logo-image

अमेरिका-यूरोप के बाद एशियाई देशों में मंदी का डर, कहां खड़ा है भारत?

सर्वे में भारत को आर्थिक मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है. अर्थशास्त्रियों ने यहां मंदी की संभावित आशंका शून्‍य बताई है. एशिया और दुनिया की दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत ज्‍यादा बेहतर स्थिति में दिख रहा है.

Updated on: 26 Jul 2022, 01:48 PM

highlights

  • एशियाई अर्थव्‍यवस्‍थाओं पर मंदी का जोखिम कहीं ज्‍यादा बढ़ रहा है
  • सभी देशों के केंद्रीय बैंक अपनी ब्‍याज दरों में ताबड़तोड़ वृद्धि कर रहे
  • सर्वे में भारत को आर्थिक मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया 

नई दिल्ली:

कोरोना महामारी (Corona Virus), उससे बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन (Lockdown) और रूस-यूक्रेन युद्ध ( Rusia Ukraine War) के बाद दुनिया भर में आर्थिक मंदी ( Recession) का खतरा मंडराने लगा है. अमेरिका और यूरोप के देशों में मंदी की आहट श्रीलंका की खराब हालत के साथ ही एशिया में भी फैल गई है. ब्‍लूमबर्ग की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एशियाई अर्थव्‍यवस्‍थाओं पर मंदी का जोखिम कहीं ज्‍यादा बढ़ रहा है. एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं में शामिल चीन और जापान पर भी मंदी का खतरा मंडरा रहा है. भारत को मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है.

ब्‍लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में एशियाई देशों में मंदी के बढ़ते जोखिम की सबसे बड़ी वजह महंगाई को बताया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई की वजह से सभी देशों के केंद्रीय बैंक अपनी ब्‍याज दरों में ताबड़तोड़ वृद्धि कर रहे हैं. इसका सीधा असर उनकी विकास दर पर पड़ने लगा है. विकास दर की गति मंद पड़ते ही इन देशों की अर्थव्‍यवस्‍थाएं मंदी में प्रवेश कर जाएंगी. इसके बावजूद एशियाई देशों की माली हालत अमेरिका और यूरोप से बेहतर बताई जा रही है.

अमेरिका और यूरोप से बेहतर एशिया

मूडीज के मुख्‍य अर्थशास्‍त्री (एशिया-प्रशांत) स्‍टीवन कोरेन ने कहा कि एशियाई अर्थव्‍यवस्‍थाओं पर मंदी का जोखिम होने के बावजूद इनकी स्थिति अमेरिका और यूरोपीय देशों से बेहतर है. कमोडिटी की बढ़ती कीमतों और महंगाई से जर्मनी, फ्रांस जैसे देश ज्‍यादा परेशान हैं. एशिया में मंदी का जोखिम 20-25 फीसदी के दायरे में है. वहीं अमेरिका पर इसका खतरा 40 फीसदी और यूरोप पर 50-55 फीसदी हो गया है.

ब्‍लूमबर्ग के अनुसार, यूरोपीय देश इटली में मंदी आने की 65 फीसदी आशंका है. फ्रांस में 50 फीसदी और जर्मनी में मंदी की आशंका 45 फीसदी है. ब्रिटेन पर भी मंदी आने की 45 फीसदी आशंका दिख रही है.

सबसे ज्‍यादा जोखिम वाले एशियाई देश

अर्थशास्त्रियों के बीच कराए सर्वे के निष्कर्ष में ब्लूमबर्ग ने बताया है कि एशिया महादेश का श्रीलंका अभी अपने सबसे बुरे आर्थिक-राजनीतिक दौर से गुजर रहा है. अगले साल तक यहां मंदी आने का खतरा बढ़कर 85 फीसदी हो गया है. पिछले सर्वे में श्रीलंका पर मंदी का जोखिम 33 फीसदी था. इसके अलावा न्‍यूजीलैंड पर 33 फीसदी, ताइवान पर 20 फीसदी, ऑस्‍ट्रेलिया पर 20 फीसदी और फिलीपींस पर मंदी आने की 8 फीसदी आशंका जताई गई है.

चीन, जापान और दक्षिण कोरिया का हाल

सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण कोरिया और जापान पर मंदी आने की 25-25 फीसदी आशंका है. वहीं चीन में आर्थिक मंदी आने की 20 फीसदी आशंका जताई जा रही है. इसके अलावा हांगकांग और पाकिस्‍तान की इकॉनमी में मंदी आने की आशंका भी 20-20 फीसदी है.  इसके अलावा अन्‍य एशियाई देशों में मंदी को लेकर मलेशिया पर 13 फीसदी, वियतनाम पर 10 फीसदी, थाईलैंड पर 10 और इंडोनेशिया पर 3 फीसदी का जोखिम है.

ये भी पढ़ें - देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों पर Long Covid का ये बेहद बुरा असर

भारत को लेकर सर्वे में अच्छी खबर

अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए सर्वे की रिपोर्ट में भारत को आर्थिक मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है. अर्थशास्त्रियों ने यहां मंदी की संभावित आशंका शून्‍य बताई है. उनका कहना है कि भारत एशिया और दुनिया की दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले ज्‍यादा बेहतर स्थिति में दिख रहा है. भारत में खुद का विशाल बाजार होने के साथ विनिर्माण और उत्‍पादन की लंबी शृंखला सक्रिय है. वहीं बचत के मामले में भी भारत का रिकॉर्ड सबसे बेहतर बताया जाता है.