विस्फोट हुआ. दूसरा डिवाइस हीरा-व्यापार उद्योग से जुड़े 5000-6000 लोगों के काम करने की जगह यानी चरनी रोड पर ओपेरा हाउस क्षेत्र में प्रसाद चैंबर्स और पंचरत्न बिल्डिंग के बाहर एक टिफिन बॉक्स में लगाया गया था. यह  6:55 पर फट गया. तीसरा डिवाइस दादर क्षेत्र में कबूतर खाना के पास डॉ. एंटोनियो डा सिल्वा हाई स्कूल बेस्ट बस स्टैंड पर एक बिजली के खंभे पर रखा गया था. यह 7:06 पर विस्फोट हो गया.

कैसे शुरू हुई जांच

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बम विस्फोटों को आतंकवादी वारदात के रूप में वर्गीकृत किया. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक टीम विस्फोट वाले तीनों जगहों पर पहुंची. जांच में धमाकों में कई आईईडी विस्फोटकों के इस्तेमाल की बात कही गई. 

देश भर से शाम छह बजे से लेकर सात बजे तक पाकिस्तान के लिए किए गए कॉल्स की जांच भी की गई.

15 जुलाई 2011 को 2008 के अहमदाबाद बम धमाकों के सिलसिले में अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तार किए गए एक संदिग्ध से मिलने के लिए एनआईए की एक टीम अहमदाबाद गई थी. 16 जुलाई को फोरेंसिक जांच से मिले तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आत्मघाती हमलावर की संभावना से इनकार किया गया था. 

18 जुलाई 2011 को मामले की जांच का जिम्मा महाराष्ट्र एटीएस को सौंप दिया गया था.

एटीएस चीफ की मानें तो जांच के दौरान कुल 12 हजार 3 सौ 73 लोगों से पूछताछ की गई. लगातार 29 दिनों तक तकरीबन 1 सौ 80 घंटे के सीसीटीवी फुटेज को खंगाला गया.

4 अगस्त को गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने विस्फोटों में एक घरेलू आतंकी मॉड्यूल के शामिल होने के संकेत दिए.

9 अगस्त को जावेरी बाजार ब्लास्ट में जिस बाइक पर ब्लास्ट डिवाइस लगा था उसे चोरी करने का दावा करने वाले संदिग्ध की गिरफ्तारी हुई. सीसीटीवी फुटेज में देखा गया था कि कोई शख्स विस्फोट वाली जगह पर स्कूटर रख कर भाग रहा है. 

23 जनवरी 2012 को मुंबई पुलिस ने दावा किया कि उसने दो संदिग्धों- 22 साल के नकी अहमद वसी अहमद शेख  और 23 साल के नदीम अख्तर अशफाक शेख की गिरफ्तारी के साथ मुंबई विस्फोट मामले को सुलझा लिया है. 

इसके बाद की जांच से पता चला कि भायखला में रहने वाले वक्कास और तबरेज नाम के दो पाकिस्तानी हमलावरों ने 18 सिम कार्ड और छह हैंडसेट का इस्तेमाल किया. दोनों को सह-आरोपी नकी अहमद से सिम कार्ड मिले थे. इसके बाद उसने विस्फोटों में अपनी भूमिका स्वीकार की. उन्होंने हमलावरों के लिए रिहाइश के इंतजाम में इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक सदस्य यासीन भटकल के साथ काम करना कबूल किया.

एक साल बाद चार्जशीट

महाराष्ट्र एटीएस ने 25 मई 2012 को नकी अहमद, नदीम शेख, कंवर पथरीजा और हारून नाइक के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. इन सबको गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके अलावा चार्जशीट में इंडियन मुजाहिदीन के मास्टरमाइंड यासीन भटकल और बाकी संदिग्धों सहित छह और लोगों को वांटेड आरोपी के रूप में नामित किया गया था. 

बम धमाकों की जांच के दौरान 18 राज्यों में सुराग की तलाश की गई थी. एक अंडरकवर ऑपरेशन के बाद नेपाल सीमा से 28 अगस्त 2013 को आतंकी यासीन भटकल को गिरफ्तार कर लिया गया था. बाद में इसे फांसी की सजा सुनाई गई थी.

4 फरवरी 2014 को महाराष्ट्र एटीएस को 2011 के मुंबई बम विस्फोट मामले की जांच के लिए इंडियन मुजाहिदीन के मास्टरमाइंड यासीन भटकल की हिरासत में सौंप दिया गया था. 

16 जुलाई को मुंबई एटीएस ने अब्दुल मतीन फक्की को गोवा के डाबोलिम एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया. वह दुबई से फ्लाइट से वहां पहुंचा था. उस पर इंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक यासीन भटकल को हवाला स्रोतों के जरिए पैसे देकर आतंकवादी ऑपरेशन के फंडिंग का आरोप लगाया गया था.

26 अप्रैल 2016 को महाराष्ट्र एटीएस ने इंडियन मुजाहिदीन के सक्रिय सदस्य और मुंबई धमाकों 2011 के लिए एक्‍सप्‍लोजिव मुहैया कराने वाले आतंकी जैनुल आबेदिन को गिरफ्तार किया. 

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