1 चेहरा रोकने के लिए 20 फेस हो रहे एकजुट, पटना बैठक से क्या निकलेगा फॉर्मूला

पटना में 23 जून को विपक्षी दलों का जमघट लगने जा रहा है. हम साथ-साथ हैं संदेश के साथ लोकसभा चुनाव में मोदी रथ को रोकना बड़ा मकसद है. देखना दिलचस्प होगा कि 20 चेहरे 1 चेहरा को रोक पाने में सफल होते हैं या नहीं.

पटना में 23 जून को विपक्षी दलों का जमघट लगने जा रहा है. हम साथ-साथ हैं संदेश के साथ लोकसभा चुनाव में मोदी रथ को रोकना बड़ा मकसद है. देखना दिलचस्प होगा कि 20 चेहरे 1 चेहरा को रोक पाने में सफल होते हैं या नहीं.

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Prashant Jha
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मोदी बनाम विपक्षी दल( Photo Credit : फाइल फोटो)

वैसे तो राजनीति में बड़ी पुरानी कहावत है कि दिल्ली का रास्ता पटना और लखनऊ से होकर गुजरता है. लेकिन पिछले कुछ सालों से यह कहावत गायब से हो गई थी. पर एक बार फिर से राजपथ पहुंचने के लिए पटना से चलने की शुरुआत होने जा रही है. 23 जून को बिहार की राजधानी पटना में देशभर के विपक्षी दलों का जमघट लगने जा रहा है. जमघट का मकसद और उद्देश्य भी साफ है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में मोदी के विजय रथ को रोकने और भाजपा को केंद्र से बेदखल करने की रणनीति पर चर्चा होनी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश बार-बार कह रहे हैं कि इस बार मोदी को सत्ता से साफ करने की के लिए हम बड़ी मुहिम चला रहे हैं. नीतीश कुमार के नेतृत्व में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में 100 सीटों पर बीजेपी को हराने का प्लान तैयार करना है. ऐसे में जरूरी है ऐसे राज्य जहां गैर बीजेपी की सरकार है, वहां महा गठबंधन बनाया जाए. और बीजेपी के खिलाफ एक उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाए. इसमें बिहार, झारखंड, पंश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र, तमिलनाडु शामिल हैं, क्षेत्रीय दलों की सरकारें यह चाहती हैं कि महागठबंधन मजबूत होगा तो बीजेपी का जनाधार कमजोर पड़ जाएगा.  

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये मुहिम इसलिए छेड़ी है कि आम चुनाव से पहले सारे विपक्ष एकजुटता का परिचय दें और सभी मिलकर मोदी को लोकसभा चुनाव में जीत से रोके, लेकिन बैठक से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अध्यादेश को लेकर कांग्रेस को स्थिति स्पष्ट करने की बात कहकर एक नया शिगूफा छोड़ दिया है. ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बैठक कही विषय से विषयांतर की ओर ना चला जाए. हालांकि, आयोजकों की कोशिश रहेगी कि चार से पांच घंटों की बैठक में मुद्दे ना भटकें और सिर्फ लोकसभा चुनाव पर बैठक केंद्रित रहे. विपक्षी दलों की बैठक रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलाने का काम भी कर सकती है. 2024 लोकसभा चुनाव के लिए एक रणनीति भी सामने आ सकती है. वर्षों बाद होने जा रही इस बैठक में पहली बार होगा कि राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, एमके स्टालिन फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, सीताराम येचुरी एक मंच पर साथ-साथ दिखेंगे.  

सीट बंटवारों के फॉर्मूलों पर चर्चा

बैठक में क्षेत्रीय दलों के साथ एक समझौता होना है कि  लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर पर चर्चा होगी और रणनीति तैयार की जाएगी.इसमें गैर बीजेपी राज्यों में जो दल हैं वह अन्य दलों के साथ सीट बंटवारें पर समझौता करेंगे. मीडिया में चल रही खबरों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में सपा कांग्रेस को 15 से 17 सीटें देने को तैयार है. वहीं, बंगाल में टीएमसी 6 से 8 सीटें कांग्रेस को दे सकती हैं. वहीं, दिल्ली में 4: 3 पर आप और कांग्रेस के बीच समझौता हो सकता है.   

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विपक्षी दलों की बैठक से इन पार्टियों ने बनाई दूरी

हालांकि, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस अभियान में गैर बीजेपी या कई ऐसी क्षेत्रीय पार्टियों ने दूरियां बनाई हैं. इसमें बहुजन समाज पार्टी (बसपा), आंध्र प्रदेश के जगनमोहन रेड्डी, तेलंगाना के सीएम केसीआर समेत कई अन्य विपक्षी दल इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं. 

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