Physicist Rohini Godbole: करिश्माई वैज्ञानिक रोहिणी गोडबोले का निधन हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर दुख जताया है. पीएम मोदी ने उन्हें एक अग्रणी वैज्ञानिक और नवप्रवर्तक (Innovator) बताया, जो चाहती थीं कि विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़े. उनके उनके प्रयास आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे.’ ऐसे में आइए जानते हैं कि रोहिणी गोडबोले कौन थीं और उन्होंन क्या अद्भुत काम किए.
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पीएम मोदी नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रोहिणी गोडबोले के निधन पर शोक जताया. पीएम मोदी ने इस दुख की घड़ी में रोहिणी गोडबोले के परिवार और उनके प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की. साथ ही उन्होंने उनकी आत्म की शांति के लिए भी कामना की. उन्होंने आगे लिखा, ‘उन (रोहिणी गोडबोले) के परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना. ओम शांति.’
कौन थीं रोहिणी गोडबोले?
1952 में जन्म रोहिणी गोडबोले देश की दिग्गज वैज्ञानिक थीं. उन्होंने भौतिकी में बेहतरीन काम किया. वह देश में पार्टिकल फिजिक्स की अगुआ (Pioneer) थीं. लंबी बीमारी के बाद पुणे में उनका निधन हो गया. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) के सेंटर फॉर हाई एनर्जी फिजिक्स (CHEP) में उन्होंने तीन दशक से अधिक समय ग्रेजुएट-पोस्टग्रेजुए स्टूडेंट्स को पढ़ाया और 14 सालों का पीएचडी के छात्रों का मार्गदर्शन किया.
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अपनी प्यारे प्रोफेसर के निधन से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में शोक की लहर दौड़ गई. रोहिणी गोडबोले के सहकर्मी, प्रशंसक और छात्र सभी दुखी नजर आए. पूरे कैंपस में लोगों को जमावड़ा लगा रहा. रोहिणी के प्रशंसक उनको करिश्माई वैज्ञानिक, जोशिली टीचर और STEM में महिलाओं की समर्थक बताया. वे उनकी तारीफ करते हुए नहीं थके. साथ ही उन्होंने बताया कि रोहिणी जी ने महिला वैज्ञानिकों के उत्थान के लिए बहुत काम किया.
रोहिणी गोडबोले ने भारतीय विज्ञान अकादमी (IASc) में विज्ञान में भारतीय महिलाओं के पैनल का गठन किया. वह समिति की सदस्य थीं जिसने 'INSA रिपोर्ट: भारतीय महिलाएं और विज्ञान तक पहुंच' शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की, जो अपनी तरह की पहली रिपोर्ट थी. देश में नहीं विदेश में भी उनको वैज्ञानिक दोस्त और जानने वाले रहे.
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CERN के साथ किया काम
एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एरिक लैनेन ने भारत को जिनेवा स्थित सीईआरएन के करीब लाने में उनके निरंतर प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा, ‘रोहिणी मेरी वैज्ञानिक बहन थी, क्योंकि हम दोनों स्टोनी ब्रूक्स यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे थे. उसने कई महिलाओं को प्रेरित किया और जहां भी वह गई, उसने दोस्त बनाए. सीईआरएन में रोहिणी के सकारात्मक योगदान से भारत को बहुत लाभ होगा.’
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