NEOM सऊदी अरब की जीरो कार्बन सिटी में रह सकेंगे एक साथ 90 लाख लोग
कई चरणों में 50 सालों में बनकर तैयार होने वाले इस शहर में घर, ऑफिस, सार्वजनिक पार्क, अस्पताल या स्कूल सभी वर्टिकल (लंबवत) होंगे. इस पूरे शहर के सामने 170 किमी लंबा आईना होगा, जिसमें सभी इमारतों का प्रतिबिंब पूरे शबाब के साथ दिखाई देगा.
highlights
- क्राउन प्रिंस 500 खरब डॉलर से बसाने जा रहे प्रदूषण मुक्त शहर, जो 50 सालों में बनकर होगा तैयार
- यहां एक भी कार नहीं होगी, लोग 5 मिनट के वॉक से अपने गतंव्य तक पहुंच सकेंगे. एयर टैक्सी होगी
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केंद्रित इस नियोम प्रोजेक्ट में मिरर लाइन शहर का अपना कृत्रिम चांद भी होगा
नई दिल्ली:
सऊदी अरब (Saudi Arab) के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान रेगिस्तान में बेल्जियम सरीखे देश के क्षेत्रफल के बराबर दुनिया का 'आठवां अजूबा' तैयार करने जा रहे हैं. वह पूरी तरह से कार्बन मुक्त यानी 'जीरो कार्बन सिटी' नियोम बसाने जा रहे हैं, जो वास्तव में किसी परिलोक से कम नहीं. इस 120 किमी लंबे साइड स्क्रेपर में 'मिरर लाइन' केंद्रीय आकर्षण होगा. लगभग 500 खरब डॉलर से तैयार होने वाला नियोम (NEOM) प्रोजेक्ट अपने-आप में कई ऐसी चीजें समेटे होगा, जो आधुनिक सुख-सुविधाओं के साथ-साथ रेगिस्तान में एक अलग दुनिया का अहसास देगा. कई चरणों में 50 सालों में बनकर तैयार होने वाले इस शहर में घर, ऑफिस, सार्वजनिक पार्क, अस्पताल या स्कूल सभी वर्टिकल (लंबवत) होंगे. इस पूरे शहर के सामने 170 किमी लंबा आईना होगा, जिसमें सभी इमारतों का प्रतिबिंब पूरे शबाब के साथ दिखाई देगा. सबसे बड़ी बात इस आठवें अजूबे में 90 लाख लोग एक साथ रह सकेंगे. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Mohammed Bin Salman) ने अपने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की घोषणा 2017 में की थी.
नियोम नाम का अर्थ
नियोम नाम वास्तव में ग्रीक और अरबी भाषा को दो शब्दों को जोड़कर रखा गया है. ग्रीक भाषा में 'एम' का अर्थ है नया और अरबी भाषा में 'नियो' का अर्थ है भविष्य, जिन्हें मिलाकर इसका नामकरण नियोम किया गया. तबुक प्रांत में 10 हजार वर्ग मील के क्षेत्रफल में इसे बनाया जाएगा. यह जॉर्डन और मिस्र की सीमाओं से लगा हुआ होगा. क्राउन प्रिंस इसे एक ऐसे शहर के रूप में देख रहे हैं, जो शहरी जीवन में नई तकनीकों के इस्तेमाल से जीवनशैली को आमूल-चूल स्तर पर बदल कर रख देगा. इसके जरिए सऊदी अरब को कच्चे तेल पर निर्भर अर्थव्यवस्था से बदल विदेशी निवेश को आकर्षित करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने का है. नियोम को रेगिस्तान में उतारने वाली योजना के तहत इसमें औद्योगिक शहर बसाने के साथ पहाड़ों पर एक स्की रिसॉर्ट बनाने की योजना भी शामिल है. इसका मुख्य आकर्षण द लाइन होगी, जो वर्टिकल डिजाइन में होगी. इसका खुलासा 2021 में क्राउन प्रिंस ने किया था. नियोम में हर चीज प्रकृति के करीब होगी. हालांकि पांच साल पहले इसकी घोषणा होने के बावजूद किन्हीं न किन्हीं कारणों से इसकी अब तक शुरुआत नहीं हो सकी है. इससे कुछ विवाद भी जुड़े हैं. इसमें प्रमुख यही है कि इसे बसाने के लिए कुछ जनजातियों को बेघर कर दिया जाएगा.
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इस जगह आकार लेगा नियोम प्रोजेक्ट
सऊदी पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड से जुड़ी कंपनी एक ऐसा आठवां अजूबा तैयार करेगी, जो 26,500 वर्ग किमी के दायरे में फैला होगा. भौगोलिक स्थिति के लिहाज से नियोम प्रोजेक्ट अकाबा खाड़ी और लाल सागर के तट के किनारे बसाया जाएगा. शुरुआती योजना के मुताबिक यह पूरा शहर आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस से संचालित होगा, जहां टैक्सियां भी आसमान में उड़ान भरेंगी. इस शहर का अपना एक अलग कृत्रिम चंद्रमा भी होगा. 2021 में क्राउन प्रिंस ने द लाइन रूपी इसका एक ब्लूप्रिंट सबके सामने रखा था. इस पूरे शहर को जोड़ने का काम करेगा अंडरग्राउंड पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम, यह भूमिगत परिवहन नेटवर्क लाल सागर के तट को उत्तर-पूर्व के सऊदी अरब के पहाड़ों और घाटियों से जोड़ेगा.
