Leadless Pacemaker: क्या है लीडलेस पेसमेकर, जिसका भारत में पहली बार हुआ यूज, जानिए कितनी होती है कीमत

Leadless Pacemaker: देश में पहली बार लीडलेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ है, जिसे हार्ट पेशेंट के लिए गेमचेंजर बताया जाता है. डॉक्टर्स ने इसका सफलतापूर्वक इंप्लांट करके नई इबारत दिख दी है.

Leadless Pacemaker: देश में पहली बार लीडलेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ है, जिसे हार्ट पेशेंट के लिए गेमचेंजर बताया जाता है. डॉक्टर्स ने इसका सफलतापूर्वक इंप्लांट करके नई इबारत दिख दी है.

author-image
Ajay Bhartia
New Update
Leadless Pacemaker

Leadless Pacemaker: क्या है लीडलेस पेसमेकर, जिसका भारत में पहली बार हुआ यूज, जानिए कितनी होती है कीमत

Leadless Pacemaker: देश में पहली बार लीडलेस पेसमेकर ट्रांसप्लांट किया गया है. अपोलो हॉस्पिटल में 74 साल की बुजुर्ग महिला को लीडलेस पेसमेकर लगाया गया. मरीज के शरीर पर न कोई कट लगा, न किसी तरह की सर्जरी हुई और सफलतापूर्वक शरीर में पेसमेकर लगा दिया गया और ये सब हुआ लीडलेस पेसमेकर तकनीक के जरिए. ऐसे में आइए जानते हैं कि लीडलेस पेसमेकर क्या है. 

Advertisment

जरूर पढ़ें: India-Bangladesh: यूनुस सरकार ने भारत को दे दिया ये कैसा ऑफर? बांग्लादेश में आ गया भूचाल!

डॉक्टर्स ने ऐसे लिख दी नई इबारत

दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल ने हिंदुस्तान में पहली बार इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल करते हुए एक महिला के शरीर में लीडलेस पेसमेकर इंप्लांट कर मेडिकल क्षेत्र में नई इबारत लिख दी है. खास बात ये है कि जिस महिला को लीडलेस पेसमेकर लगाया है उनकी उम्र 75 साल है. साथ ही वो डायबिटिक और हाई ब्लड प्रेशर की पेशेंट भी हैं. ऐसे में 75 साल की इस बुजुर्ग महिला को लीडलेस पेसमेकर लगाकर डॉक्टर काफी उत्साहित हैं.

ये भी पढ़ें: Rinku Singh: बाप रे! अंदर से इतना आलीशान है रिंकू सिंह का बंगला, Video में भव्यता देख फटी रही जाएंगी आंखें

क्या होता है लीडलेस पेसकर?

ये एक छोटी गोली जैसा होता हैै ट्रेडिशनल पेसमेकर से 90% छोटा होता है और इसकी बैटरी की लाइफ 17 साल होती है. इसे जरूरत पड़ने पर आसानी से हटाया जा सकता है. लीडलेस पेसमेकर हार्ट के मरीजों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लीडलेस पेसमेकर की कीमत अस्पताल और डिवाइस के स्पेशिफिक मॉडल के आधार पर अलग-अलग होती है. आम तौर पर कीमत ₹2.5 लाख से ₹4 लाख तक होती है जिसमें डिवाइस की कीमत और इम्प्लांटेशन प्रक्रिया शामिल होती है.

 ट्रेडिशनल पेसमेकर से कितना अलग

ट्रेडिशनल पेसमेकर में लीड्स की जरूरत होती है जो हार्ट से जुड़ी होती हैं और इनमें अक्सर इंफेक्शन, हार्ट वाल्व को नुकसान और दूसरी समस्याएं होती हैं जबकि लीडलेस पेसमेकर सेफ है. इसका इंप्लांट जितना आसान है उतने ही इसके फायदे भी हैं.

ये भी पढ़ें: America से आई भारत के लिए Good News, छाया इस हिंदू महिला का जलवा, Videos देख गर्व से चौड़ा हो जाएगा सीना

लीडलेस पेसमेकर के फायदे 

  • लीड हटने से इंफेक्शन का खतरा कम रहता है. 

  • बिना कट इंप्लांट होने से रिकवरी आसान होती है.

  • जरूरत पड़ने पर आसानी से अपग्रेड करने का ऑप्शन

ट्रेडिशनल पेसमेकर में मरीज की रिकवरी में 2 से 4 दिन लगते हैं, जबकि लीडलेस पेसमेकर मरीज की रिकवरी 2 से 4 घंटे में ही हो जाती है यानी कह सकते हैं कि लीडलेस पेसमेकर हार्ट के मरीजों के लिए रामबाण की तरह है. 

ये भी पढ़ें: Naresh Meena: SDM थप्पड़कांड में बुरे फंसे नरेश मीणा, पुलिस ने खोला काला चिट्ठा, पहले से दर्ज हैं 23 मुकदमे

Leadless Pacemaker Heart Patients causes of Heart Attack Heart brain and heart disease Pacemakers best Heart hospitals in India Pacemaker Explainer
      
Advertisment