Presenting a 170 km vertical city that can be travelled end to end in 20 minutes. Giving residents a convenient lifestyle within 5-minute walk neighborhoods, and communities organized in three dimensions, THE LINE is the future of urban living.#TheLINE #NEOM pic.twitter.com/fXntnKt42W
— NEOM (@NEOM) July 25, 2022
आखिर ये मिरर लाइन है क्या
अलग-अलग इमारतों और कम्युनिटी को जोड़ने वाली इस बेल्ट में एक भी सड़क नहीं होगी. जब सड़क नहीं होगी तो एक भी कार नहीं होगी. यह पूरा इलाका प्रकृति के करीब होगा, जो 100 फीसदी रिन्युएबल इनर्जी से संचालित होगा. इसका 95 फीसदी भू-भाग सिर्फ और सिर्फ प्रकृति के लिए समर्पित होगा. परंपरागत तौर पर बसाए जाने वाले शहरों की तुलना में नियोम में आम लोगों के स्वास्थ्य और कुशलता को सर्वोपरि रखते हुए बुनियादी ढांचे और परिवहन के साधनों को जुटाया जाएगा. यह सिर्फ 200 मीटर चौड़ा होगा, लेकिन इसकी लंबाई 170 किमी होगी यानी नियोम प्रोजेक्ट वर्टिकल होगा. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 500 मीटर होगी. द लाइन में महज 34 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में 90 लाख लोग एक साथ रह सकेंगे. दुनिया के इस सबसे बड़े स्ट्रक्चर में 1,600 फीट ऊंची महज दो इमारतें होंगी, जिसके सामने 75 मील की रेखा में होंगे चट्टान, पहाड़ और रेगिस्तानी पहाड़ी घाटियां, जिन्हें आपस में वॉक-वे से जोड़ा जाएगा. इस प्रोजेक्ट को 'मिरर लाइन' नाम दिया गया है, क्योंकि इसके निर्माण में आईनों का इस्तेमाल होगा. दावा किया जा रहा है कि ये इमारतें अमेरिका की एंपायर स्टेट बिल्डिंग से भी ऊंची होंगी.
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बुनियादी ढांचा नहीं, लोग हैं प्राथमिकता
इस शहर को बुनियादी ढांचे के बजाय लोगों को ध्यान में रख कर बनाया जा रहा है. रोजमर्रा के जीवन में पैदल चलने के महत्व और जरूरत को केंद्र में रखा गया है. यहां रहने वाले लोगों को महज 5 मिनट पैदल चलकर जरूरत की हर चीज मिल जाएगी. इसके अतिरिक्त हाई स्पीड-रेल का नेटवर्क भी स्थापित किया जाएगा, जहां ट्रेन के जरिए महज 20 मिनट में एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचा जा सकेगा. इसके साथ ही यहां पब्लिक पार्क, पेडेस्ट्रियन लाइन, स्कूल, घर, अस्पताल और ऑफिस इस तरह होंगे कि महज 5 मिनट के वॉक से लोग आ-जा सकें. इसकी डिजाइन के मुताबिक यह अष्टकोणीय ढांचा अकाबा खाड़ी से माउंटेन रिसॉर्ट तक फैला होगा. यहां जमीन से 300 मीटर ऊपर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स तैयार किया जाएगा, यॉट को पार्क करने के लिए मेरिना और सऊदी सरकार के लिए भी एक कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा. इमारतों में वर्टिकल फार्मिंग को प्रोत्साहित करने की भी योजना है. डिजाइन को भी वर्टिकल इसीलिए रखा गया है कि लोग ऊपर-नीच या आमने-सामने आसानी से सफर तय कर सकें. संभवतः इसीलिए इसे जीरो ग्रेविटी अर्बनिज्म भी करार दिया जा रहा है.
ऐसे जुटेगा फंड
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के मुताबिक नियोम बिजनेस जोन को 2024 में सूचीबद्ध कराया जाएगा. सऊदी अरब नियोम इन्वेसंट्मेंट फंड के नाम पर 300 बिलियन रियाल अलग रखेगी. क्राउन प्रिंस के मुताबिक 2030 तक पूरा होने वाले नियोम के पहले चरण पर 1.2 ट्रिलियन रियाल का खर्च आएगा. इसका आधा खर्च सऊदी संप्रभु धन कोष (सॉवरेन वेल्थ फंड) उठाएगा. माना जा रहा है कि नियोम से सऊदी की स्टॉक मार्केट की वैल्यू में ट्रिलियन रियाल की वृद्धि होगी. शुरुआत में ही 1.2 ट्रिलियन रियाल की वृद्धि होगी और प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद यह दर 5 ट्रिलियन रियाल तक पहुंच जाएगी.
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